Karva Chauth Vrat Katha | करवा चौथ क्यों मनाई जाती है | 2023 में करवा चौथ कब है

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करवा चौथ का पर्व पति-पत्नी के आत्मिक प्रेम, परस्पर विश्वास और मजबूत रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। भारत में करवा चौथ का व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु एवं अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूर्ण विश्वास एवं श्रद्धा के साथ रखती हैं।

प्राचीन काल से चला आ रहा करवा चौथ व्रत वास्तव में सिर्फ एक पर्व न होकर पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते का शानदार जश्न है। नवविवाहिताओं के लिए यह व्रत बहुत महत्व रखता है।

अगर देखा जाए तो यह महज एक त्यौहार है, परंतु वास्तव में यह त्यौहार नारी-शक्ति, नारी-क्षमता और उसकी इच्छाशक्ति का शानदार उदाहरण है।

यह व्रत नारी शक्ति की ओर संकेत करते हुए इस बात की ओर भी इशारा करता है कि नारी ही वह शक्ति है जो यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है।

नमस्कार दोस्तों, संजीवनीहिंदी में एक बार फिर आपका स्वागत है । दोस्तों, आज हम आपको karva chauth vrat katha के माध्यम से इस महत्वपूर्ण व्रत के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।

करवा चौथ व्रत की कथा, पूजा विधि, करवा चौथ का महत्व, करवा चौथ मनाने का कारण, नियम, इस व्रत में क्या करें- क्या न करें इत्यादि की सविस्तार जानकारी आप इस लेख Karva Chauth Vrat Katha | करवा चौथ क्यों मनाई जाती है | 2023 में करवा चौथ कब है  के माध्यम से जान सकेंगे, तो आइए शुरू करते हैं karva chauth vrat katha  

Table of Contents

करवा चौथ क्यों मनाई जाती है | 2023 में करवा चौथ कब है | karva chauth vrat katha

बिन्दु जानकारी
पर्व का नाम करवा चौथ
अन्य नामकरक चतुर्थी (संस्कृत में ), अट्ल तद्दि (तेलुगू)
मनाने वाले लोग हिन्दू, प्रवासी भारतीय, भारतीय
उद्देश्य पति की लंबी उम्र के लिए
तिथि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी
मिलते-जुलते पर्व अहोई अष्टमी, संकष्टी चतुर्थी (सकट चौथ), हरियाली तीज
2023 में करवा चौथ कब है  1 नवंबर 2023, बुधवार
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प्रस्तावना –

कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ का पर्व हिंदू धर्म की महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है।

इस दिन वे अपने पति की दीर्घायु व अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत करती हैं। वे सूर्योदय के साथ इस व्रत को धारण करती हैं तथा चंद्रोदय के साथ इस व्रत का समापन होता है।

यह व्रत निर्जल रखा जाता है। महिलाएं शाम को चांद निकलने पर उसे अर्घ देकर पति की आरती उतारती हैं उसके पश्चात भोजन करती हैं।

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करवा चौथ कब मनाया जाता है ? – When Karwa Chauth is Celebrated ?

हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत प्रतिवर्ष कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्यौहार दीपावली से 10 दिन पूर्व तथा दशहरा के 8 दिन बाद मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है।

karva chauth vrat katha
Karva Chauth Vrat Katha

2023 में करवा चौथ कब है- Karwa Chauth 2023 Kab Hai/Karwa Chauth 2023 Date

when is karwa chauth in 2023 करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाएगा। अर्थात 2023 में करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त व समय –(karva chauth vrat katha)

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि प्रारंभमंगलवार 31 अक्टूबर 2023, रात 09:30 बजे से
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि समाप्त 01 नवंबर 2023,बुधवार, रात 09:19 बजे तक
चंद्रोदय का समय01 नवंबर, रात 08:26 पर
पूजा का शुभ मुहूर्त 01 नवंबर शाम 05:44 से रात 07:02 तक
अवधि01 घंटा 17 मिनट 
उपवास का समय 01 नवंबर, बुधवार, सुबह 06:36 से रात 08:26 तक

करवा चौथ का इतिहास/करवा चौथ क्यों मनाई जाती है– History of Karva Chauth

बहुत सी हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार करवा चौथ व्रत मनाने की प्रथा देवताओं के काल से प्रचलित है। ऐसी ही कथाओं में से यह कथा जो सर्वाधिक प्रचलित मानी जाती है, उसके अनुसार माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध छिड़ गया।

