भारत त्योहारों का देश है। यहां लगभग हर रिश्ते के लिए एक खूबसूरत त्यौहार मनाया जाता है। उन्हीं त्योहारों में से एक है….रक्षा बंधन ।
रक्षा बंधन का पावन पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम व स्नेह का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाया जाने वाला हिंदुओं व जैन धर्म के लोगों का प्रमुख पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र (राखी) बांधती हैं, उन्हें मिठाई खिलाती हैं, और उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं, तथा भाई अपनी बहन को हमेशा, हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करने का वचन देता है।
रक्षा बंधन का त्यौहार लगभग पूरे देश में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिंदुओं के अलावा कुछ अन्य धर्म के लोग भी इस त्यौहार को मनाते हैंं। दूसरे देशों में जहां हिंदू धर्म के लोग रहते हैं, यह त्यौहार उन देशों में भी मनाया जाता है।
रक्षा बंधन त्यौहार से जुड़े सभी पहलू जैसे- रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है?, कैसे मनाया जाता है?, रक्षा बंधन का इतिहास, मान्यताएं, रक्षा बंधन का महत्व आदि को हम अपनी इस पोस्ट ( Raksha Bandhan Essay in Hindi। रक्षा बंधन पर निबंध। रक्षा बंधन 2022 ) में आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं, इन सब की पूरी जानकारी के लिए कृपया इस पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें।
बिन्दु | जानकारी |
---|---|
त्यौहार का नाम | रक्षा बंधन |
अन्य नाम | सलूनों , राखी का त्यौहार , श्रावणी |
त्यौहार का औचित्य | बहन-भाई के प्रेम का पवित्र त्योहार, भाई द्वारा बहन की रक्षा का संकल्प |
त्यौहार प्रारंभ का समय | पौराणिक काल |
त्यौहार मनाने की तिथि | श्रावण मास की पूर्णिमा |
मिलते-जुलते त्यौहार | भैया दूज |
2023 में रक्षा बंधन की तारीख | 30 अगस्त 2023, बुद्धवार |
होम पेज | यहाँ क्लिक करें |
Raksha Bandhan Essay in Hindi | रक्षा बंधन पर निबंध । रक्षा बंधन 2023
रक्षा बंधन का शाब्दिक और व्यावहारिक अर्थ – Raksha Bandhan Meaning
यदि रक्षा बंधन शब्द का संधि विच्छेद किया जाए तो यह रक्षा+बंधन होता है, इस प्रकार रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ होता है, रक्षा ( सुरक्षा ) के लिए बांध लेना ( संकल्पित होना )।
जबकि यदि इस शब्द के व्यावहारिक अर्थ पर जाएं तो इसका व्यवहारिक अर्थ बहुत विशाल है। वास्तव में यदि देखा जाए तो रक्षा बंधन पर बहन के द्वारा भाई की कलाई पर बांधा जाने वाला रक्षा सूत्र महज एक कमजोर धागा ही है, परंतु उस धागे में बहन का भाई के प्रति असीम प्यार व स्नेह शामिल होता है।
इसलिए भावनात्मक तौर पर वह एक पवित्र और मजबूत रक्षा सूत्र बन जाता है। रिश्तों के प्यार की महानता यही है कि भाई भी अपनी बहन द्वारा बांधे हुए रक्षा सूत्र का मान रखते हुए, आजीवन उसके सुख-दुख में शामिल रहता है, और उसकी रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहता है।
रक्षा सूत्र का महत्व- Significance of Rakhi
वर्तमान में भले ही रक्षा बंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है और बहन भाई को राखी बांधती है, परंतु पहले ऐसा नहीं था, यह त्यौहार केवल भाई बहन के प्रेम तक सीमित नहीं था, बल्कि किसी प्रकार की विपत्ति, परेशानी आने पर के स्वयं की रक्षा के लिए किसी को भी राखी बांधी अथवा भेजी भी जाती थी।
