कृष्ण जन्माष्टमी ( Krishn Janmashtami ) उत्सव पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा के राजा कंस के कारागार में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि में हुआ था।
श्री कृष्ण को विष्णु भगवान का 8 वां अवतार माना जाता है। इस तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म होने के कारण हमारे देश में इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पर्व के रूप में मनाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था, अतः उन्होंने बचपन से ही अपनी लीलाएं प्रारंभ कर दी थी। बचपन में ही उन्होने पूतना नामक राक्षसी का वध किया।
और बड़े होकर अपने मामा, अत्याचारी शासक कंस का वध करके प्रजा को उसके अत्याचार से मुक्त कराया। महाभारत के युद्ध में अर्जुन के सारथी बनकर, उन्हें गीता का उपदेश दिया ।
तो आइए दोस्तों ! आज हम अपने लेख Janmashtami Essay in Hindi | जन्माष्टमी 2023 निबंध में आपको जन्माष्टमी के त्यौहार से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी देने जा रहे हैं। आपसे अनुरोध है कि इसे अंततः अवश्य पढ़ें।
Janmashtami Essay in Hindi | जन्माष्टमी 2023 निबंध, जन्माष्टमी निबंध हिंदी में, janmashtami 2023–
बिन्दु | जानकारी |
---|---|
त्यौहार का नाम | श्री कृष्ण जन्माष्टमी |
त्यौहार के अन्य नाम | कृष्ण जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी , जन्माष्टमी, कन्हैया आठें |
त्यौहार को मनाते हैं | हिंदू धर्म के लोग |
त्यौहार मनाने की तिथि | भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि ( रोहिणी नक्षत्र ) |
त्यौहार को मनाने का उद्देश्य | भगवान श्री कृष्ण के आदर्शों को याद करना |
मनाने का ढंग | मंदिरों में भगवान कृष्ण की झांकी बनाना, व्रत रखना, पूजन करना |
जन्माष्टमी का पर्व कब मनाया जाता है ? When Janmashtami is Celebrated ?
हमारे देश में भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन को पूरे हर्षोल्लास तथा धूमधाम से जन्माष्टमी पर्व के रूप में मनाते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व रक्षाबंधन त्यौहार के बाद भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है।
जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता है ? Why Janmashtami is Celebrated ?
तो दोस्तों अब हम अपने इस लेख Janmashtami Essay in Hindi में ये बताते हैं कि वास्तव में जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता है।
मथुरा नगरी के राजा का नाम कंस था । कंस की बहन का नाम देवकी था, जिसका विवाह वासुदेव के साथ हुआ था। एक बार कंस अपनी बहन देवकी को छोड़ने जा रहा था कि तभी आकाशवाणी हुई, हे कंस ! जिस बहन को तू इतने प्रेम से छोड़ने जा रहा है उसी का आठवां पुत्र तेरा वध करेगा।
इस आकाशवाणी को सुनकर कंस ने क्रोध में आकर अपनी बहन देवकी तथा वासुदेव को कारागार में डाल दिया। कृष्ण से पहले पैदा हुई देवकी की सभी सातों संतानों को उसने मार दिया।
भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जब श्री कृष्ण ने देवकी की कोख से जन्म लिया, विष्णु भगवान ने वासुदेव को आदेशित किया कि वे कृष्ण को यशोदा और नंद बाबा के पास गोकुल में पहुंचा दें।
श्री कृष्ण के पैदा होते ही कारागार के ताले स्वयं ही टूट गए, और वासुदेव ने एक सूप में रखकर मूसलाधार बारिश में उफनती हुई यमुना नदी पार करके बाल कृष्ण को गोकुल में यशोदा मैया तथा नंद बाबा के घर पहुंचा दिया।
और इस प्रकार अत्याचारी मामा कंस से बालक कृष्ण की रक्षा हुई। उसी समय से भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में हर साल जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है।
श्री कृष्ण का जीवन परिचय – Shree Krishn ka jivan Parichay
श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की जेल में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इनके पिता का नाम वासुदेव तथा माता का नाम देवकी था । देवकी मथुरा के राजा कंस की बहन थी।
एक आकाशवाणी को सुनकर राजा कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार मेंडाल दिया था। जिसमें कहा गया था कि देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा कंस का वध होगा।
इनके मामा कंस से इनके प्राणों की रक्षा करने के लिए इनके जन्म के तुरंत बाद वासुदेव ने बालक कृष्ण को यशोदा और नंद के घर गोकुल पहुंचा दिया था। वहीं उनका लालन-पालन हुआ। श्री कृष्ण की शिक्षा अपने भाई बलराम के साथ उज्जैन में संदीपनी ऋषि के आश्रम में हुई।
बड़े होने पर श्री कृष्ण ने कंस का वध किया और मथुरा के लोगों को उसके अत्याचारों से मुक्त कराया। श्री कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से भाग लिया तथा अर्जुन के सारथी बने और अर्जुन को गीता का उपदेश दिया।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है? (तैयारियां) How is Krishna Janmashtami Celebrated ?
