माना जाता है कि हर बच्चा स्पेशल है। परंतु फिर भी उन सभी बच्चों में से कुछ बच्चे वास्तव में स्पेशल की श्रेणी से आगे बढ़कर जीनियस साबित होते हैं।
अधिकांश बच्चे अपना बचपन सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई लिखाई करते हुए और खेलते-कूदते बिताते हैं, जबकि यह जीनियस बच्चे उसी समय अपनी विशिष्ट प्रतिभाओं के बल पर अपने भविष्य को बढ़ने का काम करते हैं।
ऐसे बच्चे बहुत पहले ही अपनी रुचि को भांप लेते हैं, और फिर उसी के अनुसार अपने भविष्य की दिशा को तय करके अपनी लगन, अथक परिश्रम और दृढ़ निश्चय के बल पर आगे बढ़ते हुए अपने सपने को साकार करते हैं।
यह न सिर्फ अपने माता-पिता, गांव-शहर का नाम रोशन करते हो बल्कि अपने कार्यों से पूरे देश और देशवासियों को गौरवान्वित होने का अवसर प्रदान करते हैं।
रमेशबाबू प्रग्गनानंद (Rameshbabu Praggnanandhaa) – दुनिया का दूसरा सबसे छोटा शतरंज ग्रैंडमास्टर
दोस्तों, आज हम आपको अपने देश के ऐसे ही एक जीनियस बच्चे के बारे में बताएंगे, जिन्होंने बहुत छोटी सी उम्र में अपनी प्रतिभा के बल पर पूरी दुनिया को चौंका दिया है और कई खिताब अपने नाम किए हैं।
यह बालक भारत का सबसे कम उम्र का शतरंज चैंपियन रमेशबाबू प्रग्गनानंद (Rameshbabu Praggnanandhaa) या रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा या रमेशबाबू प्रगनानंदा है। तो आइए जानते हैं देश की इस नई प्रतिभा के बारे में हमारे इस लेख Praggnanandhaa Biography in Hindi में।
प्रगनानंदा के बारे में जानकारी – Information About R Praggnanandhaa
भारतीय शतरंज का उदीयमान सितारा आर0 प्रग्गनानंद R.Praggnanandhaa | |
वास्तविक नाम | रमेशबाबू प्रगनानंदा |
उपनाम | प्रग्गनानंद, प्रगा |
जन्म की तारीख | 10 अगस्त, 2005 |
उम्र (Praggnanandhaa Age) | 18 वर्ष ( 2023 के अनुसार) |
जन्म स्थान | पाड़ी गाँव, चेन्नई, तमिलनाडु राज्य |
शैक्षिक योग्यता | कक्षा 10 ( पढ़ाई जारी है) |
स्कूल | वेलम्माल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई, तमिलनाडु |
पिता का नाम | रमेश बाबू (बैंक में कर्मचारी) |
माता का नाम | नागालक्ष्मी |
भाई बहन | वैशाली रमेशबाबू ( बड़ी बहन) शतरंज खिलाड़ी |
धर्म | हिन्दू |
नागरिकता | भारतीय |
होम टाउन | पाड़ी गाँव, चेन्नई, तमिलनाडु राज्य |
पेशा | शतरंज खिलाड़ी |
लंबाई | 137 सेमी |
वजन | 48 किलोग्राम |
बालों का रंग | काला |
आंखों का रंग | काला |
खेल | शतरंज (Chess) |
कोच | एम.ए वेलायुधम, आर.बी रमेश (शतरंज खिलाड़ी ) |
प्राप्त उपाधियां | FIDE Master – 2013 International Master – 2016 Grand Master – 2018 |
अवॉर्ड | अर्जुन पुरस्कार |
FIDE RATING | 2707 ( 2023 के अनुसार) |
Peak Rating | 2618 |
चर्चा मे रहने का कारण | FIDE World Cup 2023 के फाइनल में जगह बनाना |
वर्ल्ड रैंकिंग (world ranking) | 29 |
आय | ₹ 8 लाख |
कुल नेटवर्थ | ₹ 1.5 करोड़ (2023 के अनुसार) |
रमेशबाबू प्रग्गनानंद का जीवन परिचय – Biography of Praggnanandhaa Rameshbabu
बरसों पहले चेन्नई के लिए माने जाने वाले चेन्नई ने देश को एक ग्रैंड मास्टर दिया था, नाम था विश्वनाथन आनंद। बरसों बाद एक बार फिर से इसी शहर ने देश को एक और हीरा दिया है जिसकी चमक से सारी दुनिया चकाचौंध है।
उसका नाम है प्रग्गनानंदा रमेशबाबू। 10 अगस्त 2005 को चेन्नई के पाड़ी में जन्में प्रग्गनानंदा बहुत तेजी से कम उम्र में शतरंज की दुनिया के सितारे बन चुके हैं।