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहां है कि सूत्र ( धागा ) अविच्छिन्नता व एकता का प्रतीक होता है। सूत्र माला के बिखरे हुए मोतियों को स्वयं में पिरोकर उन्हें एकत्रित करता है, ठीक उसी प्रकार रक्षा सूत्र ( राखी ) भी लोगों और उनके रिश्तों को आपस में जोड़ता और मजबूत करता है।
You May Also Like
- बसंत ऋतु के आगमन को समर्पित बसंत पंचमी के त्यौहार पर निबंध
- महाशिवरात्रि से जुड़े रोचक तथ्य व त्यौहार की सम्पूर्ण जानकारी
पवित्र ग्रंथ गीता में ही इस बात का भी वर्णन है कि जब-जब मृत्यु लोक में मनुष्य के नैतिक मूल्यों का ह्रास होता है तब-तब भगवान शिव, ब्रह्मा जी के माध्यम से इस मृत्युलोक में पवित्र रक्षा सूत्र भेजते हैं, इन्ही रक्षा सूत्र को बहने अपने भाइयों को बांधती हैं, और उनके दीर्घायु होने व स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
रक्षा बंधन त्यौहार मनाने का समय -Time to celebrate Raksha Bandhan
रक्षा बंधन का त्यौहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि हर वर्ष जुलाई या अगस्त महीने की किसी तारीख को होती है।
रक्षा बंधन (2023) कब है ? – Raksha Bandhan 2023 Date
इस साल (2023) में रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त 2023, बुद्धवार को मनाया जाएगा।
राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त – Auspicious Time to Tie Rakhi
अबूझ मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही रक्षा बंधन पर राखी बांधना शुभ होता है। रक्षा बंधन 2022, 11 अगस्त के साथ-साथ 12 अगस्त को भी मनाया जा सकता है। 11 अगस्त को सुबह 09:34 बजे तक चतुर्दशी तिथि है, पूर्णिमा तिथि इसके इसके बाद लगेगी।
परंतु तुरंत सुबह 09:35 से ही भद्रा काल प्रारंभ हो जाएगा, भद्रा काल रात्रि 08:25 तक रहेगा। भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता। इसलिए सबसे बेहतर विकल्प होगा कि 12 अगस्त को प्रातः 07:00 बजे से पूर्व राखी बांधी जाए ।
ऐसा करना इसलिए उपयुक्त होगा क्योंकि सुबह 7 बजे से पूर्व पूर्णिमा तिथि भी रहेगी और भद्राकाल भी नहीं होगा । वैसे सुविधानुसार 11 अगस्त को भी रात्रि 08:30 के बाद भी राखी बांध सकते हैं ।
रक्षा बंधन त्यौहार की तैयारियां – Raksha Bandhan Preparations
रक्षा बंधन से कुछ दिन पूर्व ही रक्षा बंधन की तैयारियों का माहौल दिखाई देने लगता है, बाजारों की रौनकें बढ़ जाती हैं, बाजार में चारों ओर खूबसूरत, रंग बिरंगी रेशमी धागे से बनी राखियों की दुकानें सजी हुई दिखाई देने लगती हैं, बाजारों में भीड़ होती है, दुकानों पर बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर राखियां और मिठाइयां खरीदती हुई दिखाई देती हैं।
इस दिन विवाहित बहनें अपने भाइयों के घर जाती हैं, बसों और ट्रेनों में खूब भीड़ होती है, कुछ राज्यों में तो सरकार इस दिन बहनों के लिए बस, ट्रेन व मेट्रो में मुफ़्त यात्रा की सुविधा देती हैं। इस दिन घर में विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं, अधिकांशतः इस दिन मीठी सिवइयाँ बनाई जाती हैं।
भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन के त्यौहार के दिन बहनें प्रातः काल उठकर, स्नान कर इस पावन पर्व की तैयारियों में जुट जाती हैं। वे घर की दीवारों पर ‘सोन’ बनाती हैं, फिर उबली हुई सिवइयाँ , खीर अथवा मिठाई के साथ सोन (श्रावण ) के ऊपर पूजन वाली राखी के धागे चिपकाती हैं, और उनकी पूजा करती हैं।
वैसे तो इस पर्व को मुख्य रूप से बहन-भाई का ही पर्व माना जाता है, परंतु कहीं-कहीं परिवार की छोटी बेटी अपने पिता को भी राखी बांधती है। इस त्यौहार के दिन पंडित अपने यजमानों के घर जाते हैं, और मंत्रों का उच्चारण करते हुए अपनी यजमानों को राखी बांधते हैं।
रक्षा बंधन त्यौहार मनाने का तरीका – How to Celebrate Raksha Bandhan
इस दिन विवाहित बहनें भाइयों के घर जाती हैं और उन्हें राखी बांधती हैं, जब तक बहन भाई के घर जाकर राखी नहीं बांध देती , तब तक वह भोजन नहीं करती। भाई को राखी बांधने से पहले बहनें एक थाली में फल, मिठाईयां, राखी, रोली, चावल आदि रखकर थाल सजाती हैं, और एक दीपक जला कर रखती हैं।
फिर भाई के मस्तक पर रोली का टीका लगाकर उसकी आरती उतारती हैं और उसके दाएं हाथ की कलाई पर राखी बांधती हैं, और उन्हें मिठाई खिलाती हैं , फिर भाई अपनी बहन को उपहार स्वरूप, रुपये, कपड़े, गहने या अन्य कीमती उपहार अपनी क्षमता अनुसार देते हैं।
बहन-भाई के बीच राखी व उपहारों का ये आदान-प्रदान गूढ़ अर्थ रखता है, बहन के द्वारा बांधी जाने वाली राखी वास्तव में सूत्र के रूप में भाई की मंगल कामना के लिए बहन की दुआएं, सद्भावनाएं, आशीर्वाद होती हैं, जबकि भाई की ओर से दिए जाने वाले उपहार अपनी बहन की रक्षा के लिए सदैव संकल्पित रहने का ही एक संदेश हैं।
कुछ बहनें जो किसी मजबूरी अथवा भाइयों से अधिक दूर रहने के कारण इस दिन भाई के घर नहीं जा पातीं, वे डाक द्वारा उन्हें राखी भेज देती हैं, तथा भाई भी मनीआर्डर द्वारा उन्हें रुपए ( शगुन ) भेज देते हैं।
जिन बहनों के भाई सेना में या विदेश में रहते हैं, वे भी अपने भाइयों को राखी भेजती हैं। जिन बहनों के भाई नहीं होते, वे अपने रिश्ते के भाइयों को राखी बांधती हैं। राखी के दिन देश में सार्वजनिक अवकाश होता है, भाई-बहन और परिवार के समस्त लोग त्यौहार के साथ-साथ परिवार के साथ छुट्टी का भी आनंद लेते हैं।
भाई बहन के प्रेम व स्नेह का प्रतीक है राखी का पर्व – Symbol Of Love of Brother and Sister
हमारे देश में सभी पवित्र रिश्तों में भाई-बहन का रिश्ता विशेष महत्व रखता है। बचपन से ही भाई-बहन के रिश्ते में असीम प्रेम व स्नेह होता है, हालांकि दोनों के बीच बचपन से ही नोकझोंक, झगड़े होते रहते हैं, परंतु शायद यह झगड़े प्रेम की पराकाष्ठा का ही प्रतीक होते हैं, क्योंकि यह कभी भी स्थाई नहीं होते।
बचपन के इन्हीं लड़ाई- झगड़ों में छुपा प्रेम पल्लवित होता है, परिणाम स्वरूप बड़े होते-होते बहन-भाई एक दूसरे से बहुत प्रेम करने लगते हैं और दूसरे की भावनाओं का सम्मान करने लगते हैं, और दूसरे की सुरक्षा के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। भाई-बहन के इसी अनंत प्रेम को प्रदर्शित करता है राखी का यह त्यौहार।
रक्षा बंधन का इतिहास/ रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं ? History of Raksha Bandhan/Why do we Celebrate Raksha Bandhan ?