उस युद्ध में दानव देवताओं पर भारी पड़ गए, लगता था मानो देवताओं की पराजय निकट ही है, सभी देवता एकत्रित होकर ब्रह्मदेव के सम्मुख गए और उन्होंने स्वयं की रक्षा के लिए ब्रह्मदेव से प्रार्थना की।

ब्रह्मदेव ने उनकी प्रार्थना सुनकर देवताओं से कहा कि आप को इस संकट से बचाने हेतु आप सभी की पत्नियों को अपने पति के लिए व्रत रखकर सच्चे हृदय से पति की विजय के लिए प्रार्थना करनी होगी।

ब्रह्मदेव ने आगे कहा कि इस प्रकार सभी देव पत्नियों के द्वारा व्रत धारण करने पर युद्ध में अवश्य ही देवताओं की विजय होगी। सभी देवताओं व देव पत्नियों ने ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

और फिर देवताओं की विजय हुई, माना जाता है तभी से पत्नियां, पति के जीवन की रक्षा के लिए यह व्रत रखती हैं।

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करवा चौथ का महत्व –Significance of Karwa Chauth

karva chauth vrat ki katha में पढिए इस पर्व का महत्व- भारतीय समाज में पति-पत्नी के रिश्ते, पवित्र -प्रेम और समर्पण की भावना को बहुत ऊंचा स्थान प्राप्त है। इसी कारण हिंदू धर्म में करवा चौथ व्रत का अत्यधिक महत्व है।

क्योंकि यह व्रत सुहागिनों के द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है इसीलिए इस व्रत का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

सुहागिनें इस व्रत को अपनी पति के जीवन से जोड़ कर देखती हैं, इसीलिए इस पर्व को बहुत उत्साह और समर्पण के साथ मनाया जाता है।

क्योंकि बहुत सारी हिंदू पौराणिक कथाओं में इस तरह का विवरण मिलता है कि किसी स्त्री के द्वारा व्रत ना किए जाने या व्रत के नियमों को तोड़ने पर उसके पति की मृत्यु हो जाती है।

तथा उसी व्रत को पुनः विधि-विधान और पूर्ण श्रद्धा भाव से करने पर उसके पति को जीवनदान मिल जाता।अतः पति-पत्नी के नि:स्वार्थ प्रेम और समर्पण के रिश्ते को समर्पित करवा चौथ व्रत का हमारे देश में बहुत अधिक महत्व है।

करवा चौथ की पूजा – Karwa Chauth Puja Vidhi/karva chauth vrat katha

जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है ‘करवा चौथ व्रत’ , अर्थात यह त्यौहार एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विवाहित महिलाएं रखती हैं, क्योंकि यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है।

करवा चौथ का व्रत एक बहुत पवित्र व्रत माना जाता है, अतः इसे पूर्ण विधि-विधान तथा सख्त नियमों के साथ रखा जाता है।

सरगी की रस्म –

कुछ परिवारों में सरगी की रस्म होती है। करवा चौथ के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले ही महिलाएं भोजन कर लेती हैं, इस भोजन को सरगी कहा जाता है।

(सरगी सास के द्वारा बहू को दी जाती है जिसमें बहू के कपड़े, सुहाग का सामान, फल, मेवा, फ़ैनी, नारियल आदि होते हैं )

Karva Chauth Vrat Katha
Karva Chauth Vrat Katha

करवा चौथ व्रत के लिए सामग्री –

करवा चौथ के दिन व्रत एवं पूजा अर्चना के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है जैसे –

  • ढक्कन वाला करवा ( मिट्टी का छोटा टोटी दार लोटा )
  • गौरी माता, चौथ माता एवं भगवान गणेश की एक मूर्ति
  • गंगाजल
  • दीपक, रूई, अगरबत्ती
  • गाय का कच्चा दूध, देशी घी, दही
  • भोग के लिए मिठाई, चीनी, शहद,
  • मट्ठी, फल, फूल
  • सुहाग का सामान
  • सींके
  • छलनी
  • ‘वायना’ की थाली आदि।
करवा चौथ व्रत की थाली –

करवा चौथ के व्रत के लिए महिलाएं एक थाली भी सजाती हैं, जिसमें आटे का बना देशी घी का दीपक, चावल, छलनी आदि को रखा जाता है।

करवा चौथ व्रत का विधि-विधान -(karva chauth vrat katha)

