हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को माँ सरस्वती का अवतरण हुआ था, इसी दिन माँ सरस्वती ने अवतरित होकर समस्त प्रकृति को वाणी दी।
साथ ही इस दिन को माँ सरस्वती और लक्ष्मी का जन्म दिन भी माना जाता है । इसीलिए इस दिन विद्या, ज्ञान, कला, शिल्प और संगीत की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।
इसीलिए इस पर्व को सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) के नाम से भी जाना जाता है। माघ माह की शुक्ल पंचमी तिथि को ही बसंत पंचमी (वसंत पंचमी) कहा जाता है। इसे बसंत पंचमी कहने का आधार यह भी है कि इसी दिन से बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है।
बसंत सभी ऋतुओं का राजा है। बसंत के आगमन पर प्रकृति में कुछ बदलाव होते हैं। जैसे पतझड़ के बाद पेड़-पौधों पर नये पत्ते और सुंदर फल-फूल आते हैं। प्रकृति की प्राकृतिक छटा बड़ी मनमोहक लगती है। बसंत पंचमी और बसंत ऋतु का महत्व अलग-अलग माना जाता है।
एक और जहां पंचमी के दिन से वसंत ऋतु (Spring Season) का आरंभ होता है वहीं दूसरी ओर पंचमी के इस दिन को माँ शारदा ( सरस्वती) के रहस्योद्घाटन का दिन मानते हैं।
सरस्वती माता का आह्वान करके कलश स्थापना करते हैं और मां शारदे की पूजा-अर्चना की जाती है, और पुस्तकों तथा वाद्य यंत्रों की पूजा भी की जाती है।
आइए दोस्तों, अब हम आपको बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023 लेख के माध्यम से ऋतु परिवर्तन, ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित इस पर्व के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हैं।
हम आपको विश्वास दिलाते हैं यह लेख आपको परीक्षाओं में पूछे जाने वाले ‘बसंत पंचमी त्योहार पर निबंध’ विषय पर निबंध लिखने के लिए बहुत सहायक होगा, आपसे अनुरोध है कि लेख को पूरा जरूर पढ़ें ।
तो दोस्तों, आइए प्रारंभ करते हैं बसंत पंचमी पर निबंध वाला यह लेख –
बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023
बिन्दु | जानकारी |
---|---|
त्यौहार का नाम | बसंत पंचमी |
अन्य नाम | श्री पंचमी, सरस्वती पूजा |
अनुयायी | हिन्दू धर्म के लोग |
पर्व को मनाने की तिथि | माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि |
बसंत पंचमी 2023 की डेट | 26 जनवरी 2023, बृहस्पतिवार |
होम पेज | यहाँ क्लिक करें |
प्रस्तावना – Introduction
हिंदू धर्म में माघ मास का अपना महत्वपूर्ण स्थान है। इसी महीने की शुक्ल पंचमी तिथि को ऋतुओं के राजा बसंत का आगमन माना जाता है।और इस तिथि को ही बसंत पंचमी का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
यह त्यौहार उत्तरी भारत विशेष रुप से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली में प्रमुखता से मनाया जाता है।
इस तिथि को विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस माना जाता है, और उनकी पूजा अर्चना की जाती है। बसंत के आगमन के कारण प्रकृति में चारों ओर नवजीवन का संचार हुआ सा लगता है।
पेड़ पौधों पर हरे पत्ते, नए फल-फूल विकसित होते हैं और संपूर्ण प्रकृति बड़ी मनोहारी दिखाई देती है।
वसंत ऋतु में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार – Major Festivals Celebrated in Spring
बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। इस दौरान प्रकृति की छटा निराली होती है यूँ लगता है मानों प्रकृति ने श्रृंगार किया हो।
