देश का पहला सूर्य मिशन हुआ लॉन्च | आदित्य L1 मिशन क्या है ? | Aditya L1 Mission in Hindi

5/5 - (1 vote)

दोस्तों, आपने आजकल भारत के अंतरिक्ष मिशन के बारे में तो सुना ही होगा। अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं कि भारत  आजकल अंतरिक्ष मिशन के मामले में पूरी दुनिया का सिरमौर बना हुआ है। 

जी हाँ .. अभी 23 अगस्त 2023 को ही भारत ने चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की सफल लैन्डिंग कराई और उसके मात्र कुछ दिनों के बाद ही 2 सितंबर 2023 को एक और मिशन अर्थात आदित्य एल 1 (Aditya L1) के नाम से सूर्य मिशन की शुरुआत कर पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया है। 

चाँद की धरती पर अपनी विजय पताका लहराने के बाद अब सूर्य की बारी है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान की सफलता के बाद अपना सौर अभियान शुरू कर दिया है जिसे इसरो ने आदित्य L1 मिशन का नाम दिया है। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने  2 सितंबर को भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्‍य एल-1 (Aditya-L1) लॉन्‍च किया। इस मिशन को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से 11 बजकर 50 मिनट पर लॉन्‍च किया गया। 

इस मिशन को PSLV-C57 रॉकेट के द्वारा लॉन्‍च किया गया। लॉंचिंग के बाद ये 125 दिन का सफर पूरा करते  हुए L1 पॉइंट (लैग्रेंजियन पॉइंट) पहुंचेगा। 

आदित्य L1 मिशन का उद्देश्य सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है। इसे हेलो ऑर्बिट (सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पास) में स्थापित किया जायेगा। 

हम आपको इस लेख  Aditya L1 Mission in Hindi | आदित्य L1 मिशन क्या है ? में इस मिशन से जुड़ी प्रत्येक जानकारी देंगे जो आपको जरूर जाननी चाहिए।

आदित्य L1 मिशन महत्वपूर्ण जानकारी, Aditya L1 Mission in Hindi 

बिन्दु जानकारी
मिशन का नाम आदित्य L1 मिशन
लॉन्च की तारीख व समय (Launching Date & Time )2 सितंबर 2023, प्रातः 11:50 पर 
लॉन्च करने का स्थान (Launching Place)सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्री हरिकोटा रेंज, आंध्र प्रदेश  
वजन 1500 किलोग्राम 
लागत रु0 378 करोड़
निर्माणकर्ता इसरो, एस्ट्रोनॉमिकल स्पेस एजेंसी, इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स
उद्देश्य सूर्य के बारे में अध्ययन 
होम पेज यहाँ क्लिक करें

सूर्य मिशन आदित्य L1 का इतिहास – History Of Aditya L1 Mission In Hindi

अंतरिक्ष विज्ञान सलाहकार समिति (ADCOS) द्वारा जनवरी 2008 में मिशन आदित्य की परिकल्पना की गई। प्रारंभ में इसकी कल्पना सौर कोरोना (सूर्य की बाहरी परत) का अध्ययन करने के लिए की गयी।

उस समय इसकी कल्पना केवल कोरोनोग्राफ के साथ पृथ्वी की 800 किमी की कक्षा  में एक छोटे उपग्रह (400 किलोग्राम) के रूप में थी। 

2016-2017 में इस मिशन का प्रायोगिक बजट ₹3 करोड़ आवंटित किया गया। बाद में इस अभियान का दायरा बढ़ाकर इसे लैग्रेंज बिंदु (L1) पर स्थापित की जाने वाली एक व्यापक सौर और अंतरिक्ष पर्यावरण वेधशाला के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। 

उसके बाद से इस मिशन का नाम बदलकर आदित्य-L1 कर दिया गया। 2019 तक इस मिशन की लागत को ₹378 करोड़ कर दिया है। 

इस मिशन को Aditya L1 नाम क्यों दिया गया –

पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किमी0 है । इसके बीच एक ऐसा स्थान है जहाँ सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित हो जाता है। उस स्थान पर ऐसे 5 बिंदु (Point) हैं। उस स्थान को लैन्ग्रेज पॉइंट कहा जाता है।

दरअसल L1 उस स्थान पर वह पहला बिंदु है। सरल भाषा में आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि लैंग्रेंज पॉइंट किसी अंतरिक्ष यान के लिए पार्किंग स्थल का काम करता है।

इस स्थान पर किसी भी यान को लंबे समय तक रखकर विभिन्न प्रकार के परीक्षण किए जा सकते हैं और जानकारियां इकट्ठा की जा सकती हैं।

दरअसल सूर्य को आदित्‍य नाम से भी पुकारा जाता है और इसे L1 पॉइंट तक जाना है, इसीलिए इस मिशन का नाम आदित्य L1 रखा गया है।

सूर्य का अध्ययन करने वाली Aditya L1 स्पेस में स्थित पहली इंडियन लेबोरेट्री होगी। आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य है L1 पॉइंट के चारों ओर की कक्षा में रहकर सूर्य का अध्ययन करना। 

You May Also Like

आखिर L1 पॉइंट है क्या ? What is L1 Point ?

पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। सूर्य और पृथ्वी की  अपनी-अपनी ग्रेविटी है,  वह बिंदु जहां सूर्य और पृथ्वी दोनों की ग्रेविटी संतुलित होती है उस स्थान को लैंग्रेज पॉइंट का नाम दिया गया है।

पृथ्वी और सूर्य की दूरी के बीच पांच लैंग्रेज  पॉइंट स्थित हैं, इन्‍हें L1, L2, L3, L4 और L5 पॉइंट के नाम से जाना जाता है। इन पॉइंट्स के नाम 18वीं सदी के महान इतालवी गणितज्ञ और खगोलशास्त्री जोसेफ-लुई लैग्रेंज के नाम पर रखे गये हैं।

इनमें से  L4 और L5 बिंदु  स्थिर हैं जबकि L1, L2, L3 स्थिर नहीं हैं और इनकी स्थिति बदलती रहती है। इनमें L1 प्रथम बिंदु है, और पृथ्वी से इसकी दूरी 15 लाख किलोमीटर है।

L1 बिंदु या पॉइंट को लैग्रेंज पॉइंट, लिबरेशन पॉइंट, लैग्रेंजियन पॉइंट, या एल-पॉइंट के नाम से जानते हैं।

Aditya L1 Mission in Hindi
Aditya L1 Mission in Hindi

केवल L1 पॉइंट को ही चुनने का क्या कारण है ?    

आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि पॉइंट L1 सूर्य और पृथ्वी के बीच एक ऐसा स्थान है, जहां से दिन-रात (24 घंटे) सूर्य का अवलोकन और अध्ययन किया जा सकता है।

L1 वह जगह है जहां पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के मध्य एक संतुलन बन जाता है। पृथ्वी और सूर्य के गुरुत्वाकंर्षण के बीच बने इस संतुलन के कारण वहां एक सेंट्रिफ्यूगल फोर्स (Centrifugal Force) बन जाता है।

इस Force की वजह से कोई भी Spacecraft एक ही स्थान पर स्थिर रह सकता है। साथ ही यह स्थान दिन-रात के चक्र और ग्रहण से भी प्रभावित नहीं होता। अतः इस स्थान से सूर्य को हर समय (पूरे सप्ताह और 24 घंटे) देखा जा सकता है। 

इसी के साथ L1 पॉइंट पृथ्वी के सबसे करीब है इसलिए इस पॉइंट से संचार में बहुत आसानी होगी। अतः सूर्य के अध्ययन के लिए यह पॉइंट सर्वाधिक उपयुक्त स्थान है।

L1 का ये नाम कैसे पड़ा-

इस स्थान का नाम L1 अर्थात लैन्ग्रेज पॉइंट 1 इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ और वैज्ञानिक जोसेफ-लुइस लैग्रेंज के नाम पर पड़ा। 

चूंकि यह पृथ्वी और सूर्य के बीच के गुरुत्वाकर्षणविहीन 5 पॉइंट्स में से पहला लैन्ग्रेज पॉइंट है अतः इसका नाम लैन्ग्रेज1 या L1 है।

आदित्य L1 को लैग्रेंज पॉइंट तक पहुंचने में कितना समय लगेगा –

भारत के सौर मिशन आदित्य एल1 को  आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से PSLV C57  के द्वारा लांच किया गया है।

इसे सर्वप्रथम पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा और फिर इसे वहां से बूस्ट करके L1 पॉइंट  तक पहुंचाया जाएगा।

 इस पूरी प्रक्रिया में  सौरयान को L1  पॉइंट तक पहुंचने में 127 दिन का समय लगेगा। 

आदित्य L1 में पेलोड की संख्या व उनके कार्य –

आदित्य-L1 में पेलोड की संख्या 7 है। ये 7 पेलोड अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का अध्ययन  व निरीक्षण करने में मदद करेंगे।

इस सौर मिशन का लक्ष्य L1 के चारों ओर की कक्षा में रहकर सूर्य के बारे में अध्ययन करना है। इन  पेलोड का काम निम्न प्रकार रहेगा। 