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष में आयोजित श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार को हमारे देश में बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी पर मंदिरों को बहुत खूबसूरती से सजाया जाता है और वहां झांकियां सजाई जाती हैं और बड़ी रौनक होती है।
इस त्यौहार के दिन लोग व्रत रखते हैं यह व्रत रात्रि 12:00 बजे तक रहता है। रात्रि 12:00 बजे भगवान कृष्ण के जन्म के समय मंदिरों में ” हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की” गाया जाता है|
भगवान कृष्ण की प्रतिमा को दूध, शहद व गंगाजल से स्नान कराकर उन का भोग लगाया जाता है, श्रद्धालुओं को प्रसाद का वितरण किया जाता है, इस दिन मंदिरों का दृश्य बड़ा ही मनोहारी होता है।
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महाराष्ट्र में दही-हांडी (मटकी फोड़) प्रतियोगिता – Dahi-Handi Competition in Maharashtra
जन्माष्टमी त्यौहार के अवसर पर पूरे देश में कई जगहों पर ( विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात में )इस प्रतियोगिता का आयोजन बड़े हर्षोल्लास से किया जाता है। इस प्रतियोगिता में खुले मैदान में काफी ऊंचाई पर एक रस्सी बांधकर उसमें एक दही से भरी मटकी लटकायी जाती है।
फिर गोविंदाओं की टीम उस मटकी को फोड़ने का प्रयास करती हैं । मटकी फोड़ने वाली टीम को विजेता चुना जाता है और पुरस्कृत किया जाता है, और उन्हें ईनाम दिए जाते हैं ।
अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है जन्माष्टमी का त्यौहार – Janmashtami in Other Countries
हिंदुओं का विशिष्ट पर्व ना सिर्फ भारत में बल्कि विश्व के कई अन्य देशों में भी उसी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भारत के अतिरिक्त यह त्यौहार नेपाल, इंडोनेशिया, अमेरिका, फिजी, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, जमैका, सूरीनाम तथा बांग्लादेश के ढांकेश्वरी मंदिर में हिंदू धर्म के अनुयायियों के द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन बांग्लादेश में राष्ट्रीय अवकाश होता है।
जन्माष्टमी व्रत के लिए पूजा सामग्री – Pooja Samagri for Janmashtami Vrat
- बाल गोपाल के लिए झूला
- बाल गोपाल की मूर्ति
- चौकी
- वस्त्र
- गहने
- बांसुरी
- कुमकुम
- चंदन
- तुलसी के पत्ते
- मक्खन
- मिश्री
- अक्षत
- केसर
- कपूर
- धूपबत्ती
- गंगाजल
- पंचामृत
- पुष्पमाला
- सुपारी
- सिंदूर
- पान के पत्ते
- तुलसी माला
- लाल कपड़ा
- दीपक व बाती
- दूध
- दही
- शुद्ध घी
- शहद
- केले के पत्ते
- खीरा
जन्माष्टमी की पूजा विधि – Pooja Vidhi of Janmashtami
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। तदोपरांत उत्तर अथवा पूर्व की ओर मुंह करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। उसके बाद पालने में बाल गोपाल की मूर्ति को स्थापित करना चाहिए।दिन में भजन-कीर्तन करना चाहिए ।
रात्रि 12:00 बजे कृष्ण जन्म का उत्सव मनाना चाहिए। कृष्ण जन्म के बाद पंचामृत से बाल गोपाल का अभिषेक करके उन्हें नए वस्त्र पहना कर पालने में झुलाना चाहिए। साथ ही ” हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की” तथा ” नंद के आनंद भयो” गाना चाहिए।
तुलसी के पत्ते पंचामृत में डालकर, धनिया की पंजीरी तथा माखन मिश्री का भोग लगाना चाहिए, फिर आरती करके प्रसाद वितरित करना चाहिए।फिर व्रत खोलकर भोजन करना चाहिए ।