उनका अद्भुत खेल देखकर सभी को विश्वास हो चला है कि बहुत जल्द देश को एक और ग्रैंडमास्टर मिलने वाला है।
देश की शतरंज प्रेमी इस बात को मानने लगे हैं कि यह बालक आने वाले समय में ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद की विरासत को आगे ले जाएगा। प्रग्गनानंदा दुनिया के दूसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर (world’s second youngest Chess Grandmaster) हैंं।
रमेशबाबू प्रग्गनानंद का प्रारंभिक जीवन – Praggnanandhaa Biography in Hindi
प्रग्गनानंद का जन्म 10 अगस्त 2005 को पाड़ी गाँव, चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ। प्रग्गनानंद 12 साल की बहुत कम उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए थे। प्रग्गनानंद महज तीन साल की उम्र में ही शतरंज से जुड़ गए थे।
प्रग्गनानंद के पिता रमेशबाबू जो बैंक में कार्यरत हैं, उन्होंने पोलियो से ग्रसित होने के उपरांत भी साहस नहीं छोड़ा और अपने दोनों बच्चों को अच्छी परवरिश दी।
वैशाली, (प्रग्गनानंद की बड़ी बहन) भी शतरंज की बड़ी खिलाड़ी थीं। उनसे प्रेरित होकर ही प्रग्गनानंद ने भी शतरंज खेलना शुरू किया।
प्रग्गनानंदा शतरंज के अलावा क्रिकेट खेलने के भी शौकीन हैं। उन्हें जब भी मौका मिलता है वो क्रिकेट मैच भी खेलते हैं।
वैसे, शतरंज में करियर बनाने को लेकर उन्होंने क्रिकेट में कोई उपलब्धि हासिल नहीं की है, परंतु उन्हें क्रिकेट मैच देखने और खेलने का बहुत शौक है।
रमेशबाबू प्रग्गनानंद का परिवार – Praggnanandhaa Family
प्रग्गनानंद एक मध्यमवर्गीय परिवार से संबंध रखते हैं। प्रगनानंदा के पिता का नाम के0 रमेश बाबू है। एक बैंक कर्मचारी हैं, इनके पिता अपने बचपन से पोलियो से ग्रसित हैं। प्रग्गनानंद की माता का नाम श्रीमती नगालक्ष्मी है, उनकी मां एक गृहणी हैं।
प्रग्गनानंद के माता-पिता शतरंज से ताल्लुक रखते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी न होने के कारण वे नहीं चाहते थे कि प्रग्गनानंद शतरंज खेलें।
परंतु आज वही माता-पिता अपने पुत्र की उपलब्धियों से रोमांचित और गौरवान्वित महसूस करते हैं। सचमुच उनके बेटे ने इतनी छोटी उम्र में वह उपलब्धियां हासिल की हैं जो किसी भी माता-पिता को गौरव का अनुभव कराएंगी।
प्रग्गनानंद की एक बड़ी बहन भी है, जिसका नाम आर वैशाली है। वैशाली रमेशबाबू बालिकाओं की Under-12 तथा Under-14 में World Youth Championship जीत चुकी हैं।
वैशाली महिला ग्रैंडमास्टर हैं (Woman Grandmaster Vaishali) वैशाली लातविया के रिगा में 12 अगस्त, 2018 को अपना अंतिम नॉर्म पूरा कर Women Grand Master बंनी।
प्रग्गनानंद के भी शतरंज खिलाड़ी बनने की अलग ही कहानी है। प्रग्गनानंद टेलिविजन बहुत अधिक देखते थे और उनकी इस आदत से उनके माता-पिता परेशान थे।
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उन्होंने प्रग्गनानंद का ध्यान टीवी से हटाने के लिए उन्हें शतरंज खेलने के लिए प्रेरित किया, और उनकी बहन वैशाली ने उन्हें चेस खेलना सिखा दिया।
और इसका परिणाम यह हुआ कि प्रग्गनानंद एक अब्बल दर्जे के शतरंज खिलाड़ी बन गये। तब उनकी बड़ी बहन वैशाली ने भी यह कल्पना नहीं की थी कि प्रग्गनानंद भविष्य में शतरंज में देश का नाम रोशन करेगा।
शतरंज के खेल में भारत के महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद भी उनके मार्गदर्शक बने।
