छठ पूजा 2023 | जानें इतिहास, महत्व और पूजा विधि | Chhath Puja Essay in Hindi

Rate this post

छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहारों है। सूर्य भगवान और छठ मैया को यह त्यौहार समर्पित है। यह त्यौहार हर साल कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह यह त्यौहार अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है। 

यह पर्व प्रमुख रूप से भारत के पूर्व और उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है। भारत में यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हमारे देश के अतिरिक्त यह त्यौहार नेपाल के कुछ क्षेत्रों में भी मनाया जाता है।

यह  त्योहार चार दिन तक चलता है इसकी शुरूआत चतुर्थी तिथि से होती है और यह सप्तमी तक चलता है। यह सूर्य देव से जुड़ा हुआ पर्व है। इस त्यौहार पर महिलाएँ पति की लंबी उम्र और संतान की प्राप्ती के लिए व्रत रखती है।

दोस्तों आज हम अपने इस निबंध छठ पूजा 2023 | जानें इतिहास, महत्व और पूजा विधि | Chhath Puja Essay in Hindi में इस पर्व के बारे में विभिन्न जानकारी जैसे छठ पूजा क्यों मनाया जाता है ?, छठ पूजा कैसे मनाते हैं?, छठ पूजा का महत्व, छठ पूजा का इतिहास आदि के बारे में संपूर्ण जानकारी विस्तार पूर्वक बताएंगे । 

यह निबंध विद्यार्थियों के लिए अति महत्वपूर्ण है, वह इसकी मदद से परीक्षाओं में पूछे जाने वाले “छठ पूजा पर निबंध हिंदी में”, की तैयारी कर सकते हैं और परीक्षा में अच्छे अंक ला सकते हैं।

Table of Contents

छठ पूजा 2023 | जानें इतिहास, महत्व और पूजा विधि | Chhath Puja Essay in Hindi

बिन्दु जानकारी
पर्व का  नाम छठ पूजा 
मनाने वाले लोग हिन्दू  धर्म 
मनाया जाने के कारण पौराणिक कथाओं के अनुसार विभिन्न कारण 
छठ पूजा 2023 में कब है 17 नवंबर 2023 से 20 नवंबर 2023
होम पेज यहाँ क्लिक करें 

प्रस्तावना – 

भारत में विभिन्न धर्म और जाति के लोग एक साथ निवास करते हैं। या सभी धर्म के लोगों के कई प्रकार के खूबसूरत त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं खूबसूरत त्योहारों में से एक है हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला छठ पूजा का त्यौहार। 

भारत में  बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश राज्यों में मनाया जाने वाला यह त्यौहार प्रतिवर्ष कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

चार दिन तक मनाये जाने वाले इस त्यौहार पर लोग अपने घरों की साफ सफाई करते हैं, घरों को सजाते हैं और छठ मैया की पूजा अर्चना करते हैं। छठ माता को सूर्य देव की माता माना जाता है, इस दिन उन्हीं की पूजा अर्चना की जाती है। 

देश में कार्तिक मास में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। इनमें छठ पूजा भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है।  यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रद्धा एवं लोकआस्था के चार दिनों के त्यौहार छठ पूजा में कठिन व्रत के साथ ही कठोर नियमों का पालन भी किया जाता है। छठ पूजा प्रकृति से जुड़ा पर्व है। इस साल  में छठ पूजा का पर्व 17 नवंबर से प्रारंभ हो रहा है और जो 20 नवंबर 2023 तक रहेगा।  

Chhath Puja Essay in Hindi
Chhath Puja Essay in Hindi

छठ महापर्व – Chhath Puja Par Nibandh

छठ पर्व मुख्य रूप से पूर्वांचल का त्यौहार है, यह त्यौहार पूर्ण शुद्धता और सात्विक तरीके से मनाया जाता है। यह पर्व भगवान सूर्यदेव को समर्पित है जिनके प्रताप से समस्त प्रकृति और प्राणियों में जीवन का संचार होता है।

  • सूर्य भगवान की महिमा से ही ऋतु चक्र चलता है। 
  • सूर्य ना हो तो प्रकृति में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • साधक भगवान सूर्य को प्रतिदिन अर्घ्य देकर उनकी उपासना करते हैं।
  • छठ पर्व के अवसर पर सूर्य व षष्ठी देवी की पूजा की जाती है।