पेलोडकार्य 
1विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ या VELC (Visible Emission Line Coronagraph)यह सूर्य की सिर्फ बाहरी परत अर्थात सौर कोरोना व कोरोनल मास इजेक्शन की स्टडी करेगा। 
2सोलर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप या SUIT  (Solar Ultra-violet Imaging Telescope)यह पेलोड अल्ट्रा-वायलेट के पास सोलर फ़ोटोस्फीयर व क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेने के साथ-साथ सौर विकिरण का  अध्ययन भी करेगा। 
3आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट या ASPEX (Aditya Solar wind Particle EXperiment)यह पेलोड सौर आयनों, सौर पवन व ऊर्जा वितरण की स्टडी  करेगा। 
4प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य या PAPA (Plasma Analyser Package for Aditya)यह पेलोड सौर आयनों, सौर पवन व ऊर्जा वितरण की स्टडी  करेगा। 
5सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर  या (SoLEXS)यह पेलोड एक्स-रे ऊर्जा रेंज में सूर्य की ओर से आने वाली एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा। 
6हाई एनर्जी एल 1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर या HEL1OS (High Energy L1 Orbiting X-ray Spectrometer)यह पेलोड भी, SoLEXS की ही भांति एक्स-रे ऊर्जा रेंज में सूर्य की ओर से आने वाली एक्स-रे किरणोंकी स्टडी करेगा।    
7एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई-रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (Advanced Tri-axial High-Resolution Digital Magnetometers)यह पेलोड लैग्रेंजियन पॉइंट (L1) पर दो ग्रहों के मध्य के चुंबकीय क्षेत्र के मापन का कार्य करेगा। 
आदित्य L1 अगले 5 वर्षो तक करेगा सूर्य  का अध्‍ययन – 

Aditya L1 भारत का पहला सूर्य मिशन है। सूर्य का अध्ययन करने के लिए  यह भारत का पहला और पूर्णत: स्वदेशी अभियान है।  यह अगले 5 वर्षों तक सूर्य के बारे में अध्ययन करेगा।  

आदित्य L1 मिशन पर  कितनी लागत आई है – (Cost of Aditya L1 Mission in hindi)

आदित्य L1  मिशन पूर्णत: एक स्वदेशी अभियान है।  इसरो के वैज्ञानिकों ने इस मिशन को बहुत कम लागत पर तैयार किया है। इस पूरे मिशन पर लगभग 378 करोड रुपए खर्च किए गए हैं।

आदित्य L1 मिशन का क्या है उद्देश्य ?- What is the Objective of Aditya L1 Mission?

भारत का  स्वदेशी सौर अभियान आदित्य L1 पूर्ण रूप से सौर गतिविधियों का अध्ययन करेगा। इसके पेलोड सूर्य के क्रोमोस्फीयर, फ़ोटोस्फीयर, और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अध्ययन करेंगे। 

क्रोमोस्फीयर, की पृथ्वी से  दूरी लगभग 15 लाख किमी है। L1  (लैग्रेंजियन पॉइंट) वह बिन्दु  है जहां दो Objects का गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देता है।

आदित्य L-1 सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी भाग (सौर कोरोना) की बनावट, सौर तूफान की उत्पत्ति, तापमान प्रक्रिया, सूर्य में होने वाले शक्तिशाली विस्फोट ( कोरोनल मास इजेक्शन), कोरोना और कोरोनल लूप प्लाज्मा की बनावट और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारणों का अध्ययन करेगा।   

आदित्य एल-1 से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य- Important Factors Related to Aditya L1 

  • आदित्य एल1 पूरी तरह से पहला भारतीय स्वदेशी सौर मिशन है।  जिसे भारतीय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)  ने विकसित किया है। 
  • सूर्य का अध्ययन करने वाली आदित्य L1 मिशन पहली भारतीय अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। 
  •  इस अभियान की कल्पना 15 वर्ष पूर्व 2008 में की गई। 
  •  प्रारंभ में इस अभियान का नाम आदित्य था।
  • बाद में इसरो के वैज्ञानिकों ने इस अभियान को वृहत रूप देते हुए आदित्य को एल1 प्वाइंट तक भेजने का लक्ष्य रखा, और फिर इसका नाम आदित्य L1 कर दिया गया। 
  • आदित्य L1 मिशन पर 378 करोड़ रुपये की लागत आयी है। 
  • यह पृथ्वी से L1 पॉइंट पर पहुँचने में लगभग 127 दिन का समय लेगा। 
  • L1 पॉइंट को अंतरिक्ष यान में कम ईंधन खर्च करने के लिए प्रयोग किया जाता है। 
  •  भारतीय सौर मिशन  आदित्य एल1 को  लेंग्रेज पॉइंट के  चारों ओर के प्रभामंडल में स्थापित किया जाएगा। 
  • इसमें भारत में ही निर्मित 7 पेलोड (उपकरण) लगे हैं, जो सूर्य की अलग-अलग  गतिविधियों का अध्ययन करेंगे। 
  •  इसका वजन लगभग 400 किलोग्राम है। 
  • आदित्य एल1 को सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से 2 सितंबर 2023 को 11:50 पर PSLV C57 के द्वारा लॉन्च किया गया। 
  • आदित्य L1 लैंग्रेज1 पॉइंट तक पहुंचने के लिए 15 लाख किलोमीटर का सफर तय करेगा, जबकि सूर्य से पृथ्वी की दूरी लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। 
  • यह मिशन सौर गतिविधियों का अध्ययन करेगा।  इसके पेलोड सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत को रोना का अध्ययन करेंगे। साथ ही यह सौर तूफान की उत्पत्ति, सौर कोरोना की बनावट,  सूर्य पर होने वाले शक्तिशाली विस्फोट और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारणों का अध्ययन भी करेगा। 
निष्कर्ष – Conclusion