रमेशबाबू प्रगनानंदा की शिक्षा – Praggnanandhaa Education
प्रग्गनानंद अपनी पढ़ाई में भी बहुत अच्छे हैंं। उन्होंने अपनी पक्षियों में हमेशा अच्छा परिणाम प्राप्त किया है।
वे चेन्नई के वेलम्माल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल मैं अध्ययनरत हैं। प्रग्गनानंद इस वर्ष कक्षा 10 में हैं। उनकी उपलब्धियों पर उनके स्कूल को भी गर्व है।
रमेशबाबू प्रगनानंदा का खेल करियर- Sports career of Rameshbabu Praggnanandhaa
प्रग्गनानंदा की इस स्वर्णिम सफलता का बड़ा श्रेय उनकी मां को जाता है। बचपन से ही शतरंज के हर टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए प्रग्गनानंदा को लाने और ले जाने की सारी जिम्मेदारी उनकी मां पर थी।
वह अपनी बेटी वैशाली और पुत्र प्रग्गनानंदा को शतरंज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया करती थीं और हमेशा उन दोनों को खेलने के लिए हर सहयोग करने को तैयार रहती थीं।
साल 2018 प्रग्गनानंदा के लिए बेहद खास रहा। प्रग्गनानंदा मात्र 12 वर्ष की छोटी उम्र में ही ग्रैंडमास्टर बन गए। वह देश के लिए सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने।
उन्होंने विश्वनाथन आनंद को भी इस मामले में पीछे छोड़ा दिया। आपको बताते चलें कि विश्वनाथन आनंद 18 वर्ष की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे।
प्रग्गनानंदा दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने वाले व्यक्ति हैं। इस मामले में यूक्रेन के सर्गेई कर्जाकिन उनसे आगे हैं। सर्गेई कर्जाकिन 2003 में मात्र 12 साल 7 माह की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे।
वर्तमान में नार्वे निवासी मैगनस कार्लसन विश्व के सर्वश्रेष्ठ शतरंज खिलाड़ी हैं, मैग्नस मात्र 13 वर्ष 4 माह की उम्र में ग्रैंडमास्टर बने थे.
जून 2018 में लियोन मास्टर्स टूर्नामेंट में ग्रैंडमास्टर वेस्ले सो (विश्व शतरंज में सातवें नम्बर के खिलाड़ी) के साथ उनका 4 मैच का रैपिड गेम था।
जानकार लोग ये मान रहे थे कि वेस्ले सो ये मैच आसानी से जीत लेंगे, लेकिन प्रग्गनानंदा ने ज्यादा अनुभवी और उम्र में बड़े खिलाड़ी को पहले ही गेम में हराकर सभी को हतप्रभ कर दिया।
इस टूर्नामेंट में 3 गेम खत्म होने तक स्कोर 1.5 -1.5 पर टाई था। परंतु आखिरी गेम में वेस्ले सो ने अपने अनुभव का लाभ उठाते हुए युवा प्रग्गनानंदा को परास्त कर मैच जीत लिया।
ग्रैंड मास्टर का खिताब जीतने के साथ-साथ प्रग्गनानंदा ने कई बड़े टूर्नामेंट जीते, परंतु कोरोना के चलते उन्हें कई टूर्नामेंट में शामिल होने में दिक्कत हुई।
काफी समय के बाद आर प्रग्गनानंदा ने दुनिया के पहली वरीयता प्राप्त खिलाड़ी मैगनस कार्लसन (Magnus Carlsen) को ऑनलाइन रैपिड शतरंज टूर्नामेंट एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें दौर में हराया।
प्रग्गनानंदा द्वारा कार्लसन की पराजय उनके कैरियर की सबसे बड़ी जीत मानी जा सकती है। इससे पहले भारत के पी हरिकृष्णा (Pentala Harikrishna) और विश्वनाथन आनंद (Viswanathan Anand) भी कार्लसन को हरा चुके हैं।
FIDE World Cup Finals 2023 में पहुंचे प्रगनानंदा रमेशबाबू –
इस समय प्रग्गनानंदा रमेशबाबू अज़रबेजान के बाकू में आयोजित FIDE World Cup Chess Tournament में खेल रहे हैं और दुनिया के श्रेष्ठ खिलाड़ियों को हराते हुए उन्होंने इस टूर्नामेंट के फाइनल में जगह बना ली है, जो कि उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