जन्माष्टमी 2023 तिथि – Janmashtami 2023 Date
हिन्दू पंचांग के अनुसार 2023 में भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03:37 पर प्रारंभ होगी, और इसका समापन 07 सितंबर 2023 को शाम 04:14 पर होगा।
अतः गृहस्थ लोगों के लिए 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाना शुभ होगा। जबकि वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले लोग 7 सितंबर को जमाष्टमी मना सकते हैं।
अष्टमी तिथि का प्रारंभ | 06 सितंबर 2023 दोपहर 03:37 बजे |
अष्टमी तिथि की समाप्ति | 07 सितंबर 2023 शाम 04:14 बजे |
व्रत पारण का समय | 07 सितंबर 2023 सुबह 06:09 के बाद होगा |
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ | 06 सितंबर 2023 प्रातः 09:20 से |
रोहिणी नक्षत्र समाप्त | 07 सितंबर 2023 प्रातः 10:25 |
जन्माष्टमी 2023 का शुभ मुहूर्त – Auspicious Time of Janmashtami 2023
पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 07 सितंबर को 00:02 से 00:48 बजे तक रहेगा। इस प्रकार निशीथ पूजा की कुल अवधि 46 मिनट की होगी ।
जन्माष्टमी पर्व पर बाजारों की रौनक – The Beauty Of Markets on Janmashtami
जन्माष्टमी के त्यौहार पर बाजार की रौनक अद्भुत एवं अनुपम होती हैं। चारों ओर विभिन्न प्रकार की दुकानें सजी होती हैं ।
भगवान कृष्ण की सुंदर मूर्तियां, वस्त्र, पूजा सामग्री की दुकानें, मिठाई, सजावट के सामान, फल-फूल आदि की सजी हुई दुकानें सहज ही लोगों का मन मोह लेती हैं । बाजारों में खरीदारी करने वाले लोगों की बहुत भीड़ और चहल-पहल होती है।
कारागृहों में जन्माष्टमी पर्व का आयोजन – Janmashtami in Prisons
क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म कंस के कारागृह में हुआ था इसी कारण देश के अधिकांश हिस्सों में जेल और थानों में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जेल और थानों को भव्य रूप से सजाया जाता है, और धूमधाम से इस त्यौहार का आयोजन किया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत एवं उसका महत्व – Shree Krishn Janmashtami Fast and its Significance
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर लोग प्रातः स्नान करके भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करके व्रत धारण करते हैं। जन्माष्टमी का व्रत अन्य व्रतों से कठोर होता है, इस व्रत में पूरे दिन उपवास धारण करना होता है।
यह व्रत रात्रि 12:00 बजे कृष्ण जन्म के बाद बाल गोपाल को भोग लगा कर पूर्ण होता है, उसके बाद ही साधक भोजन ग्रहण करते हैं । व्रत रखने वाले साधक पूरा दिन श्री कृष्ण की प्रतिमा के समक्ष भजन कीर्तन करते हैं।
जन्माष्टमी के व्रत को विधि विधान से करने पर मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है, तथा वह सीधा बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है।
मथुरा व वृंदावन की अद्वितीय जन्माष्टमी – Unique Janmashtmi of Mathura and Vrindavan
यूँ तो पूरे देश व अन्य देशों में जन्माष्टमी की खूब धूम रहती है, परंतु मथुरा, वृंदावन की जन्माष्टमी अद्वितीय होती है । भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि होने के कारण मथुरा में जन्माष्टमी पर्व की छटा निराली होती है।
