Essay on Bhai Dooj | भाई दूज पर निबंध | भाई दूज कब है 2023

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भाई-बहन के अगाध प्रेम को प्रदर्शित करने वाला पर्व भाई-दूज भाई-बहन के परस्पर प्रेम व स्नेह को दर्शाता है । रक्षा बंधन के बाद यह दूसरा बड़ा पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है ।

इस त्यौहार को ‘यम द्वितीया’ के नाम से भी जाना जाता है, ये दशहरा के लगभग 22 दिन और दीपावली के 2 दिन बाद आता है। भारत में इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार यह त्यौहार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है।

तो आइए दोस्तों, हम इस लेख Essay on Bhai Dooj | भाई दूज पर निबंध | भाई दूज कब है 2023 में आपको Essay on Bhai Dooj के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हैं।

आप इस निबंध को पढ़कर भाई दूज पर निबंध लिखना सीख सकेंगे। ये निबंध कक्षा 5,6,7,8,9,10,11,12 के छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। आप से गुजारिश है कि इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें। तो आइए शुरू करते हैं Essay on Bhai Dooj

Table of Contents

Essay on Bhai Dooj | भाई दूज पर निबंध | भाई दूज कब है 2023

बिन्दु जानकारी
पर्व का नाम भाई दूज
अन्य नाम यम द्वितीया, भैय्या दूज, दोज, भाई टीका, भ्रातृ द्वितीया
मनाने वाले लोगहिन्दू, प्रवासी हिन्दू
पर्व को मनाने का उद्देश्य बहन द्वारा भाई के स्वस्थ जीवन एवं दीर्घायु की कामना
पर्व मनाने की तिथिकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि
समान त्यौहाररक्षा बंधन
भाई दूज कब है 2023 15 नंवबर, 2023 बुधवार 
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प्रस्तावना –

सदियों से भाई-बहन के प्रेम ने शेष सभी रिश्तों से ऊपर अपना अलग महत्वपूर्ण स्थान बना रखा है। हिंदू धर्म में इस पवित्र रिश्ते को समर्पित दो महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। रक्षाबंधन और भाई दूज। भाई दूज का पर्व भी रक्षाबंधन की तरह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक कर स्वादिष्ट भोजन कराती है, तथा भाई भी उन्हें उपहार देते हैं ।

Essay on Bhai Dooj
Essay on Bhai Dooj

2023 में भैय्या दूज कब है – 2023 mein bhaiya Dooj Kab Hai

2023 में दीपावली पर्व 12 नवम्बर को मनाया जाएगा। 13 नवम्बर को गोवर्धन पूजा होगी और 14 व 15 नवम्बर को भाई दूज का त्यौहार होगा।

कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि का आरंभ 14 नवंबर, दिन मंगलवार को दोपहर 2:36 से होगा और समापन 15 नवंबर, बुधवार को दोपहर 1:47 पर होगा। उदया तिथि के अनुसार भाई दूज का पर्व 15 नवंबर को मनाया जाना चाहिए लेकिन भाई दूज का तिलक हमेशा केवल शोभन योग में किया जाता है। 

इस बार शोभन योग 14 नवंबर को है। अतः जो लोग शोभन योग में भाई दूज की पूज एवं तिलक करना चाहते हैं वे 14 नवंबर को भाई दूज मना सकते हैं, तथा जो लोग तिथि के अनुसार पर्व मनाना चाहते हैं वह 15 नवंबर को भी भाई दूज मना सकते हैं। अतः 2023 में दोनों ही दिन भाई दूज की पूजा एवं तिलक के लिए शुभ रहेंगे।  

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भाई दूज 2023 शुभ मुहूर्त – Bhai Dooj Muhurt

तिथि/त्यौहारतारीखमुहूर्त/समय
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि प्रारंभ14 नवंबर 2023 दोपहर 02:36 से
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि समाप्त15 नवंबर 2023दोपहर 01:47 पर
भाई दूज टीका मुहूर्त14 नवंबर 2023दोपहर 01:10 से 03:19 तक
भाई दूज टीका मुहूर्त15 नवंबर 2023प्रातः 10:45 से दोपहर 12:05 तक। 

भाई दूज कैसे मनाते हैं ?, विधि – How Bhai Dooj is Celebrated ?