इस ऋतु में हमारे देश में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। बसंत पंचमी पर निबंध | basant panchami essay in hindi | Basant Panchami 2023 लेख में कुछ प्रमुख त्योहारों की सूची यहां दी जा रही है-
- तिल चतुर्थी
- मौनी अमावस्या
- गुप्त नवरात्रि
- गणेश जयंती
- वसंत पंचमी
- गुरु रविदास जयंती
- माघ पूर्णिमा
- महाशिवरात्रि
- होली
- रंग पंचमी
- गुड़ी पढ़वा
बसंत पंचमी का इतिहास: History of Basant Panchami
आइए दोस्तों, अब हम आपको बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023 के इस लेख में बसंत पंचमी के इतिहास के बारे में बताते हैं।
बसंत पंचमी (Basant Panchami ) के पर्व को मनाने को लेकर कई पौराणिक कथाएं कही जाती हैं, उनमें से कुछ के बारे में हम आपको यहाँ बताने जा रहे हैं।
वसंत पंचमी/सरस्वती पूजा की पहली कथा –
जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की उस समय उन्होंने मनुष्य, जीव-जन्तु, पेड़-पौधों व समस्त प्रकृति की रचना की। सृष्टि की रचना के उपरान्त ब्रह्मा जी को आभास हुआ कि अवश्य कुछ कमी है कि सृष्टि में चारों ओर सन्नाटा व्याप्त है।
तब ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से लेकर जल छिड़का तुरंत वहाँ एक परम सुंदरी स्त्री प्रकट हुई। उस देवी के चार हाथ थे, जिनमें से एक हाथ में वीणा, दूसरा हाथ वरदान की मुद्रा में था। शेष दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी।
ब्रह्मा जी ने उस देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया, तब उस देवी ने वीणा के तारों को झंकृत किया तो उससे मधुर नाद हुआ। देवी के वीणा से हुए नाद से सहसा ही प्रकृति में वाणी का संचार हुआ।
मनुष्य, जीव-जंतुओं में वाणी का विकास हुआ, जल धाराओं में कोलाहल और हवा में सरसराहट की ध्वनि होने लगी।
प्रकृति में इस खूबसूरत परिवर्तन के बाद ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती के नाम से अलंकृत किया।
क्योंकि वसंत पंचमी के ही दिन ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को उत्पन्न किया था इसीलिए इस दिन को सरस्वती माँ का जन्म दिवस की तरह से मानते हुए इस पर्व पर माँ सरस्वती की पूजा की जाती है।
दूसरी कथा –
एक मान्यता के अनुसार ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस पर्व का आरंभ आर्य काल में हुआ। कहा जाता है कि प्राचीन काल में आर्य लोग सरस्वती नदी को पार करके खैबर दर्रे से होते हुए भारत में आकर बस गए थे।
आर्य लोगों की सभ्यता एक आदिम सभ्यता थी अतः इनकी सभ्यता का विकास सरस्वती नदी के तटों पर हुआ। उन दिनों सरस्वती नदी को ज्ञान और उर्वरता के साथ जोड़ा जाता था। तभी से इस दिन को पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
तीसरी कथा –
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार संस्कृत के महान कवि कालिदास से जुड़ी एक और कथा है जो इस पर्व के प्रारंभ से जुड़ी मानी जाती है।
कालिदास का विवाह विद्योत्तमा नामक राजकुमारी से हुआ था। विद्योत्तमा ने कालीदास को ज्ञानी और विद्वान जानकार उन से विवाह किया था, वास्तव में वह मूर्ख व्यक्ति थे।
जब विद्योत्तमा को किसी घटना से कालिदास की मूर्खता का पता चला तो उसने उन्हें घर से निकाल दिया। कालिदास घर छोड़ने के बाद आत्महत्या करने की मंशा से सरस्वती नदी पर पहुंचे।
देवी सरस्वती ने साक्षात जल से बाहर प्रकट होते हुए उन्हें नदी में स्नान करने की सलाह दी। कहा जाता है कि सरस्वती नदी के पवित्र जल में स्नान करके कालिदास को ज्ञान की प्राप्ति हुई।
You May Also Like