मथुरा और वृंदावन के लगभग सभी मंदिर इस दिन बहुत सुंदर सजे होते हैं। यहां दूरदराज से आए भक्तों की अपार भीड़ होती है, जो बाल गोपाल के दर्शनों के लिए घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। यहां जन्माष्टमी के अवसर पर रासलीला का आयोजन होता है, दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं।
एस्कॉन मंदिरों में जन्माष्टमी पर्व की निराली छटा – Unique Shade of Janmashtami in Escon Temple
एस्कॉन सोसाइटी के द्वारा स्थापित श्री कृष्ण के “एस्कॉन टेंपल”(Iskcon Temple) दिल्ली, मथुरा सहित देश के अन्य भागों और विदेशों में भी प्रसिद्ध है।
यहां जन्माष्टमी पर्व के अवसर पर इस्कॉन मंदिर में विभिन्न प्रकार की भव्य झांकियों का प्रदर्शन करते हैं, जन्माष्टमी पर आयोजित होने वाली झांकियों की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है।
एस्कॉन मंदिरों में विदेशी मूल के कृष्ण भक्त इस दिन कृष्ण भक्ति में सराबोर होकर नाचते गाते हैं और भजन कीर्तन करते हैं। इस्कॉन मंदिरों में किए जाने वाले भव्य आयोजनों को लोग दूर-दूर से देखने के लिए आते हैं।
विदेशी कृष्ण भक्तों द्वारा विशेष लय-ताल के साथ कृष्ण भजनों का गायन बहुत ही मनोरम दृश्य होता है, जिसे देखकर सहज ही आंखों पर विश्वास नहीं होता।
जन्माष्टमी त्यौहार का महत्व – Significance of Janmashtami
भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु भगवान का आठवां अवतार माना जाता है, कृष्ण के रूप में विष्णु भगवान के इस अवतार का अवतरण विशिष्ट व अलौकिक शक्तियों के साथ हुआ था।
जिसका उद्देश्य था पृथ्वी पर अधर्म का नाश करके धर्म की स्थापना करना। गीता में स्वयं उपदेश देते हुए भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि धरती पर जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं अवतार लूंगा।
और श्रीकृष्ण ने अपने जीवन काल में कंस सहित अनेकों राक्षसों का संहार करके धरती पर धर्म की स्थापना की।
उन्होंने महाभारत के युद्ध में कौरवों के द्वारा अधर्म और अनीति का अनुसरण करके युद्ध जीतने की उन की लालसा को समाप्त किया, और पांडव सेना में अर्जुन के सारथी बनकर धर्म का साथ दिया।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म के अवसर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में हिंदू धर्म के लोग प्रतिवर्ष मनाते हैं, और उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करते हैं|
इस उत्सव को मना कर हम भगवान श्री कृष्ण के बताएं धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयत्न करते हैं, इसीलिए इस उत्सव का महत्व है।
अलौकिक शक्ति संपन्न परंतु ‘अबोध’ श्री कृष्ण की लीलाएं –
श्री कृष्ण युग दृष्टा, धर्म स्थापक, कुशल राजनीतिज्ञ, परम ज्ञानी और अलौकिक शक्तियों से संपन्न थे, परंतु फिर भी एक अबोध बालक की तरह थे।
असीमित शक्तियों के स्वामी होने के बाद भी, उन्होंने इनका प्रयोग कभी भी स्वयं के लिए नहीं किया बल्कि उन्होंने धरती पर धर्म की स्थापना, असहायों, निर्बलों की सहायता के लिए ही सदैव इन का प्रयोग किया।
दोस्तों ! Janmashtami Essay in Hindi | जन्माष्टमी 2023 निबंध के अपने इस लेख में हम भगवान श्री कृष्ण के जीवन से संबंधित उनकी कुछ लीलाओं का वर्णन कर रहे हैं, जिनसे आप उनके व्यक्तित्व का सहज ही अनुमान लगा सकेंगे।