भाई दूज पर्व को यम-द्वितीया भी कहा जाता है । भाई दूज का पर्व भाई बहन के प्रेम और स्नेह से परिपूर्ण पवित्र रिश्ते को समर्पित एक और भारतीय त्योहार है। भाई बहन के प्रेम को प्रदर्शित करने वाला यह त्योहार लगभग रक्षाबंधन जैसा ही त्योहार है।

इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं, बहनें भाई के माथे पर मंगल टीका लगाकर उन्हें गोला ( सूखा नारियल) और मिठाई देती है, तथा उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं । भाई भी अपनी बहनों को उपहार और शगुन ( रुपये ) देते हैं।

भाई दूज की पूजा व विधि-विधान – Bhai Dooj Puja Vidhi

भाई दूज के त्यौहार पर ऐपण का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस दिन बहनें प्रातः नहाकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर ऐपण तैयार करती हैं, जिनमें मुख्य रूप से सात बहन और एक भाई का ऐपण तैयार किया जाता है जो संकेत के रूप में होते हैं।

उसी में कुछ सांप बिच्छू जैसी आकृतियां बनाई जाती हैं जो भाई के जीवन में विपत्तियों का प्रतीक होती हैं। उन्हें मुसल से प्रहार करते हुए समाप्त कर दिया जाता है जो इस बात का द्योतक माना जाता है कि भाई के जीवन में आने वाले संकटों को समाप्त कर दिया है।

साथ ही बहनें भाई की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की ईश्वर से प्रार्थना करती हैं। फिर बहनें भाई के तिलक लगाकर मीठा और गोला ( सूखा नारियल) देती हैं। और फिर स्वयं भोजन करती हैं।

भाई दूज का महत्व – Significance of Bhai Dooj

भाई दूज पर्व का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, यह पर्व भाई बहन के प्रेम का पर्व है। इस पर्व से भाई के जीवन और स्वास्थ्य के प्रति बहन की चिंता, और बहन की सुरक्षा के प्रति भाई के दायित्व के भावों का पता चलता है।

यह त्यौहार हर वर्ष मनाने से भाई बहन के प्रेम की प्रगाढ़ता और बढ़ जाती है। पुरानी कथाओं के अनुसार भी भाई बहन के प्रेम को प्रदर्शित करने वाला यह अनोखा पर्व बहुत महत्वपूर्ण है।

ऐसी मान्यता है कि यदि इस दिन भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करके यमराज की पूजा करते हैं तो उन्हें यम ( मृत्यु ) का भय समाप्त हो जाता है।

ऐसा भी कहा जाता है यदि इस दिन यमुना नदी में स्नान किया हो और ऐसे व्यक्ति को सर्प काट ले तो उस पर विष का कोई असर नहीं होता।

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भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथाएं / भाई दूज क्यों मानते हैं ? Why We Celebrate Bhai Dooj ?

पहली कथा – सूर्य देव तथा उनकी धर्मपत्नी छाया के घर में 2 बच्चों का जन्म हुआ, पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। विवाह के पश्चात यमुना अपने भाई से ज़िद किया करती थी कि वह उसके घर पर आकर भोजन करें। परंतु व्यस्तता के कारण यमराज ऐसा नहीं कर पाते थे।

एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन अचानक द्वार खोलने पर सामने यमराज को खड़ा देख यमुना प्रसन्नता से भाव-विभोर हो गई। उसने अपने भाई का प्रेम पूर्वक आदर सत्कार किया और उसे खुशी-खुशी भोजन कराया।

तब यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना को वर मांगने के लिए कहा , तब बहन यमुना ने कहा कि आप प्रतिवर्ष इसी दिन मेरे घर आकर भोजन किया करें, और इसके साथ-साथ यह भी मांगा कि आज के दिन जो भी बहन अपने भाई का टीका करके उसे भोजन कराएगी उसे आपका ( यमराज ) भय न रहे।