प्रातः सूर्योदय से पूर्व सास अपनी बहू को सरगी देती है। यदि सास बहू साथ में ना हों तो सास बहू को पैसे भेज सकती है, जिससे बहु सामान खरीद सके।

सरगी खाकर व्रत शुरू होने के बाद पूरा दिन महिलाओं को निर्जल व्रत रखना होता है, अर्थात वे भोजन के साथ-साथ जल भी नहीं पी सकतींं।

सूर्योदय के बाद सर्वप्रथम बहू को सास की दी हुई सरगी से फैनी बनाकर पितरों, भैरों तथा गाय के लिए अलग निकाल देना चाहिए, परिवार के लोगों के लिए भी अलग निकालकर खुद ग्रहण करना चाहिए।

बहू को सरगी में सास के द्वारा दिए गए कपड़े और श्रृंगार की चीजों को पहनना और इस्तेमाल करना चाहिए।

करवा चौथ के दिन सुहागिन स्त्रियां पूरे सोलह श्रृंगार करके सजती हैं, इस दिन वे एक नई नवेली दुल्हन की तरह सभी श्रृंगार करके खुद को सजाती हैं।

शाम के वक्त परिवार की महिलाएं, या पड़ोस की महिलाएं एकत्रित होकर करवा चौथ की व्रत कथा सुनती हैं ।

शाम को चांद निकलने पर महिलाएं छलनी के पीछे से चंद्रमा को देखती है, उन्हें अर्घ देती हैं, ( अर्घ देते समय महिला को उसी चुन्नी को सिर पर रखना चाहिए जिसे जिसे उसने व्रत कथा सुनते समय धारण किया था। ) आरती उतारती हैं।

फिर उसी छलनी के माध्यम से अपने पति को देखती हैं, जल चढ़ाकर उनकी आरती उतारती हैं, और उनका आशीर्वाद लेती है।

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फिर पति पूरे दिन निर्जला व्रत धारण की हुई अपनी पत्नी को मीठा जल पिलाकर उनका व्रत तोड़ते हैं, पत्नी चंद्रमा के सम्मुख, हाथ जोड़कर अपने पति की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हैं, और फिर पत्नियां भोजन करती हैं। और इस प्रकार करवा चौथ का व्रत संपन्न होता है।

करवा चौथ की कहानी – karva chauth vrat katha

अपने इस लेख में हम आपको karva chauth ki vrat katha के बारे में बताएंगे। प्राचीन काल में किसी नगर में एक परिवार रहता था। जिसमें 7 भाई रहते थे, उन सात भाइयों की इकलौती बहन थी जिसका नाम वीरवती था।

एकमात्र बहन होने के कारण सातों भाइयों का उस पर बड़ा स्नेह था। वीरवती का विवाह होने के बाद पहली करवा चौथ पर कुछ परिवारों की परंपरा के अनुसार वीरवती अपने मायके में आ गई थी।

वीरवती ने करवा चौथ का व्रत रखा, उसे मालूम नहीं था कि यह व्रत बहुत कठोर होता है। समय बीतते बीतते वीरवती को भूख और प्यास सताने लगी।

भूख-प्यास से व्याकुल होकर वीरवती बार-बार बाहर जाकर चांद को ढूंढने लगी, परंतु चांद था कि निकलने का नाम ही नहीं लेता था।

अपनी बहन को पहली बार भूख प्यास से इस कदर व्याकुल देख सभी भाई विचलित हो उठे।

सभी भाइयों ने मिलकर एक योजना बनाई उन्होंने दूर एक पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर छलनी के पीछे रख दिया , जो दूर से देखने पर चाँद की तरह ही लगता था ।

फिर भाइयों ने दूर से अपनी बहन को दिखाया और कहा कि चांद निकल आया है। अतः तुम पूजा करके व्रत खोल सकती हो। वीरवती की भाभियों ने वीरवती से कहा कि अभी चांद नहीं निकला है, तुम पूजा मत करो।

परंतु भूख प्यास से व्याकुल वीरवती नहीं मानी और उसने चांद की पूजा की तथा भोजन करने बैठ गई।

जैसे ही उसने भोजन का पहला ग्रास मुंह में डाला उसे छींक आ गई, दूसरा निवाला मुंह में डालने पर इसमें बाल निकला, और उसके बाद तीसरा ग्रास मुंह में डालते ही उसे सूचना मिली कि उसके पति की मृत्यु हो गई है।