वर्तमान में भारत बहुत तेजी से अंतरिक्ष में अपने पाँव पसार रहा है। 23 अगस्त को चंद्रयान 3 की दक्षिणी पोल पर सफल लैंडिंग और उसके बाद मात्र 10 दिन के भीतर अपने सौर मिशन आदित्य एल1 की सफल लांचिंग।

आने वाले समय में हम अभी भारत के और भी कई सफल अंतरिक्ष अभियानों के गवाह बनेंगे। और भारत को अंतरिक्ष विज्ञान का सिरमौर बनते देखेंगे हालांकि अभी इसके लिए विकास और उपलब्धियों का एक लंबा सफर तय करना बाकी है।

FAQs

प्रश्न – आदित्य L1 मिशन कब लॉन्च होगा?

उत्तर – आदित्य L1 मिशन 2 सितंबर 2023 को लॉन्च कर दिया गया है। 

प्रश्न – आदित्य L1 में L1 का अर्थ क्या है?

उत्तर – आदित्य L1 में L1 का अर्थ है लैंगरेज पॉइंट 1, दरअसल यह वह बिंदु जहां सूर्य और पृथ्वी दोनों की ग्रेविटी संतुलित होती है उस स्थान को लैंग्रेज पॉइंट का नाम दिया गया है। 

प्रश्न – आदित्य मिशन क्या है?

उत्तर – आदित्य एल1 पूरी तरह से पहला भारतीय स्वदेशी सौर मिशन है। जिसे भारतीय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)  ने विकसित किया है। 

प्रश्न – सूर्य यान कब लॉन्च होगा 2023?

उत्तर – आदित्य L1 मिशन 2 सितंबर 2023 को लॉन्च कर दिया गया है। 

प्रश्न – Lagrange पॉइंट क्या है?

उत्तर –  Lagrange पॉइंट वह बिंदु जहां सूर्य और पृथ्वी दोनों की ग्रेविटी संतुलित होती है उस स्थान को लैंग्रेज पॉइंट का नाम दिया गया है। 

प्रश्न – आदित्य L1 में कितने पेलोड होंगे?

उत्तर – आदित्य L1 में पेलोड की संख्या 7 है। 

प्रश्न – आदित्य L1 का उद्देश क्या है?

उत्तर – यह मिशन सौर गतिविधियों का अध्ययन करेगा।  इसके पेलोड सूर्य के फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत को रोना का अध्ययन करेंगे।
साथ ही यह सौर तूफान की उत्पत्ति, सौर कोरोना की बनावट,  सूर्य पर होने वाले शक्तिशाली विस्फोट और अंतरिक्ष के मौसम को प्रभावित करने वाले कारणों का अध्ययन भी करेगा। 

प्रश्न – आदित्य L1 किस लॉन्चिग रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा?

उत्तर – आदित्य L1 को PSLV C57 के द्वारा लॉन्च किया गया। 

हमारे शब्द –

तो दोस्तों , आदित्य L1 मिशन क्या है ? | Aditya L1 Mission in Hindi विषय पर ये वृहत जानकारी आपको कैसी लगी ? आशा है आपको ये लेख पसंद आया होगा ।

ऐसे ही ज्ञान से भरपूर विषयों पर जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे ब्लॉगपोस्ट पढ़ते रहिए और हमारा उत्साहवर्धन करते रहिए तो दोस्तों जल्द ही आपसे मिलते हैं एक और नयी जानकारी भरी पोस्ट के साथ।

अंत में – हमारे आर्टिकल पढ़ते रहिए, हमारा उत्साह बढ़ाते रहिए, खुश रहिए और मस्त रहिए।

“ज़िन्दगी को अपनी शर्तों पर जियें ।”

Leave a Comment

error: Content is protected !!