यमराज तथास्तु कहकर वहां से चले गए। तभी से यह मान्यता प्रचलित है कि जो भाई कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना में स्नान करके अपनी बहनों का आतिथ्य स्वीकार कर भोजन ग्रहण करते हैं उन भाइयों और बहनों को यमराज का भय नहीं रहता। 

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दूसरी कथा – भाई दूज पर्व से जुड़ी दूसरी पौराणिक कथा इस प्रकार है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर को पराजित किया, उसके बाद वह अपनी बहन सुभद्रा से मिलने उसके घर गए।

भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने अपने भाई का पूरे गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। क्योंकि भगवान कृष्ण नरकासुर को पराजित करके लौटे थे इसलिए सुभद्रा ने उनके मस्तक पर विजय तिलक लगाया, उसके बाद अपने भाई के लिए नाना प्रकार के पकवान और व्यंजन तैयार किए, उन्हें भोजन कराया और सेवा की।

भगवान कृष्ण को अपनी बहन का आतिथ्य बहुत भाया। माना जाता है कि तभी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को भाई अपनी बहन के घर जाते हैं, बहन उनके तिलक लगाती हैं और उनका आदर सत्कार करती हैं।

तीसरी कथा – एक बूढ़ी औरत थी, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। उस बूढ़ी महिला के बेटों पर सर्प की कुदृष्टि रहती थी। बूढ़ी के बेटों की शादी के वक्त जब सातवाँ फेरा होता उसी समय सर्प उसे डस लेता। इस प्रकार उस महिला के 6 बेटों की मृत्यु हो गई।

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बुढ़िया ने डर से अपने सातवें बेटे का विवाह नहीं किया। परंतु भाई को यूं अविवाहित देखकर बहन को बहुत दुख होता था। बहन ने एक ज्योतिष के पास जाकर उससे उपाय पूछा। ज्योतिष ने बताया कि तेरे भाइयों पर सर्प की कुदृष्टि है यदि तुम अपने भाई के समस्त संकट खुद पर ले लो तो उसका जीवन बच जाएगा।

यह सुनकर बहन ने मन ही मन संकल्प किया कि वह अपने भाई का जीवन बचाकर रहेगी और उसके सभी संकट स्वयं पर ले लेगी। उस दिन के बाद उसका भाई जो भी कार्य करना चाहता, उस कार्य को पहले वह करती थी, और फिर भाई को करने देती।

अगर कोई उसे ऐसा करने से रोकता तो वह झगड़ा करती, जिद करती, चिल्लाती अंत में सभी को उसकी बात माननी पड़ती। उसके व्यवहार से सभी लोग खिन्न थे, परंतु उसने किसी की भी परवाह ना करते हुए अपने भाई की जीवनरक्षा की ठान ली थी।

कुछ दिनों बाद उसके भाई की शादी का दिन आया, जीजा के सेहरा बांधने को आगे बढ़ने के समय उसने रोका और कहा पहले मेरा सम्मान करो और मुझे सेहरा बांधो, उसने सेहरा ले लिया, उसके अंदर एक सर्प था जिसे उसने फेंक दिया।

भाई के घोड़ी पर बैठने के समय उसने फिर से घोड़ी पर बैठने की जिद की, जब वह घोड़ी पर बैठी, घोड़ी पर एक सर्प था जिसे उसने दूर फेंक दिया।

द्वार पर जब दूल्हे का स्वागत हुआ तब उसने कहा पहले मेरा स्वागत करो, जब उसके गले में माला पहनाई गई उसमें भी एक सर्प था जिसे उसने फेंक दिया।

जब विवाह की रस्में शुरू हुई तब सर्पों का राजा स्वयं उसे डसने आया, उस बहन ने उसे पकड़ कर एक टोकरी ढककर बंद कर दिया।

फेरों के समय स्वयं नागिन वहां आई और बहन से बोली मेरे पति को छोड़ दो, तब बहन ने शर्त रखी कि मेरे भाई से अपनी कुदृष्टि हटाओ तो तुम्हारे पति को छोड़ दूंगी।