दोस्तों, जैसा कि आप सब जानते हैं रक्षा बंधन त्यौहार का इतिहास बहुत प्राचीन है, परंतु यह त्यौहार वास्तव में कब से प्रारंभ हुआ, इस बात का कोई प्रमाणिक उल्लेख नहीं मिलता।
परंतु फिर भी हिंदू ग्रंथों व पुराणों में इस त्यौहार के प्रारंभ को लेकर कई पौराणिक, ऐतिहासिक और साहित्यिक प्रसंग या कथाओं का उल्लेख मिलता है, उनमें से प्रमुख हम आपके लिए इस लेख में यहाँ दे रहे हैं।
1. रक्षा बंधन से जुड़ी पौराणिक कथाएं -Mythology Related to Raksha Bandhan
रक्षा बंधन के प्रारंभ को लेकर भविष्य पुराण में एक कथा का वर्णन मिलता है –
- एक बार देवताओं और असुरों में युद्ध प्रारंभ हो गया, युद्ध में जब दानवों का पलड़ा देवताओं से भारी होने लगा, तब इंद्रदेव इस बात से परेशान होकर, देवताओं के गुरु बृहस्पति के सम्मुख गए, परंतु इंद्र की पत्नी इंद्राणी यह सब वार्तालाप सुन रही थी, तब उन्होंने एक रेशम के धागे को अपने मंत्रोच्चार द्वारा पवित्र करके इंद्र के हाथ पर बांध दिया। यह संयोग ही था कि उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी, उस युद्ध में देवताओं की विजय हुई। तब से सभी की यह मान्यता रही है कि इंद्राणी द्वारा इंद्र के हाथ में बांधे गए रक्षा सूत्र ( राखी ) की शक्ति के कारण ही उस युद्ध में देवताओं समेत इंद्र की विजय हुई। तभी से श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा शुरू हुई।
- दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत काल में श्री कृष्ण के द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल वध के समय उनकी तर्जनी उंगली में चोट लगी थी, ठीक उसी समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी से चीर, फाड़कर श्री कृष्ण की घायल उंगली पर पट्टी बांधी थी। द्रौपदी के इस कार्य के लिए श्री कृष्ण ने उन्हें वचन दिया था कि किसी भी संकट में सहायता के लिए उन्हें पुकार लेना।इसी कारण द्रौपदी के चीरहरण के समय श्री कृष्ण ने उनकी चीर बढ़ाकर द्रौपदी का उपकार चुकाया था। माना जाता है कि यही से रक्षा बंधन त्यौहार का प्रारंभ हुआ और बहन-भाई के परस्पर प्रेम और बहन की रक्षा की भावना का विकास हुआ।
- महाभारत की ही एक और कथा के अनुसार एक बार युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से पूछा कि मैं जीवन में सभी संकटों का सामना कैसे कर सकता हूं, उत्तर में श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर तथा उनकी सेना को रक्षा बंधन का पर्व मनाने के लिए कहा, उन्होंने युधिष्ठिर से कहा कि राखी के रेशमी धागे बहुत शक्तिशाली हैं इनमें ऐसी शक्ति विद्यमान है जिससे आप जीवन के सभी संकटों से पार उतर सकते हो। इसी कारण महाभारत काल में श्री कृष्ण को द्रोपदी के द्वारा और अभिमन्यु को कुंती के द्वारा रक्षा सूत्र बांधने के उल्लेख मिलते हैं।
2. रक्षा बंधन से जुड़ी ऐतिहासिक कथाएं – Historical Stories Related to Raksha Bandhan
- एक बार बहादुरशाह ने मेवाड़ की रानी कर्मावती के राज्य पर आक्रमण किया, उस समय रानी कर्मावती युद्ध करने की स्थिति में नहीं थीं, इसलिए उन्होंने मुगल शासक हुमायूँ के पास राखी भेजी और स्वयं के राज्य की रक्षा करने का आग्रह किया। हुमायूँ, रानी कर्मावती तथा रक्षा सूत्र का सम्मान करते हुए अपनी सेना लेकर मेवाड़ पहुंचा तथा रानी कर्मावती की ओर से बहादुरशाह के साथ युद्ध करके मेवाड़ और रानी कर्मावती की रक्षा की।
- भारतीय इतिहास में बार-बार इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब राजपूत राजा युद्ध के लिए जाते थे तब उनकी रानियां उनके माथे पर तिलक करके कलाई पर रेशमी धागा बांधती थीं, और इसके पीछे यही विश्वास होता था कि वह रेशमी धागा राजा को विजय दिलाएगा।