- फादर्स डे : मनाने का कारण, इतिहास और महत्व
- जानिए श्राद्ध पक्ष की पूजा विधि, इतिहास और महत्व की सम्पूर्ण जानकारी
- शक्ति और शौर्य की उपासना के पर्व दशहरा/विजयदशमी की सम्पूर्ण जानकारी
- क्या है मकर संक्रान्ति पर्व, क्यों मनाते हैं ? महत्व एवं पूजा विधि
- जानिए सिक्खों का प्रमुख पर्व लोहड़ी, महत्व, इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी
- छठ पूजा महापर्व, इतिहास, महत्व और पूजा विधि
तभी से कालिदास संस्कृत में कविताएं लिखने लगे, और आगे चलकर संस्कृत के महान कवि कहलाए। तभी से बसंत पंचमी के दिन को शिक्षा और ज्ञान की देवी सरस्वती मां को याद करने और उनकी पूजा अर्चना करने के लिए मनाया जाता है।
चौथी कथा – (एतिहासिक महत्व )
यह दिन पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है, उन्होंने मुहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया और जीवित छोड़ दिया, 17 वीं बार गौरी ने धोखे से उन्हे पराजित किया और अफगानिस्तान ले गया वहाँ उसने उनकी आँखें फोड़ दीं।
उसके बाद भी उन्होंने अपने मित्र चंदबरदाई की सहायता से शब्द भेदी बाण से गौरी का खात्मा कर दिया। उसके बाद दोनों मित्रों ने एक दूसरे के छुरा भौंककर अपना आत्म बलिदान दे दिया। 1192 में यह घटना भी बसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी।
पाँचवीं कथा –
सिक्ख धर्म के लोगों के लिए इस दिन का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह बसंत पंचमी को ही हुआ था।
बसंत पंचमी 2023 में कब है ? Basant Panchami Date and Timing
बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। वसंत ऋतु का प्रारंभ इसी दिन से माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी या फरवरी के महीने में मनाया जाता है।
तिथि/मुहूर्त | जानकारी |
---|---|
बसंत पंचमी पर्व मनाने की तिथि | माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि |
बसंत पंचमी पर्व की तारीख | 26 जनवरी 2023, बृहस्पतिवार |
बसंत पंचमी का पूजा मुहूर्त | प्रातः 07:12 से दोपहर 12:34 तक |
कुल अवधि | 05 घंटे 22 मिनट |
बसंत पंचमी त्यौहार का उद्देश्य – Purpose of Basant Panchami Festival
बसंत पंचमी त्यौहार को वसंत ऋतु के आगमन का पर्व भी माना जाता है। बसंत ऋतु आने पर समस्त वनस्पतियों के पुराने पत्ते झड़ जाते हैं और प्रकृति को मिले नवजीवन की तरह नये पत्ते विकसित होते हैं।
अतः इस त्योहार को मनाने का उद्देश्य प्रकृति में नवजीवन, नयी चेतना और नव निर्माण के परिणाम स्वरूप मानव हृदय में उमड़ते आनंद को व्यक्त करना और स्वयं में आनंदित होना है।
बसंत पंचमी का महत्व – Significance of Basant Panchami
बसंत पंचमी का पर्व हिन्दू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अतिरिक्त इसका महत्व इसलिए भी है कि यह ऋतु परिवर्तन का एक महातपूर्ण पर्व है। इसी दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है।
इस पर्व का महत्व इसलिए भी है कि बसंत पंचमी के अवसर पर प्रकृति के सभी पांचों तत्व जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश पूर्णत: संतुलित अवस्था में होते हैं, अर्थात इस समय ना ज्यादा सर्दी होती है, न गर्मी और ना ही वर्षा ।
इसीलिए इस ऋतु का मौसम बहुत सुहावना होता है। चहुंओर रंगबिरंगी सुंदर तितलियां मंडराती हुई दिखती हैं।
कुंभ मेले के दिनों में बसंत पंचमी के दिन का बहुत महत्व माना जाता है क्योंकि इस दिन मेले में शाही स्नान का आयोजन होता है।बसंत पंचमी के मौके पर हमारे देश में कई जगहों पर पतंगबाजी का प्रचलन भी है।