- श्री कृष्ण ने बचपन से ही असुरों व अधर्म का विनाश करने के लिए कार्य किए, उन्होंने पूतना, तृणावर्त, बकासुर, अघासुर, कालिया नाग, यमलार्जुन आदि राक्षसों के साथ-साथ कंस का भी वध किया, इससे उनकी शक्ति, पराक्रम और उद्देश्य का पता चलता है।
- श्री कृष्ण अपरिमित शक्तियों के स्वामी होने के उपरांत भी एक अबोध बालक की भांति ही थे, वे माखन चोरी करते, गोपियों की मटकी तोड़ते, ग्वालों के साथ खेलते और साधारण ग्राम वासियों के साथ सामान्य जन जैसा व्यवहार करते।
- विभिन्न कवियों ने श्री कृष्ण की रास लीलाओं का अपनी रचनाओं में सजीव वर्णन किया है, उन्हें प्रेम का प्रतीक माना गया है, राधा व अन्य गोपियों के साथ उनकी प्रेम लीलाएं तथा वियोग वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है।
- श्री कृष्ण एक कुशल राजनीतिज्ञ भी थे, उन्होंने द्वारिका में अपनी नगरी बसाई, और द्वारिकाधीश के रूप में शासन किया। कभी उन्होनें महाभारत में अर्जुन का सारथी बनकर उन्हें गीता का उपदेश दिया और उन्हें अपने कर्तव्य का अहसास कराया, और कभी अपनी नीतियों से पांडवों को युद्ध में विजय दिलाई।
FAQs
प्रश्न – श्री कृष्ण का जन्म कहां हुआ था ?
उत्तर – कृष्ण के मामा और मथुरा के राजा कंस के कारागार में ।
प्रश्न – श्री कृष्ण किसके अवतार थे ?
उत्तर – भगवान विष्णु के 8 वें अवतार थे ?
प्रश्न – कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाया जाता है ?
उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
प्रश्न – जन्माष्टमी का पर्व क्यों मनाया जाता है ?
उत्तर – यह पर्व श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाते हैं।
प्रश्न – जन्माष्टमी कब है ?
उत्तर – 06 सितंबर 2023
प्रश्न – कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कितनी तारीख को है?
उत्तर –06 सितंबर 2023
प्रश्न – मथुरा में जन्माष्टमी कब है 2023 ?
उत्तर – 06 सितंबर 2023
प्रश्न – श्री कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है ?
उत्तर – कृष्ण जन्माष्टमी के दिन l लोग प्रातः उठकर स्नान करके, व्रत धारण करते हैं, पूरे दिन भजन कीर्तन करते हैं, रात्रि 12:00 बजे कृष्ण जन्म होने पर, उन्हे नहलाकर नए कपड़े पहनाकर, उनका भोग लगाकर फिर स्वयं भोजन ग्रहण करते हैं।
निष्कर्ष – Conclusion
ऊपर दी गई समस्त जानकारी के पश्चात हम यह कह सकते हैं कि, श्री कृष्ण का जन्म पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए हुआ था, अलौकिक शक्तियां होने के बाद भी उन्होंने उनका प्रयोग मानव मात्र की रक्षा एवं धर्म की स्थापना के लिए किया। भगवान होते हुए भी उन्होंने एक साधारण मनुष्य की तरह जीवन को जिया।
हम भगवान कृष्ण के आदर्शों को याद रखने के लिए उनके जन्मदिन को श्री कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के रूप में प्रतिवर्ष मनाते हैं। हमें उनकी शिक्षाओं व आदर्शों को अपने जीवन में उतारने का सफल प्रयास करना चाहिए, तभी इस पर्व को मनाने की सार्थकता सिद्ध होती है।
हमारे शब्द
प्रिय पाठकों ! हमारे इस लेख (Janmashtami Essay in Hindi | जन्माष्टमी 2023 निबंध ) में Janmashtami Essay in Hindi के बारे में हमने आपको विस्तार से हर जानकारी देने का पूरा प्रयास किया है। जन्माष्टमी से जुड़ी वृहत जानकारी आपको कैसी लगी ?
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जीवन को अपनी शर्तों पर जियें ।
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