यह सूचना पाकर उस पर तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा, वीरवती बहुत रोयी और रोते-रोते सो गई, सपने में उसे देवी के दर्शन हुए, उन्होंने कहा कि यदि तुम पूरी श्रद्धा और लगन से पुनः करवा चौथ का व्रत रखोगी तो तुम्हारा पति जीवित हो जाएगा।

फिर वीरवती ने पुनः पूर्ण भक्ति, श्रद्धा और विधि विधान के साथ करवा चौथ का व्रत किया, जिससे उसके पति को जीवनदान मिला। यही कहानी करवा चौथ के दिन सभी महिलाएं एकत्रित होकर सुनती हैं।

जिसका सार है कि विवाहित स्त्रियों को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत पूर्ण श्रद्धा और विधि विधान के साथ करना चाहिए।

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क्या कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं करवा चौथ का व्रत ?

लोगों के अक्सर पूछे जाने वाले सवाल का जवाब हम karva chauth vrat katha में आपको बता रहे हैं।

अखंड सौभाग्यवती की कामना करते हुए अपने पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ का व्रत रखती है, क्योंकि यह सुहाग का त्योहार है।

परंतु कुछ मान्यताओं के अनुसार ऐसी कुंवारी लड़कियां, जिनका रिश्ता तय हो चुका है, वो भी यह व्रत रख सकती हैं।

परंतु ऐसी कुंवारी लड़कियों के लिए व्रत के नियम तथा पूजा की विधि-विधान पूर्णतः भिन्न होते हैं जो निम्नवत हैं –

निर्जल व्रत नहीं करना चाहिए –

करवा चौथ का व्रत करने वाली कुंवारी लड़कियों को निर्जल व्रत करने के स्थान पर निराहार व्रत करना चाहिए।

इसके पीछे तर्क यह है कि निर्जल व्रत में पति के हाथों जल पीकर ही व्रत का पारण होता है, कुंवारी लड़कियों को सरगी भी नहीं मिल पाती, अतः विवाह पूर्व निर्जल व्रत करना उचित नहीं।

चंद्रमा की पूजा ना करें –

कुंवारी लड़कियां यदि करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो उनके लिए चंद्रमा की पूजा का विधान नहीं है, अतः उन्हें चंद्रमा की पूजा करने के स्थान पर शंकर भगवान तथा पार्वती माता की पूजा करनी चाहिए और व्रत की कथा सुननी चाहिए।

तारे देखकर व्रत पारण करें –

कुंवारी लड़कियों के लिए चांद देखकर व्रत पारण करने का विधान नहीं है अतः उन्हें चंद्रमा के स्थान पर तारे देखकर अपना व्रत खोलना चाहिए।

ऐसी लड़कियों को करवा का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए बल्कि उसके स्थान पर कलश में जल भरकर उसका प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि करवा का प्रयोग विवाह उपरांत करवा चौथ व्रत में किया जाता है।

छलनी का प्रयोग न करें –

कुंवारी लड़कियों को करवा चौथ पर व्रत रखने के बाद व्रत पारण से पूर्व छलनी का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि छलनी का प्रयोग करने की परंपरा केवल सुहागिन स्त्रियों के लिए होती है।

करवा चौथ के दिन क्या करें, क्या ना करें – Do’s and Don’ts on Karwa Chauth

क्या न करें – करवा चौथ के दिन यह काम भूलकर भी नहीं करने चाहिए-

  • करवा चौथ के दिन सफेद, काले और भूरे रंग के वस्त्र नहीं पहनने चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन चावल, दही, दूध या सफेद वस्त्र दान नहीं करने चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन विशेष रूप से बड़ों का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए इससे पति की आयु बढ़ती है।
  • इस दिन महिलाओं को पति से झगड़ा या बहस नहीं करनी चाहिए।
  • इस दिन किसी को भला-बुरा नहीं कहना चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन सुहाग के सामान जैसे सिंदूर, बिंदी, चूड़ी आदि को भूलकर भी कूड़ेदान में ना फेंके, टूट जाने वाली चूड़ी आदि को नदी में प्रवाहित करके पति की दीर्घायु की कामना करनी चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन व्रती महिला को सिलाई, कढ़ाई या कटाई नहीं करनी चाहिए और ना ही कैंची का प्रयोग करना चाहिए।
  • व्रत रखने वाली महिलाओं को करवा चौथ के दिन टाइम पास करने के लिए ताश खेलना, सो जाना तथा चुगली करना, जैसे काम नहीं करने चाहिए।
  • इस दिन पति और पत्नी दोनों को भूल से भी मांसाहारी तथा तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन व्रती महिलाओं को शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए।