अब फिडे वर्ल्ड कप चेस टूर्नामेंट (FIDE World Cup Chess Tournament) के फाइनल मुकाबले में 18 वर्षीय आर प्रग्गनानंदा का सामना 31 वर्षीय नॉर्वे निवासी पांच बार के विश्व चैंपियन, दुनिया के नंबर वन खिलाड़ी, मैग्नस कार्लसन से होगा।
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फाइनल हारे पर खेल से सबका दिल जीता प्रगनानंदा ने – Praggnanandhaa Vs Magnus Carlsen News
दोनों के बीच बहुत ही कड़ा मुकाबाला देखने को मिला और प्रग्गनानंदा ने कार्लसन को अपनी चलो से सोचने पर मजबूर कर दिया। पहले दिन का खेल खतम हुआ और दूसरे दिन फिर कार्लसन तैयारी के साथ आए।
दो गेम ड्रॉ हुए और मैच टाई ब्रेकर में पहुँच गया, जहां गेम रैपिड फायर जैसा होता है, हर चाल के लिए खिलाड़ी के पास निश्चित समय होता है, और उसे सोचने के लिए ज्यादा वक़्त नहीं मिलता।
इस टूर्नामेंट का फाइनल 22 अगस्त को ही होना था परंतु उस दिन का मैच ड्रॉ हो गया। फिर 23 अगस्त को खेला गया मैच भी ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
और मैच टाई ब्रेकर में पहुंच गया 24 अगस्त को टाईब्रेकर में मैच ज्यादा लंबा नहीं चल सका। शायद कार्लसन का अनुभव युवा भारतीय खिलाड़ी पर भारी पड़ा।
कार्लसन ने 1.5-0.5 से प्रग्गनानंदा को हरा दिया। और प्रग्गनानंदा ने शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए भारत की झोली में सिल्वर मेडल डाल दिया। वे इस प्रतियोगिता के रनर अप (FIDE Chess world cup 2023 runner up) रहे।
दरअसल ये प्रग्गनानंदा की हार नहीं बल्कि दुनिया के दिग्गजों को चेतावनी है और इशारा है इस बात का की आने वाले समय में दुनिया के शतरंज सम्राट कोई और नहीं बल्कि प्रग्गनानंदा ही होंगे।
अपने इस प्रदर्शन से उन्होंने एक बार फिर सबका दिल जीत लिया है। इसी के साथ उन्होंने कैंडिडेट्स टूर्नामेंट 2024 में अपना स्थान पक्का कर लिया है।
इससे पूर्व आर. प्रग्गनानंदा ने सेमीफाइनल में दुनिया की तीसरी वरीयता के खिलाड़ी अमेरिका के फैबियानो करूआना को 3.5-2.5 से हराया, और फाइनल में अपना स्थान बनाया था।
प्रग्गनानंदा रमेशबाबू FIDE World Cup Chess Tournament के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय बन गए हैं। भारत के महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ही उनसे पहले वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह बनाने में कामयाब रहे थे।
प्रग्गनानंदा अगर यह किताब जीत लेते तो वह इस खिताब को जीतने वाले दूसरे भारतीय बन जाते, उनसे पूर्व भारत के विश्वनाथन आनंद ने 2000 और 2002 में यह खिताब अपने नाम किया था।
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रमेशबाबू प्रगनानंदा की उपलब्धियां – Praggnanandhaa Achievements
इस लेख Praggnanandhaa Biography in Hindi में हम आपको R Praggnanandhaa की उपलब्धियां बता रहे हैं –
- प्रग्गनानंद ने महज 7 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप (World Youth Chess Championship) जीती।
- मात्र 8 वर्ष की उम्र में प्रग्गनानंद ने Under-8 Title जीता।
- उसके बाद प्रग्गनानंद ने 10 वर्ष की उम्र में Under-10 Title जीता।
- प्रग्गनानंद ने महज 10 वर्ष की उम्र में सबसे कम उम्र का अंतरराष्ट्रीय मास्टर बनने का कीर्तिमान बनाया।
- विश्व के 5 वें सबसे युवा शतरंज खिलाड़ी हैं प्रग्गनानंद।