पंजाब प्रांत में इस त्यौहार को बसंत के प्रारंभ के पांचवें दिन मनाते हैं और इस मौके पर वहां पतंगे भी उड़ाई जाती हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने तथा पीले रंग के चावल इत्यादि बनाने का बड़ा महत्व है।
बसंत पंचमी पर्व पर ‘सरस्वती पूजा‘ का महत्व – Significance of ‘Saraswati Puja’ on Basant Panchami
हिंदू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ मास की शुक्ल पंचमी तिथि को मां सरस्वती का जन्म दिवस मनाया जाता है, इसलिए इस त्योहार के दिन विधि-विधान पूर्वक सरस्वती मां की पूजा अर्चना की जाती है।
बसंत पंचमी का त्यौहार प्रमुख रूप से उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, बिहार सहित मध्य भारत में भी मनाया जाता है।
देवी सरस्वती (Devi Saraswati) को भाषा, ज्ञान,कला, वाणी और विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है, अतः उनके जन्मदिवस के अवसर पर इस दिन प्रमुख रूप से ज्ञान, विज्ञान और कला क्षेत्रों से जुड़े लोग उनकी पूजा अवश्य करते हैं।
स्कूलों, ऑफिस में तथा साहित्य और संगीत से जुड़े लोग सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) बड़ी धूमधाम से करते हैं।
इसके पीछे उनका विश्वास होता है कि इस दिन श्वेत हंस पर विराजमान, श्वेतांबर पहने वीणा वादिनी मां सरस्वती मनुष्यों के जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का उपहार प्रदान करती हैं।
सरस्वती मां को वाग्देवी, बागीश्वरी, भगवती, वीणा वादिनी और शारदा आदि नामों से भी जाना जाता है।
किसानों के लिए बसंत पंचमी का महत्व – Significance of Basant Panchami for Farmers
बसंत पंचमी और बसंत ऋतु का वनस्पतियों और कृषि से अभिन्न संबंध है। इस पर्व के समय खेतों में सरसों की फसलें लहलहाने लगती हैं। पेड़-पौधों में नये फल-फूल खिलने लगते हैं।
इस पर्व के मौके पर नई फसल को काटकर घर पर लाया जाता है, तथा उसे भगवान को समर्पित किया जाता है, साथ ही कुछ जगहों पर नव-अन्न इष्टी यज्ञ भी किए जाते हैं।
बसंत पंचमी के दिन भगवान गणेश, शिव, इंद्र और सूर्य देवता की पूजा/ प्रार्थना की जाती है। प्रकृति में चारों ओर बिखरी हरियाली, नव पल्लव तथा प्रकृति के नवीन सौंदर्य को देख मानव मन सहज ही नाच उठता है।
बसंत पंचमी पर्व पर पीले रंग का महत्व – Significance of Yellow Colour on Basant Panchami
बसंत पंचमी के त्यौहार (Basant Panchami Festival) के दिन पीले रंग का बहुत महत्व है। इस दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं, आधुनिक समय में जब लोग पीले रंग के कपड़े पहनने में झिझक महसूस करते हैं तो वे अपने पास एक पीला रुमाल रख लेते हैं।
पीला रंग फसलों के पकने का द्योतक है। इस समय चारों ओर खेतों में पीली सरसों खिली होती है। गेहूं की पीली/ सुनहरी बालियां खेतों में लहलहाने लगती हैं।
पेड़-पौधों पर पीले, लाल, गुलाबी फूल खिलने लगते हैं। हर ओर प्रकृति सुंदर पीले रंगों में सजी-धजी प्रतीत होती है।
पीले रंग के ही एक शेड को बसंती रंग भी कहा जाता है इस प्रकार बसंत है ही पीले रंग का पर्याय, इसीलिए इस दिन पीले रंग का महत्व है।
पीला रंग माँ सरस्वती को अत्यंत प्रिय है और यह रंग ऊर्जा, प्रकाश, आशावाद और समृद्धि का प्रतीक है। इस कारण भी लोग पीले वस्त्र पहनते हैं।
बसंत पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ? Why Basant Panchami is Celebrated ?