- राखी को लेकर भारतीय इतिहास में एक और प्रसंग का उल्लेख मिलता है, जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया, तब उसका सामना हिंदू राजा पोरस से हुआ, ऐसा वर्णन मिलता है कि सिकंदर की पत्नी ने राजा पोरस को राखी बांध कर अपना मुंह बोला भाई बनाया था और उनसे यह वचन लिया था कि युद्ध में वह सिकंदर का वध ना करें, बाद में युद्ध के समय राजा पोरस ने मुंह बोली बहन, और उसकी राखी का मान रखते हुए सिकंदर को जीवनदान भी दिया था।
साहित्य में रक्षा बंधन का वर्णन – Description of Raksha Bandhan in Literature
कहा जाता है कि, ‘साहित्य समाज का दर्पण है’। हर काल में हमारे समाज का प्रतिबिंब साहित्य में दिखाई देता है, इसीलिए समाज के सभी रीति रिवाज, त्यौहार व क्रियाकलाप हमारे साहित्य में भी प्रदर्शित होते हैं।
रक्षा बंधन त्यौहार के बारे में समय-समय पर साहित्यकारों ने अपने साहित्य में इस पर्व का वर्णन किया है। इनमें प्रमुख रूप से 1991 में हरि कृष्ण प्रेमी द्वारा रचित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक नाटक ‘रक्षा बंधन ‘ का 18 वां संस्करण प्रकाशित हुआ था। रामराव सुभानराव बर्गे ने शिंदे साम्राज्य के बारे में मराठी में ‘राखी उर्फ रक्षा बंधन ‘ नामक एक नाटक की रचना की थी।
फिल्मों में भी लोकप्रिय रहा रक्षा बंधन का त्यौहार – Raksha Bandhan was also Popular in Films
क्योंकि फिल्में भी साहित्य का एक भाग हैं अतः रक्षा बंधन 50 और 60 के दशक में फिल्मों का लोकप्रिय विषय रहा है। उस दौर में रक्षा बंधन पर कई फिल्में प्रदर्शित की गईं। उनमें से कुछ फिल्में पूरी तरह रक्षा बंधन पर थीं, कुछ में रक्षा बंधन के गाने प्रदर्शित किए गए थे। रक्षा बंधन पर कुछ फिल्मों की सूची निम्न प्रकार है –
फिल्म | वर्ष |
---|---|
सिकंदर | 1941 |
छोटी बहन | 1959 |
राखी | 1962 |
अनपढ़ | 1962 |
काजल | 1965 |
हरे रामा हरे कृष्णा | 1971 |
रेशम की डोरी | 1974 |
धर्मात्मा | 1975 |
रक्षा बंधन | 1976 |
चंबल की कसम | 1980 |
सनम बेवफा | 1991 |
तिरंगा | 1993 |
हम साथ साथ हैं | 1999 |
फिज़ा | 2000 |
अग्नीपथ | 2012 |
रक्षा बंधन | 2022 ( रिलीज डेट 11 अगस्त ) |
स्वतंत्रता संग्राम में रक्षा बंधन का महत्व –
देश को आजाद कराने के लिए भारत के स्वतंत्रता संग्राम में लोगों को जागरूक करने तथा एकजुट करने के लिए रविंद्र नाथ टैगोर जी ने रक्षा बंधन का सहारा लिया था। उन्होंने कहा रक्षा बंधन का दिन सिर्फ भाई बहनों के रिश्ते को मजबूत करने का दिन नहीं है , इस दिन हमें एक दूसरे के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत करना होगा।
भारतीय जनमानस को एक दूसरे के करीब लानेऔर एकजुट करने के लिए उन्होंने रक्षा बंधन की शुरुआत की। उसी परंपरा के तहत आज भी लोग पश्चिम बंगाल में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए आसपास के लोगों और दोस्तों को राखी बांधते हैं।
इस त्यौहार पर सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाएं – Facilities Provided by Govt. on this Festival
इस त्यौहार के अवसर पर सरकार का डाक व तार विभाग बहनों को कई सुविधाएं प्रदान करता है। इस मौके पर डाक द्वारा बहनों द्वारा भेजी जाने वाली राखियों पर डाक विभाग विशेष प्रकार की छूट प्रदान करता है, जिससे डाक से भेजने वाली राखियों पर आने वाला खर्च बहुत कम हो जाता है। इस अवसर पर कई राज्यों की सरकारें बहनों के लिए बस, ट्रेन तथा मेट्रो में मुफ़्त यात्रा करने का अवसर प्रदान करती हैं।
तकनीकी क्रांति के युग में अपडेट हुआ रक्षा बंधन – Raksha Bandhan Updated in the Era of Technological Revolution