नागिन ने उसकी बात मान ली। इस प्रकार बहन ने सबके सामने खुद को अव्यवहारिक दिखाकर भी भाई के प्राणों की रक्षा की।

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भाई दूज के पर्व की मान्यता – Recognition of the Festival of Bhai Dooj

भाई दूज का पर्व हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है इस पर्व की मान्यता है कि बहन इस दिन यदि भाई का तिलक करती है तो इससे बहन भाई का प्रेम बढ़ता है और इसके साथ ही भाई की उम्र भी बढ़ती है।

ऐसा माना जाता है कि यमराज की बहन यमुना ने इस दिन अपने भाई से वचन लिया था कि भाई दूज मनाने वाली बहन को उनके ( यमराज के) भय से मुक्ति मिल जाएगी, और ऐसा करने से भाई की उम्र में वृद्धि होगी तथा बहन का सौभाग्य बढ़ेगा।

विभिन्न राज्यों व स्थानों में भाई दूज का पर्व Bhai Dooj Festival in Various places

भाई दूज का पर्व हिन्दू धर्म का एक विशिष्ट व महत्वपूर्ण पर्व है, यह समान महत्व के साथ ही देश के अधिकांश राज्यों व अन्य देशों में भी मनाया जाता है, हम अपने लेख Essay on Bhai Dooj | भाई दूज पर निबंध | भाई दूज कब है 2023 में कुछ का विवरण यहाँ दे रहे हैं ।

महाराष्ट्र में भाई दूज का पर्व – Bhai Dooj in Maharashtra

महाराष्ट्र में यह पर्व ‘भाऊ बीज’ के नाम से जाना जाता है। इस त्यौहार के दिन यहाँ बहनें अपने भाइयों के लिए प्रार्थना करती हैं, अनुष्ठान करती हैं। पूरे राज्य में यह पर्व भाऊ बीज, भतरु द्वितीया, भारती दिवस आदि कई अन्य नामों से भी जाना जाता है।

पश्चिम बंगाल में भाई दूज का पर्व – Bhai Dooj in West Bengal

प0 बंगाल में यह त्यौहार प्रतिवर्ष दिवाली (काली पूजा ) के दो दिन बाद मनाया जाता है। इसे यहाँ ‘भाई फोटा’ भी कहा जाता है।

यहाँ भी बहनें भाई को तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु की कामना करती हैं, विभिन्न प्रकार के व्यंजन व बंगाल की प्रसिद्ध मिठाईयां तैयार करती हैं, तथा सभी इस पर्व का आनंद लेते हैं।

आंध्र प्रदेश में भाई दूज का पर्व – Bhai Dooj in Andhra Pradesh

आंध्र प्रदेश में भाई दूज के त्यौहार को भगिनी हस्त भोजनामकहा जाता है। यहां भी इस पर्व को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाते हैं। इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है तथा इसे यहां उत्तर भारत की ही तरह पूर्ण आस्था के साथ मनाते हैं।

उत्तर प्रदेश में भाई दूज का पर्व – Bhai Dooj in Uttar Pradesh

उत्तर प्रदेश में भाई दूज का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यहाँ बहनें अपने भाई का तिलक करके उन्हें सूखा नारियल और बताशे देती हैं, भाई भी उन्हे कुछ उपहार व शगुन देते हैं।

बिहार में भाई दूज का पर्व – Bhai Dooj in Bihar

बिहार में भी यह त्यौहार धूम-धाम से मनाया जाता है, यहाँ भाई-दूज पर एक विशेष प्रकार की परंपरा है, यहाँ बहनें भाई दूज के दिन भाई को डांटती हैं बाद में उनसे क्षमा मांगती हैं। फिर बहनें भाइयों का तिलक करके उन्हें मीठा खिलाती हैं।

नेपाल में भाई दूज का पर्व – Bhai Dooj in Nepal

भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इस त्यौहार को ‘भाई टीका’ या ‘भाई तिहार’ के नाम से मनाया जाता है। यहां भी बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसके लंबे जीवन की कामना करती हैं।