बसंत पंचमी दो शब्दों से मिलकर बना है, बसंत + पंचमी। बसंत का आशय बसंत ऋतु से है, जबकि पंचमी शब्द का अर्थ है पांचवा दिन।
इस प्रकार हिंदू धर्म के अनुसार माघ के महीने में वसंत ऋतु के आगमन पर पांचवें दिन अर्थात माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
देश के अधिकांश स्कूल और कॉलेजों में इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है, सभी विद्यार्थी मिलजुल कर विद्या की देवी मां शारदे की पूजा अर्चना करते हैं।
सर्वविदित है कि हमारे देश में छह ऋतुएं होती हैं –
1. बसंत ऋतु
2. ग्रीष्म ऋतु
3. वर्षा ऋतु
4. शरद ऋतु
5. हेमंत ऋतु
6. शिशिर ऋतु (पतझड़)
इन सभी ऋतुओं में वसंत ऋतु का मौसम सबसे ज्यादा सुहावना और खूबसूरत होता है इसलिए वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा या ऋतुराज भी कहा जाता है।
इस समय गेहूं और सरसों की फसलों से लहलहाते खेत चित्त को सहज ही आकर्षित करते हैं।
बसंत पंचमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है – How Basant Panchami is Celebrated
बसंत पंचमी के दिन लगभग सभी शिक्षण संस्थानों, कार्यालयों और साहित्य, संगीत से जुड़ी संस्थाओं में लोग बड़े हर्षोल्लास और धूमधाम से मां सरस्वती का पूजन करते हुए बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं।
त्यौहार के दिन मां सरस्वती की प्रतिमा को स्थापित करके किताबें, कॉपियां, पैन आदि पठन सामग्री या वाद्य यंत्रों को सरस्वती मां की प्रतिमा के सम्मुख रखकर विधि-विधान पूर्वक मां सरस्वती की पूजा की जाती है।
पूजा के दौरान फल, फूल, धूप, मिठाई, कलावा, वस्त्र आदि वस्तुएं मां को समर्पित की जाती हैं। इस दिन लोग रंग-बिरंगी पतंगे उड़ाकर त्यौहार का आनंद लेते हैं।
बसंत पंचमी पर 10 लाइनें – 10 Lines on Basant Panchami in Hindi
कुछ पौराणिक मान्यताओं के अलावा इस पर्व को ऋतु के परिवर्तन का त्यौहार भी माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें आपको हमारे लेख बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023 में बताते हैं।
- यह त्योहार माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
- बसंत पंचमी का त्यौहार ऋतु परिवर्तन के अतिरिक्त मां सरस्वती के जन्मदिन के तौर पर भी मनाया जाता है।
- इस पर्व के अवसर पर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है।
- इस त्यौहार के दिन कला, संगीत व शैक्षिक संस्थानों में छात्र, पुस्तकों और वाद्य-यंत्रों की पूजा करते हैं।
- बसंत पंचमी पर पीले रंग (बसंती रंग) का बहुत महत्व है, लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं।
- इस पर्व का किसानों के लिए भी बहुत महत्व है, खेतों में गेहूँ और सरसों की फसलें लहलहाने लगती हैं, और वे उन्हें देख खुशी में इस त्यौहार को मनाते हैं।
- बसंत पंचमी के पर्व पर दान-धर्म का बड़ा महत्व है लोग इस दिन अन्न और वस्त्र का दान करते हैं, कुछ लोग इस पर्व को सरस्वती जयंती के रूप में देखते हैं अतः वह गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए दान करते हैं।
- पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी पर कई आयोजन किए जाते हैं और वहां पर इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
- बसंत पंचमी पर पतंग उड़ाने की परंपरा देश में बहुत प्राचीन है, माना जाता है कि सर्वप्रथम पंजाब प्रांत में महाराजा रंजीत सिंह ने इस प्रथा को प्रारंभ किया था, अब त्यौहार के दिन बच्चे और बड़े लोग रंग-बिरंगी पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं। कुछ जगहों पर पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।
- कुम्भ मेले में बसंत पंचमी का बड़ा महत्व होता है, इस दिन शाही स्नान का आयोजन किया जाता है।
बसंत पंचमी 2023 (Basant Pancham 2023) विवाह मुहूर्त –
इस बार बसंत पंचमी 26 जनवरी दिन गुरुवार को मनायी जाएगी। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यदि किसी की शादी का शुभ मुहूर्त न मिल पा रहा हो तो बसंत पंचमी के दिन बिना मुहूर्त के उसका विवाह किया जा सकता है, क्योंकि बसंत पंचमी स्वयं अपने आप में एक बहुत शुभ दिन माना जाता है।
इसके अतिरिक्त इस दिन रिश्ता, सगाई या अन्य शुभ कार्य भी किए जा सकते हैं। यह दिन काम के देवता कामदेव का दिन भी माना जाता है अतः यह दाम्पत्य संबंधों में माधुर्य लाता है।
बसंत पंचमी त्यौहार का आधुनिक स्वरूप –