छठ पूजा पर्व का इतिहास – History Of Chhath Puja Festival 

छठ पूजा के इतिहास को व्यक्त करने के लिए कई कथाएं प्रचलित हैं जो इस प्रकार हैं – 

छठ पूजा की पहली कथा –

कभी प्राचीन काल में प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी रानी का नाम मालिनी था। राजा प्रियव्रत एक कर्तव्यनिष्ठ और दयालु व्यक्ति थे, परंतु उनके कोई संतान नहीं थी। 

संतान न होने के कारण राजा और रानी बहुत दुखी रहते थे। एक दिन अपने इस दुख को लेकर राजा और रानी महर्षि कश्यप के पास गए, जो पुत्र कामेष्ठी यज्ञ के जानकार थे।

उन्होंने महर्षि को अपनी नि:संतान होने की दारुण कथा सुनाई और उनसे संतान प्राप्ति का उपाय जानना चाहा।  

महर्षि कश्यप ने उन्हें एक यज्ञ करने की बात कही साथ ही उन्होंने उसे यज्ञ को संपन्न करने में अपना मार्गदर्शन देने की बात भी कही।

महर्षि की सलाह के अनुसार राजा और रानी ने पूर्ण मनोयोग से उसे यज्ञ का आयोजन किया, जिसके फलस्वरुप उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई, परंतु रानी को मृत पुत्र पैदा हुआ। 

इससे दुखी होकर राजा आत्महत्या करने की सोचने लगे। ठीक तभी एक देवी ने प्रकट होकर सूर्य भगवान और षष्ठी देवी की पूजा अर्चना करने की बात राजा से कही साथ ही उन्हें इस पूजा का महत्व भी बताया।

उसे देवी ने राजा को बताया कि सूर्य देवऔर छठ मैया की पूजा करने से साधक की मनोकामना पूर्ण होती है, ऐसा कहकर वह देवी अंतर्ध्यान हो गई। 

तब राजा ने कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पूरे विधि-विधान, शुद्धता व स्वच्छता के साथ पूजा-अर्चना की परिणामस्वरूप राजा-रानी को पुनः पुत्र की प्राप्ति हुई।

माना जाता है तभी से षष्ठी देवी व सूर्य भगवान की आराधना पूरे विधि-विधान व स्वछता/शुद्धता के साथ करने से मनोकामना पूर्ण होती है। 

छठ पूजा की दूसरी कथा –

छठ पूजा की दूसरी कथा भगवान राम और माता सीता से संबंधित है। इस कथा के अनुसार जब भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या लौटे आए तो उन्होंने अपनी पत्नी सीता के साथ कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन भगवान सूर्य व षष्ठी देवी की पूजा की।

उस दिन से इस इस दिन को लोग पर्व की तरह मनाने लगे और अपने पुत्र के स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए यह पर्व करने लगे।

छठ पूजा की तीसरी कथा –

छठ पूजा की तीसरी कथा महाभारत काल से संबंधित है। सूर्यपुत्र कर्ण  ने सूर्य देव  की पूजा आराधना की थी।

वह प्रतिदिन प्रातः आधे शरीर तक जल में खड़े होकर सूर्य की आराधना करते थे, जिस कारण उन्हें दिव्य शक्तियों की प्राप्ति हुई थी।

छठ पूजा की चौथी कथा –

छठ पूजा की चौथी कहानी भी महाभारत काल से ही संबंधित है। महाभारत में ही ऐसा वर्णन मिलता है कि द्रोपदी अपने परिवार  के अच्छे  स्वास्थ्य व दीर्घायु की कामना के लिए षष्ठी का व्रत किया करती थी।

उनका परिवार कुशल और दीर्घायु रहे, उनमें आपसी प्रेम बना रहे इस कामना से द्रौपदी यह व्रत किया करती थी।

छठ पूजा कैसे मनाते हैं – How Chhath Puja is Celebrated ?