- प्रग्गनानंद 12 वर्ष की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब जीतकर दुनिया में सबसे कम उम्र के दूसरे खिलाड़ी बने ।
- विश्व के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को प्रग्गनानंद 16 वर्ष की आयु में मात्र 39 चालों में पहले ही परास्त कर चुके हैं।
- केवल 10 साल की उम्र में प्रग्गनानंदा रमेशबाबू ने इंटरनेशनल चेस मास्टर का खिताब जीता।
- प्रग्गनानंदा रमेशबाबू 12 साल की उम्र में चेस ग्रैंडमास्टर का खिताब जीतने वाले दुनिया के मात्र दूसरे युवा हैं।
- प्रग्गनानंदा रमेशबाबू ने 2022 में महज 16 वर्ष की उम्र में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को हराया।
- प्रग्गनानंदा रमेशबाबू अगस्त 2023 में विश्वनाथन आनंद के बाद वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे खिलाड़ी बने।
- प्रग्गनानंदा दुनिया के दूसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कैरुआना को हराकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे।
- मात्र 14 वर्ष की उम्र में प्रग्गनानंदा ने 40 से अधिक देशों में जाकर बड़े-बड़े खिलाड़ियों को हराया।
प्रगनानंदा रमेशबाबू से जुड़े रोचक तथ्य – Praggnanandhaa Interesting Facts
R. Praggnanandhaa से जुड़े रोचक तथ्यों की जानकारी Praggnanandhaa Biography in Hindi लेख के माध्यम से आपको पहुंचा रहे हैं।
- प्रग्गनानंदा का जन्म 10 अगस्त 2005 को पाड़ी गाँव, चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ।
- प्रग्गनानंदा क्रिकेटर बनना चाहते थे, परंतु आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी ना होने के कारण उनके पिता के कहने पर उन्होंने शतरंज का खेल चुना।
- पहली बार उन्होंने ₹100 का शतरंज खरीद कर खेलना शुरू किया।
- शतरंज का खेल उन्होंने अपनी बड़ी बहन वैशाली से सीखा।
निष्कर्ष –
प्रग्गनानंदा बहुत कम उम्र में शतरंज के महान खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। भले ही वे कार्लसन से विश्व चैंपियनशिप में हार गए हैं पर उनकी यह हार दुनिया भर के दिक्कत शतरंज खिलाड़ियों के लिए एक चेतावनी है और इशारा है इस बात का, कि आने वाले समय में वो ही शतरंज की दुनिया के बादशाह होंगे।
FAQs
प्रश्न – रमेशबाबू प्रग्गनानंदा कौन हैं ?
उत्तर – रमेशबाबू प्रग्गनानंदा दुनिया के दूसरे सबसे छोटे उम्र के चेस ग्रैंडमास्टर हैं।
प्रश्न – प्रग्गनानंदा का जन्म कब और कहां हुआ ?
उत्तर – प्रग्गनानंदा का जन्म 10 अगस्त, 2005 को पाड़ी गाँव, चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था।
प्रश्न – प्रग्गनानंदा कहां के रहने वाले हैं ?
उत्तर – पाड़ी गाँव, चेन्नई, तमिलनाडु राज्य
प्रश्न – प्रग्गनानंदा वर्ल्ड कप फाइनल में किसके साथ खेल रहे हैं ?
उत्तर – मैग्नस कार्लसन के साथ
प्रश्न – प्रग्गनानंदा ने अपना पहला विश्व खिताब कब जीता था ?
उत्तर – प्रग्गनानंदा ने अपना पहला विश्व खिताब, विश्व युवा चैंपियनशिप अंडर-8 महज 8 वर्ष की उम्र में जीता था।
हमारे शब्द – Our Words
प्रिय पाठकों ! हमारे इस लेख (Rameshbabu Praggnanandhaa Biography in Hindi | Praggnanandhaa Biography in Hindi) में रमेशबाबू प्रग्गनानंद का जीवन परिचय के बारे में Biography of R Praggnanandhaa से जुड़ी वृहत जानकारी आपको कैसी लगी ?
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जीवन को अपनी शर्तों पर जियें ।
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