भाई भी इस अवसर पर अपनी बहनों को कुछ ना कुछ उपहार अवश्य देते हैं, और इस त्योहार का आनंद लेते हैं। नेपाल में दशहरा के बाद यह त्यौहार सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।

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भाई दूज पर्व पर 10 लाइन – 10 Lines on Bhai Dooj Festival

  • भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है।
  • यह खूबसूरत व महत्वपूर्ण त्यौहार दिवाली के 2 दिन बाद मनाते हैं।
  • इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस त्योहार को विभिन्न राज्यों और देशों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
  • इस पर्व पर बहनें भाई को तिलक लगाकर गोला (सूखा नारियल) देती हैं और उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं।
  • भाई भी अपनी बहनों को इस दिन उपहार और शगुन ( रुपए) देते हैं।
  • शादीशुदा बहनें भाइयों को इस त्यौहार के दिन अपने घर बुलाती हैं, उनका स्वागत सत्कार करती हैं, उन्हें नाना प्रकार के भोजन बना कर खिलाती हैं।
  • भाई बहन के अगाध प्रेम को प्रदर्शित करने वाला रक्षाबंधन के बाद यह दूसरा बड़ा पर्व है।
  • एक पौराणिक मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को वचन दिया था कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर उससे तिलक कराएंगे, भोजन करेंगे, उन्हें स्वस्थ एवं दीर्घायु जीवन की प्राप्ति होगी।
  • दीपावली का पंच-पर्व उत्सव भाई दूज ( यम द्वितीया) के दिन समाप्त हो जाता है।

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निष्कर्ष – Conclusion

रक्षाबंधन की तरह भाई दूज का पर्व भी भाई-बहन का महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भाई-बहन एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं, और दोनों एक दूसरे के स्वस्थ, सुरक्षित व सुखमय जीवन की कामना करते हैं।

बहनें इस दिन भाई की दीर्घायु की कामना करती हैं, अतः भाइयों को भी उनके सुख-दुख में शामिल होने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए, क्योंकि यह एक ऐसा अनमोल रिश्ता है जिसके समान दूसरा कोई नहीं।

FAQ

 प्रश्न – भाई दूज कब है 2023 ?

उत्तर – 2023 में भाई दूज का पर्व 14 व 15 नवम्बर को मनाया जाएगा।

प्रश्न – भाई दूज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?

उत्तर – इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाते हैं, बहने भाई के माथे पर मंगल टीका लगाकर उन्हें गोला ( सूखा नारियल) और मिठाई देती है, तथा उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करती हैं । भाई भी अपनी बहनों को उपहार और शगुन ( रुपये ) देते हैं।

प्रश्न- भाई दूज पर बहनें क्या करती हैं?

उत्तर- भाई दूज पर बहनें अपने भाई का टीका करके उनके दीर्घायु होने की कामना करती हैं।

प्रश्न – भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

उत्तर- भाई दूज का पर्व भाई-बहन के असीम प्रेम व स्नेह को बनाए रखने व एक दूसरे के प्रति प्रेम प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है। 

प्रश्न – भाई दूज का क्या महत्व है ?

उत्तर- भाई दूज का त्योहार भाई बहन के रिश्तेऔर प्रेम की प्रगाढ़ता को प्रदर्शित करने वाला पर्व है। इस त्योहार पर बहनें भाई का तिलक करती हैं , उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराती हैं और उनके स्वस्थ जीवन व दीर्घायु की कामना करती हैं। इसीलिए भाई बहन के प्रेम को जीवंत रखने के लिए यह त्यौहार हर वर्ष मनाया जाता है।

हमारे शब्द – Our Words

दोस्तों ! आज के इस लेख  Essay on Bhai Dooj | भाई दूज पर निबंध | भाई दूज कब है 2023 में हमने आपको Essay on Bhai Dooj के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है , हमें पूर्ण आशा है कि आपको Essay on Bhai Dooj पर यह जानकारी और यह लेख अवश्य पसंद आया होगा।

यदि आप में से किसी भी व्यक्ति को इस लेख से संबंधित कुछ जानकारी अथवा सवाल पूछना हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।

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