आधुनिक तकनीक ने हर क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस तकनीक से हमारे समाज का कोई भी पहलू अछूता नहीं रहा है, नतीजतन आज हमारे त्यौहारभी अपडेट हो चुके हैं। तकनीकी क्रांति का असर रक्षा बंधन पर भी पड़ा है।
आजकल इंटरनेट की सुविधा के बाद बहुत सी ई-कॉमर्स वेबसाइट ऑनलाइन ऑर्डर लेती हैं, और दिए हुए पते पर घर बैठे राखी पहुँच देती हैं। इस प्रकार जिन बहनों के भाई सेना में या विदेश में होते हैं, उन तक राखी पहुंच जाती हैं।
तकनीक का ही कमाल है कि सात समुंदर पार विदेश में बैठे भाई वीडियो कॉल के जरिए इस त्यौहार के मौके पर अपनी बहन से बात करते हैं, उन्हें देख लेते हैं और इस तरह उन्हें यह महसूस भी नहीं होता कि राखी के त्यौहार पर वह अपनी बहन से नहीं मिले।
रक्षा बंधन त्यौहार का महत्व – Raksha Bandhan Significance
वैसे तो हमारे देश में बहुत से महत्वपूर्ण त्यौहार मनाए जाते हैं, परंतु भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का महत्व कुछ अलग ही है। अगर देखा जाए तो किसी भी भाई बहन का प्यार किसी एक विशेष दिन या त्यौहार का मोहताज नहीं होता।
परंतु इस पर्व के साथ भाई-बहन के प्रेम की ऐसी धार्मिक और ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हैं, जिसके कारण ही इस विशेष दिन को त्यौहार के रूप में मनाने के कारण इसका खास महत्व है।
वास्तव में यह पर्व सूत या रेशम के धागों से बनी राखी के मजबूत बंधन को दिखाता है, बहन की भावनाओं, दुआओं तथा प्रेम से मिलकर राखी के धागे इतने मजबूत हो जाते हैं कि वह हमेशा संकट में उसके भाई की रक्षा करते हैं।
साथ ही बहन के रक्षा सूत्र से व प्रेम से भाई को इतना भावनात्मक बल मिलता है कि वह हमेशा अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है। प्रेम-प्यार, स्नेह, भावना, रक्षा-संकल्प के धागों से बना होने के कारण ही इस त्यौहार का विशेष महत्व है।
जैन धर्म में रक्षा बंधन का महत्व – Raksha Bandhan Significance in Jainism
जैन धर्म में रक्षा बंधन एक महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार के दिन जैन धर्म के एक मुनि ने अपने 700 मुनियों के प्राणों की रक्षा की थी। तभी से जैन धर्म के लोग इस पर्व के दिन हाथ में एक सूत की डोरी बांधकर इस पर्व को मनाते हैं।
भारत के अलावा रक्षा बंधन पर्व मनाने वाले देश – Countries Celebrating Raksha Bandhan other than India
हमारे देश के अलावा रक्षा बंधन का पर्व नेपाल, मॉरीशस, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में भी बहुत हर्षोल्लास से मनाया जाता है।
जल्दी रिलीज होगी अक्षय कुमार की नई फिल्म ‘रक्षा बंधन’ – Akashay Kumar’s New Film ‘Raksha Bandhan’ will be Released Soon
एक बार फिर से ‘रक्षा बंधन‘ नाम से हिन्दी सिनेमा में एक और फिल्म बनकर जल्द ही रिलीज के लिए तैयार है। इस फिल्म को जी स्टूडियोज तथा आनंद एल रॉय ने निर्मित व आनंद एल रॉय ने ही निर्देशित किया है , हिमांशु शर्मा फिल्म के लेखक हैं। फिल्म के संगीतकार हिमेश रेशमिया हैं।
फिल्म की कहानी एक भाई और उसकी चार बहनों के इर्द-गिर्द घूमती है| यह फिल्म दहेज प्रथा पर चोट करती है, फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में अक्षय कुमार, भूमि पेंढ़नेकर, सादिया, सीमा पाहवा हैं।
यह फिल्म 11 अगस्त 2022 को रक्षा बंधन के मौके पर रिलीज होगी।
You May Also Like
- सिक्खों का प्रमुख पर्व लोहड़ी, महत्व, इतिहास और सम्पूर्ण जानकारी
- भक्ति रस से सराबोर पर्व जन्माष्टमी का विस्तृत वर्णन
- शक्ति की उपासना का पर्व- चैत्र नवरात्रि पर निबंध 2023
- रंगों व मस्ती के पर्व होली पर निबंध 2023, इतिहास, महत्व
FAQ
प्रश्न – रक्षा बंधन क्या है ?