क्या करें – करवा चौथ व्रत के दिन व्रती महिलाओं को निम्नलिखित कार्य करने चाहिए –

  • करवा चौथ के दिन व्रती स्त्रियों को करवा चौथ की कथा तथा पौराणिक कथाएं सुननी और पढ़नी चाहिए।
  • इस दिन महिलाओं को भजन-कीर्तन करना चाहिए, इससे देवी की कृपा बनी रहती है और पति दीर्घायु होते हैं।
  • करवा चौथ के दिन व्रती स्त्रियों को पीले या लाल रंग के ही वस्त्र पहनने चाहिए।
  • महिलाओं को प्रात: उठकर अपने पति और बड़ों के चरण स्पर्श करने चाहिए।
  • महिलाओं को करवा चौथ के दिन अपने पति की नजर उतारनी चाहिए, ऐसा माना जाता है कि इस दिन नजर उतारने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
  • शाम को जब महिलाएं चांद को अर्घ देती हैं, उस समय अपने पति के नाम का एक दीपक चांद के सम्मुख अवश्य जलाना चाहिए।
  • महिलाओं को व्रत तोड़ने के लिए पति के हाथ से जल ग्रहण करना चाहिए, और फिर भोजन का पहला निवाला पति को खिलाने के बाद ही स्वयं भोजन करना चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन स्त्रियों को अपनी सास का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करना चाहिए क्योंकि इसके बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है।

करवा चौथ के दिन इन बातों का रखें ध्यान – (karva chauth vrat katha)

करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली स्त्रियों को निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए –

  • करवा चौथ के दिन व्रती स्त्रियों को लाल अथवा पीले रंग के ही वस्त्र पहनने चाहिए।
  • यह व्रत सूर्योदय से प्रारंभ होकर चंद्रोदय तक अर्थात चांद को अर्घ देकर संपन्न होता है।
  • महिलाएं मासिक धर्म के दौरान भी यह व्रत रख सकती हैं।
  • पूजा के समय स्त्री का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  • महिलाओं को कथा सुनते समय अपने पास कुछ साबुत अनाज तथा मीठा अवश्य रखना चाहिए।
  • मिट्टी का ‘करवा’ करवा चौथ पर विशेष महत्व रखता है, अतः करवा के साथ ही करवा चौथ की पूजा करनी चाहिए।
  • वैसे तो विधि-विधान के अनुसार करवा चौथ का व्रत निर्जल व्रत होता है, परंतु फिर भी महिला के साथ किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर वह कथा सुनकर जल ग्रहण कर सकती है।
  • इस दिन महिलाओं को संपूर्ण श्रृंगार करना चाहिए, क्योंकि यह व्रत पति की दीर्घायु के लिए होता है।
  • इस दिन पूजा से पहले स्नान करके या दोबारा स्नान ना कर सकने की स्थिति में हाथ मुंह धो कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके ही करवा चौथ की पूजा करनी चाहिए।
  • चंद्र उदय होने पर उन्हें अर्घ देना चाहिए।
  • चांद को अर्घ देने के बाद, छलनी से पति को देखकर, उनकी आरती उतार कर आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए।
  • करवा चौथ व्रत के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि के लिए करवा चौथ माता से क्षमा- याचना अवश्य कर लेनी चाहिए, ऐसा करने से माता प्रसन्न होती है तथा उनसे खुशियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

करवा चौथ व्रत के नियम –(karva chauth vrat katha)

करवा चौथ व्रत रखने वाली महिलाओं को करवा चौथ व्रत के नियमों की जानकारी अवश्य होनी चाहिए, इस व्रत के कुछ महत्वपूर्ण नियम इस प्रकार हैं –

  • करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाओं को प्रातः जल्दी स्नानादि करके सरगी खानी चाहिए।
  • सरगी सूर्योदय से पूर्व ही खा लेनी चाहिए।
  • सरगी के बाद ही व्रती महिला को अपना व्रत आरंभ करना चाहिए।
  • करवा चौथ के दिन महिलाओं को व्रत धारण करते हुए पर-निंदा, चुगली, आलोचना और झगड़े आदि से दूर रहना चाहिए ।
  • करवा चौथ के दिन महिलाओं को सफेद रंग के सामान जैसे सफेद कपड़ा, दही, दूध, चावल आदि का दान नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने पर चंद्र देवता नाराज हो जाते हैं , और इस दिन उन्हें नाराज नहीं करना चाहिए।
  • व्रती महिलाओं का इस दिन काले और सफेद वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है। उन्हें लाल, गुलाबी अथवा पीले वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • करवा चौथ की पूजा सुनते समय महिलाओं को अपने हाथ में चावल के दाने रखने चाहिए, और हृदय में चौथ माता का ध्यान करना चाहिए।
  • महिलाओं को इस दिन बायना के रूप में भोजन, मिठाई, शगुन के रुपए और यदि संभव हो तो वस्त्र अपनी सास, जेठानी या ननद को देना चाहिए।
  • सुहागिनों को इस दिन 16 श्रृंगार करके पूजा अर्चना करनी चाहिए।

निष्कर्ष –(karva chauth vrat katha)

भारतीय नारी की पति के प्रति सच्ची श्रद्धा व प्रेम को प्रदर्शित करने वाला पर्व करवा चौथ, वास्तव में भारतीय हिंदू समाज का एक खूबसूरत त्यौहार है।

पत्नी अपने पति की दीर्घायु के लिए पूरे दिन निर्जल व्रत करती है, पति को भी चाहिए कि वह पत्नी की भावनाओं को समझे और हमेशा उसका सम्मान करें। यही इस त्यौहार की खूबसूरती है ।

FAQs

प्रश्न – Karva चौथ का व्रत कब है 2022?

उत्तर – 2022 में करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

प्रश्न – चौथ माता का व्रत कब का है?

उत्तर – 13 अक्टूबर 2022

प्रश्न – करवा चौथ का व्रत कैसे किया जाता है?

उत्तर – इस व्रत में सुहागिनें सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जल व्रत धारण करती हैं, चाँद निकलने पर उसे अर्घ देकर व्रत का पारण करती हैं, फिर भोजन करती हैं ।

प्रश्न – करवा चौथ में पानी पी सकते हैं क्या?

उत्तर – क्योंकि यह एक निर्जला व्रत है अतः इसमें पानी पीने का नियम नहीं है, परंतु स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर महिला कथा सुनने के बाद जल ग्रहण कर सकती है ।

प्रश्न – करवा चौथ के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

उत्तर – करवा चौथ के दिन व्रती महिला को काले अथवा सफेद वस्त्र नहीं पहनने चाहिए तथा सफेद वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।

प्रश्न – सरगी किससे मिलकर बनता है?

उत्तर – सरगी में सास के द्वारा बहू को भोजन, मिठाई, वस्त्र और श्रृंगार का सामान आदि दिया जाता है।

प्रश्न – करवा चौथ के व्रत का क्या महत्व है?

उत्तर – करवा चौथ का व्रत हिंदू सुहागिन महिलाओं के द्वारा पति की दीर्घायु के लिए रखा जाता है इसी कारण इस व्रत का अत्यधिक महत्व है ।

प्रश्न – पहली बार करवा चौथ का व्रत कैसे करें ?

उत्तर – सुहागिन स्त्री को पहली बार करवा चौथ का व्रत रखने के लिए प्रातः काल सरगी खाकर सूर्योदय से व्रत प्रारंभ कर देना चाहिए, उसे दिन भर यह व्रत निर्जल रहकर करना चाहिए। उसे शाम को पति की दीर्घायु की कामना करते हुए चंद्रमा को अर्घ देकर बायना की थाली व मायके से आया सामान अपनी सास को देना चाहिए ।

प्रश्न – करवा चौथ की पूरी कहानी क्या है?

उत्तर – करवा चौथ की पूरी कहानी जानने के लिए हमारे लेख का ‘करवा चौथ का इतिहास‘ हेडिंग पढ़िये।

हमारे शब्द –

दोस्तों ! आज के इस लेख Karva Chauth Vrat Katha | करवा चौथ क्यों मनाई जाती है | 2023 में करवा चौथ कब है में हमने आपको karva chauth vrat katha के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है।

हमें पूर्ण आशा है कि आपको यह जानकारी और karva chauth vrat katha का यह लेख अवश्य पसंद आया होगा।

यदि आप में से किसी भी व्यक्ति को इस लेख से संबंधित कुछ जानकारी अथवा सवाल पूछना हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।

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