वर्तमान में बसंत पंचमी का त्यौहार पर किसान फसलों के पकने की खुशी और उत्साह में इस पर्व को मनाते हैं। लगभग संपूर्ण उत्तर भारत में यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
लोग इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, और सरस्वती मां को समर्पित विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करते हैं।
बसंत पंचमी पर बसंती रंग (पीला रंग) का अत्यधिक महत्व है, अतः लोग पीले रंग के वस्त्र धारण कर मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं।
इस त्यौहार के दिन बच्चे और बड़े सभी पतंगबाजी का आनंद लेते हैं। इस दिन पीले रंग की मिठाईयां और व्यंजन बनाने की भी परंपरा है।
वर्तमान में कुछ लोग गरीब बच्चों को किताबें और पढ़ाई का सामान दान करके भी बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं।
You May Also Like
- भाई-बहन के प्रेम, स्नेह का प्रतीक रक्षा बंधन के त्यौहार पर निबंध
- पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का त्यौहार करवा चौथ की सम्पूर्ण जानकारी
- भगवान शिव के महापर्व महाशिवरात्रि से जुड़े रोचक तथ्य
- शारदीय नवरात्रि के बारे में जानें सम्पूर्ण जानकारी
उपसंघार – Conclusion
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि बसंत पंचमी ऋतु परिवर्तन का त्यौहार है, और इसे बसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है।
यह पर्व सर्दियों की विदाई का संदेश भी लाता है।यह विद्या और ज्ञान की देवी माँ शारदे को उनके जन्मदिवस पर याद कर उनकी वंदना करने का भी दिन है।
किसान भी नई फसल के पकने और घर लाने की खुशी में ये पर्व मनाते हैं। पीले वस्त्र पहनकर लोग पारंपरिक व्यंजन बनाकर उनका स्वाद लेते हैं और पतंगबाजी करते हुए अपने परिवार के साथ त्यौहार का आनंद लेते हैं।
FAQ
प्रश्न – बसंत पंचमी 2023 में कब है ?
उत्तर – 2023 में बसंत पंचमी का पर्व 26 जनवरी दिन बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा।
प्रश्न- बसंत पंचमी की कहानी क्या है?
उत्तर – ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करते समय जीव-जंतु, पेड़-पौधे, सजीव-निर्जीव सभी की रचना की। चारों ओर सन्नाटा देखकर उन्हें लगा कि कहीं कुछ कमी है। उन्होंने अपने कमंडल से जल का छिड़काव किया, तभी एक देवी प्रकट हुई जिसके 4 हाथ थे। जिनमें वीणा, पुस्तक, माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था।
ब्रह्मा जी ने उनसे वीणा का नाद करने का आग्रह किया, उन्होंने जैसे ही वीणा का नाद किया, समस्त सृष्टि में वाणी का संचार हुआ। यह बसंत पंचमी का ही दिन था, तब ब्रह्मा जी ने उन्हें वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया। ज्ञान और विद्या की देवी, सरस्वती माँ के जन्म दिवस के उपलक्ष में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है।
प्रश्न – बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाया जाता है?
उत्तर – माघ माह की शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत ऋतु का आगमन होता है इसीलिए इस तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। एक दूसरी मान्यता के अनुसार इस तिथि पर ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
प्रश्न – बसंत पंचमी का मतलब क्या होता है?
उत्तर- माघ मास की शुक्ल पंचमी तिथि को बसंत पंचमी कहा जाता है। यह हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। इसे श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन सरस्वती मां का जन्म होने के कारण उनकी पूजा की जाती है।
प्रश्न – बसंत पंचमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
उत्तर – वसंत ऋतु के आगमन के कारण प्रकृति में चारों तरफ हरियाली होती है। सरसों के पीले खेत लहलहाने लगते हैं। पेड़ों पर सुंदर फल-फूल लगते हैं। लोग इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं, सरस्वती मां का पूजन करते हैं। कुछ लोग पीले व्यंजन बनाकर खाते हैं। इस त्यौहार पर पतंगबाजी करने की भी परंपरा है।
प्रश्न – क्या हमें बसंत पंचमी पर पढ़ना चाहिए?
उत्तर – सरस्वती देवी ज्ञान कला और संगीत की अधिष्ठात्री देवी है। इस दिन उनकी पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि इस दिन अध्ययन करने से मां सरस्वती का आशीर्वाद मिलता है।
प्रश्न – बसंत पंचमी कब शुरू हुई?
उत्तर – बसंत पंचमी के आरंभ को लेकर हिंदू पुराणों में कई कथाएं प्रचलित है जिन्हें जानने के लिए ऊपर दिए गए लेख को पढ़ें।
प्रश्न – बसंत पंचमी पर हम पीले कपड़े क्यों पहनते हैं?