उत्तर – रक्षा बंधन हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, यह भाई बहनों के अटूट प्रेम को प्रदर्शित करने वाला त्यौहार है।
प्रश्न – हिन्दू पंचाग के अनुसार रक्षा बंधन की तिथि क्या हैं?
उत्तर – यह त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
प्रश्न- राखी का त्यौहार इस साल कब मनाया जायेगा ?
उत्तर – 2022 में रक्षा बंधन का त्यौहार राखी बांधने का शुभ-मुहूर्त को मनाया जाएगा।
प्रश्न- रक्षा बंधन क्यों मनाते हैं निबंध?
उत्तर – इस दिन बहनें भाई के राखी बांध कर उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं, और भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं, अतः यह त्यौहार भाई बहन के एक दूसरे के प्रति प्रेम व समर्पण लिए के लिए मनाया जाता है।
प्रश्न – रक्षा बंधन पर्व का क्या महत्व है?
उत्तर – रक्षा बंधन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है, यह पर्व भाई बहन के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाता है, इसीलिए इस पर्व का बहुत महत्व है।
प्रश्न – रक्षा बंधन का त्यौहार कब और कैसे शुरू हुआ?
उत्तर – रक्षा बंधन का त्यौहार वास्तव में कब शुरू हुआ, इस बात को कोई प्रमाणिक विवरण नहीं है, परंतु यह त्यौहार बहुत प्राचीन है, महाभारत काल तथा पुराणों में इसके प्रारंभ होने की कई कथाओं का उल्लेख मिलता है।
प्रश्न- राखी किसका प्रतीक है?
उत्तर – राखी भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है।
प्रश्न – रक्षा बंधन का अर्थ क्या है ?
उत्तर – यदि रक्षा बंधन शब्द का संधि विच्छेद किया जाए तो यह रक्षा+ बंधन होता है, इस प्रकार रक्षा बंधन का शाब्दिक अर्थ होता है, रक्षा ( सुरक्षा ) के लिए बांध लेना ( संकल्पित होना )
हमारे शब्द ( निष्कर्ष ) – Conclusion
प्रिय पाठकों ! हमारे इस लेख ( Raksha Bandhan Essay in Hindi। रक्षा बंधन पर निबंध। रक्षा बंधन 2023 ) में Raksha Bandhan Essay in Hindi के बारे में हमने आपको विस्तार से हर जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। रक्षा बंधन से जुड़ी वृहत जानकारी आपको कैसी लगी ?
यदि आप ऐसे ही अन्य लेख पढ़ना पसंद करते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमें अवश्य लिखें, हम आपके द्वारा सुझाए गए टॉपिक पर लिखने का अवश्य प्रयास करेंगे । दोस्तों, अपने कमेंट लिखकर हमारा उत्साह बढ़ाते रहें , साथ ही यदि आप को हमारा ये लेख पसंद आया हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर अवश्य करें ।
अंत में – हमारे आर्टिकल पढ़ते रहिए, हमारा उत्साह बढ़ाते रहिए, खुश रहिए और मस्त रहिए।
जीवन को अपनी शर्तों पर जियें ।
You May Also Like
- पति-पत्नी के प्रेम और समर्पण का त्यौहार करवा चौथ की सम्पूर्ण जानकारी
- प्रकाश पर्व दिवाली के हर पहलू की विस्तृत जानकारी
- शक्ति और शौर्य की उपासना का पर्व दशहरा/विजयदशमी
- हिन्दू पर्व शारदीय नवरात्रि के बारे में जानिए सम्पूर्ण जानकारी
- जानिए श्राद्ध पक्ष की पूजा विधि, इतिहास और महत्व की सम्पूर्ण जानकारी
- गणेश चतुर्थी पर्व को मनाने का कारण, इतिहास, महत्व
- जानें, क्या है मकर संक्रान्ति पर्व , क्यों मनाते हैं ? महत्व, पूजा विधि
42 thoughts on “Raksha Bandhan Essay in Hindi | रक्षा बंधन पर निबंध । रक्षा बंधन 2023”