छठ पूजा चार दिन तक चलने वाला पर्व है। यह त्योहार दीपावली के चौथे दिन से अर्थात कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से आरंभ होता है।

इस पर्व के सभी चारों दिनों का महत्व है। आइए जानते हैं इन सभी दिनों के महत्व के बारे में। 

नहाय- खाय (पहला दिन) – 

त्यौहार के पहले दिन स्वच्छता व शुद्धता के साथ घर की साफ-सफाई करके व्रती महिलाएं शुद्ध भोजन तैयार करके  व्रत शुरू करते हैं। भोजन में कद्दू-भात  घीया,लौकी और दाल का विशेष रूप से महत्व है।

व्रती महिलाएं इस भोजन को ग्रहण करती हैं। ततपश्चात शेष सदस्य उस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

खरना (दूसरा दिन) –

दूसरे दिन महिलाओं का उपवास होता है। व्रती महिलाएं शुद्धता व स्वच्छता के साथ गुड़-चावल, गन्ने के रस से बनी खीर, फल और मिठाई से षष्ठी माता व सूर्य भगवान को भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण व वितरण करते हैं।

व्रत के दिन तामसिक भोजन, नमक व चीनी का प्रयोग वर्जित होता है। व्रती महिलाएं शुद्धता के साथ प्रसाद बनाकर ग्रहण करती हैं।

शाम का अर्घ्य – (तीसरा दिन) 

छठ पर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाएं और परिवार के सभी लोग पोखर, तालाब, नदी या सरोवर आदि में जाकर संध्याकालीन या अस्तचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं, इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने की मान्यता है।

नदी तालाब पास न होने पर  कुछ लोग अपने घर पर ही पानी का तालाब जैसा बनाकर अर्घ्य देते हैं। 

तीसरे दिन (सूर्य षष्ठी के दिन) पूरे दिन उपवास रखकर व्रती महिलाएं शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर रात को छठी माता के गीत गाती हैं और व्रत कथा सुनी जाती है। 

सुबह का अर्घ्य (ऊषाअर्घ्य) – (चौथा दिन)

छठ पर्व के अंतिम दिन उषा अर्घ्य या उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। सूर्य को अर्घ्य देकर छठ माता का व्रत सम्पन्न हो जाता है। तत्पश्चात पारण किया जाता है।

इस दिन प्रातः सूर्योदय से पूर्व घाट पर पहुंचकर महिलाएं उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं, तत्पश्चात घाट पर छठ माता को प्रणाम कर उनसे संतान की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं।

अर्घ्य  देकर व्रती घर लौटती हैं और प्रसाद बांटकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलती हैं। 

छठ महापर्व की तिथियाँ 2023/छठ पर्व 2023 में कब है
पर्व तिथि सूर्योदय/सूर्यास्त 
नहाय- खाय (पहला दिन) 17 नवंबर 2023, शुक्रवार              —
खरना (दूसरा दिन) –18 नवंबर 2023, शनिवार              —
शाम का अर्घ्य – (तीसरा दिन) 19 नवंबर 2023, रविवार सूर्यास्त शाम 05:26 बजे 
सुबह का अर्घ्य (ऊषाअर्घ्य) – (चौथा दिन)20 नवंबर 2023, सोमवार सूर्योदय सुबह 06:47 बजे
षष्ठी माता कौन हैं ? –

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी षष्ठी को ब्रह्मा जी मानस पुत्री माना गया है। षष्ठी माता को संतान को दीर्घायु प्रदान करने और पुत्र रक्षा व निरोगी रखने के लिए पूजा जाता है।

इन्हीं षष्ठी देवी को कात्यायनी माँ भी कहा जाता है, नवरात्रि में षष्ठी तिथि को इन्हीं का पूजन किया जाता है। 

षष्ठी तिथि के सूर्यास्त और सप्तमी तिथि के सूर्योदय के मध्य गायत्री माँ जन्म भी माना जाता है, जिनके कारण ही इस सृष्टि का निर्माण हुआ माना जाता है। 

छठ पूजा महापर्व का महत्व – (Significance of Chhath Vrat)

छठ पूजा हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व है। छठ पूजा का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। व्रति महिलाएं इस महापर्व में 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं।

यह व्रत संतान प्राप्ति, संतान की उन्नति, सुख-समृद्धि, अखंड सौभाग्य, और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है।

ऐसी मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा और आस्था के साथ छठ व्रत रखने से छठी मईया और सूर्य देव का आशीर्वाद मिलता है। छठ पर्व प्रकृति, जल, वायु, सूर्यदेव और षष्ठी माता को समर्पित है। 

छठ पूजा महापर्व का वैज्ञानिक महत्व – (Scientific Significance of Chhath Vrat)

भारत में अनेक विशिष्ट पर्व मनाए जाते हैं। हर पर्व का अपना विशिष्ट महत्व है। ऐसे ही छठ पर्व का भी वैज्ञानिक महत्व है। जिसे हम निम्न बिंदुओं से जान सकते हैं। 