उत्तर – माना जाता है कि पीला रंग मां सरस्वती को प्रिय है।पीला रंग निर्मलता, सादगी और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए बसंत पंचमी पर लोग पीले वस्त्र धारण करके मां सरस्वती की पूजा करते हैं।
प्रश्न- बसंत पंचमी पर पतंगबाजी क्यों?
उत्तर – माना जाता है कि बसंत पंचमी पर पतंगबाजी की परंपरा सदियों पुरानी है। वसंत ऋतु के आगमन पर लोग पतंगबाजी करके अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हैं। यह परंपरा विशेष रुप से पंजाब, हरियाणा और संपूर्ण उत्तर भारत में है।
प्रश्न – सरस्वती विद्या की देवी क्यों है?
उत्तर – हिंदू पुराणों के अनुसार मां सरस्वती से सप्तविध स्वरों का ज्ञान प्राप्त होता है, इसी वजह से उनको सरस्वती नाम से पुकारा जाता है। अपने प्राकट्य पर वे अपने हाथों में वीणा, पुस्तक और माला लेकर प्रकट हुई। वे संसार को वाणी, बुद्धि, ज्ञान और कला का कौशल व विद्या प्रदान करती हैं, इसीलिए उन्हें विद्या की देवी कहा जाता है।
प्रश्न- बसंत पंचमी के दिन कौन से रंग का कपड़ा पहनना चाहिए?
उत्तर – बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु (Spring Season ) का आगमन होता है, इस दिन पीले व्यंजन बनाने और पीले कपड़े पहनने का बड़ा महत्व है। पीला रंग निर्मलता, सादगी और शुद्धता का प्रतीक माना जाता है।
प्रश्न – बसंत पंचमी के दिन किसका जन्म हुआ था?
उत्तर – बसंत पंचमी के दिन वाणी, ज्ञान, विद्या और कला की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती का जन्म हुआ था।
प्रश्न – सरस्वती जी सफेद साड़ी क्यों पहनती है?
उत्तर – सफेद रंग शुद्धता, शांति, पवित्रता और विद्या का प्रतीक माना जाता है।
प्रश्न – प्रश्न- बसंत पंचमी के दिन किस कवि का जन्मदिन मनाया जाता है?
उत्तर – बसंत पंचमी पर्व के दिन महान कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्मदिवस मनाया जाता है।
प्रश्न – बसंत पंचमी का संबंध किस मौसम से है?
उत्तर – वसंत पंचमी का त्योहार वसंत के आगमन की तैयारी का प्रतीक है। इसी दिन से ऋतुओं का राजा वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है।
हमारे शब्द – Our Words
दोस्तों ! आज के इस लेख बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023 में हमने आपको बसंत पंचमी पर निबंध के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है।
हमें पूर्ण आशा है कि आपको यह जानकारी और यह लेख बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023 अवश्य पसंद आया होगा।
यदि आप में से किसी भी व्यक्ति को इस लेख से संबंधित कुछ जानकारी अथवा सवाल पूछना हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।
प्रिय पाठकों, आपको हमारे लेख तथा उनसे संबंधित विस्तृत जानकारी कैसी लगती है ? आपकी सराहना और समालोचना से ही हमारी लेखनी को बेहतर लेखन के लिए ऊर्जा रूपी स्याही मिलती है, अतः नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय लिखकर हमारा मार्गदर्शन अवश्य करते रहे।
दोस्तों, जल्द मिलते हैं एक और नये, जानकारी से परिपूर्ण, प्रेरणादायक, रोमांचक, जानदार और शानदार शाहकार के साथ।
लेख पूरा पढ़ने और हमारे साथ बने रहने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद !
अंत में – हमारे आर्टिकल पढ़ते रहिए, हमारा उत्साह बढ़ाते रहिए, खुश रहिए और मस्त रहिए।
ज़िंदगी को अपनी शर्तों पर जियें ।
अस्वीकरण – Disclaimer
इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी, सामग्री या गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की जिम्मेदारी sanjeevnihindi.com की नहीं है। ये जानकारी हम विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं, ज्योतिषियों तथा पंचांग से संग्रहित कर आप तक पहुंचा रहे हैं। जिसका उद्देश्य मात्र आप तक सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे केवल सूचना की तरह ही लें। इसके अलावा इसके किसी भी प्रकार के उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
14 thoughts on “बसंत पंचमी पर निबंध | Basant Panchami Essay in Hindi | Basant Panchami 2023”