  • छठ पर्व पर साफ-सफाई की जाती है जो वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। 
  • यह पर्व खगोलीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। 
  • त्यौहार में सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा भी रंगों के विज्ञान से संबंधित है। 
  • पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देने पर शरीर पर पराबैंगनी किरणों का असर काम होता है। 
  • सूर्य को अर्घ्य देने के समय प्रिज्म विज्ञान का सिद्धांत कार्य करता है, जिससे मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।  
  • सूर्य को अर्घ्य प्रदान करते समय शरीर को विटामिन D की प्राप्ति होती है। 
  • शरीर में त्वचा रोग काम होते हैं। 

छठ पूजा से जुड़े तथ्य – Facts Related to Chhat Festival

  • छठ पर्व स्वच्छता का पर्व है।
  • माना जाता है कि भगवान सूर्य की शक्ति उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा हैं।
  • षष्ठी की संध्या को डूबते सूर्य और सप्तमी को सूर्योदय के रूप में इन्हीं की पूजा की जाती है।
  • परिवार में कोई मृत्यु होने पर यह व्रत नहीं किया जाता। 
  • यह व्रत एक पीढ़ी द्वारा तब तक किया जाता है जब तक कि दूसरी पीढ़ी व्रत करने के योग्य न हो जाय। 

निष्कर्ष – Conclusion 

निष्कर्षत: छठ पूजा का महापर्व पूर्वांचल और विशेष रूप से बिहार राज्य में मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने वाले  किसी भी देश में रहने पर भी इस पर्व को मनाना नहीं भूलते। 

यह पर्व और व्रत बहुत कठिन है, और इसके नियम भी बहुत सख्त हैं। सूर्य देव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति का जीवन सार्थक हो जाता है। उसे सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है, घर में सुख-समृद्धि आती है। छठ मैया की कृपा से बिगड़े कार्य सँवरते हैं। 

FAQs

प्रश्न – छठ पूजा कब मनाई जाती है?

उत्तर – छठ पूजा प्रतिवर्ष दीपावली के 6 दिन बाद कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है।

प्रश्न – छठ पूजा पर लोग किस भगवान की पूजा करते हैं?

उत्तर – छठ पर्व पर सूर्य भगवान व छठ मैया की पूजा कि जाती है। 

प्रश्न – छठ पूजा कितने दिनों का त्योहार है?

उत्तर – छठ पूजा 4 दिनों का त्योहार है?

प्रश्न – 2023 में छठ पूजा का त्यौहार कब है ?

उत्तर – 2023 में छठ पूजा का त्यौहार 17 नवंबर से 20 नवंबर 2023 तक है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) –

इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी, सामग्री या गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की जिम्मेदारी sanjeevnihindi.com की नहीं है। ये जानकारी हम विभिन्न माध्यमों, मान्यताओं, ज्योतिषियों तथा पंचांग से संग्रहित कर आप तक पहुंचा रहे हैं।

जिसका उद्देश्य मात्र आप तक सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे केवल सूचना की तरह ही लें। इसके अलावा इस जानकारी के  सभी प्रकार के उपयोग की सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। 

हमारे शब्द – Our Words

दोस्तों ! आज के इस लेख  छठ पूजा 2023 | जानें इतिहास, महत्व और पूजा विधि | Chhath Puja Essay in Hindi में हमने आपको Chhath Puja Essay in Hindi के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है।

हमें पूर्ण आशा है कि आपको यह Chhath Puja Essay in Hindi पर यह जानकारी और यह लेख अवश्य पसंद आया होगा। यदि आप में से किसी भी व्यक्ति को इस लेख से संबंधित कुछ जानकारी अथवा सवाल पूछना हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।

मित्रों ! आपको हमारे लेख तथा उनसे संबंधित विस्तृत जानकारी कैसी लगती है इस बारे में हमें कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखते रहें, दोस्तों जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि आपकी समालोचना ही हमारी प्रेरणा है। अतः कमेंट अवश्य करें।

अंत में – हमारे आर्टिकल पढ़ते रहिए, हमारा उत्साह बढ़ाते रहिए, खुश रहिए और मस्त रहिए।

ज़िंदगी को अपनी शर्तों पर जियें ।  


Leave a Comment

error: Content is protected !!