होली पर निबंध 2023 इतिहास, महत्व | Holi Essay In Hindi 2023, History, Significance 

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हमारा देश हमेशा से त्योहारों का देश माना जाता है। यहां कई धर्मों , जाति के लोग गुलदस्ते की तरह एक साथ रहते हैं, और अपने – अपने त्योहारों को पूरे उत्साह से मनाते हैं। रंगों का त्योहार होली भारत के इन्ही त्योहारों में से एक महत्वपूर्ण त्योहार है। होली भारत का ऐसा निराला व अनुपम त्यौहार है, जिसके आकर्षण से कोई भी नहीं बच सका है।

वर्तमान में भारत में होली का त्यौहार लगभग सभी धर्म के लोग मस्ती और उमंग के साथ मनाते हैं। प्रेम और अपनेपन के रंगों से सराबोर यह त्यौहार धर्म ,जाति, ऊंच-नीच, छोटा- बड़ा तथा अमीरी-गरीबी की परिभाषाओं को भुलाकर आपस में प्रेम से एक दूसरे को गले लगा कर रहने तथा भाईचारे के साथ जीने का संदेश देता है। इस दिन लोग अपनी पुरानी शत्रुता व वैमनस्य को भुलाकर परस्पर एक दूसरे को रंग लगाकर दोस्तों की तरह गले मिलते हैं।

प्रिय पाठकों ! आज हम इस लेख में आपको होली के पर्व पर निबंध कैसे लिखें, इस समस्या का समाधान करते हुए बहुत ही सरल शब्दों में होली पर सविस्तार निबंध लिखने का सबसे आसान तरीका बताने जा रहे हैं, जो यदि आप सीखते हैं तो यह आपकी आगामी परीक्षाओं में आपके लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। तो दोस्तों, होली पर निबंध 2023 इतिहास, महत्व | Holi Essay In Hindi 2023, History, Significance  में लिखें इस निबंध को अंत तक पूरा अवश्य पढ़ें।

होली पर निबंध (महत्वपूर्ण जानकारी) – Holi Essay in Hindi

बिन्दु सूचना
त्यौहार का नामहोली
होली के अन्य नामफाग , डोल , आका
पर्व मनाने की तिथि फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा
होलिका दहन 07 मार्च 2023, मंगलवार
होली (धुलैंडी) की तिथि08 मार्च , 2023, बुधवार
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Table of Contents

होली 2023 तारीख व मुहूर्त/ 2023 में होली कब है – Holi 2023 Date And Time

दीपावली के बाद होली हिंन्दू धर्म के लोगों का दूसरा बड़ा त्यौहार है जिसे रंगों का पर्व भी कहते हैं ।  होली का पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है ।  होली का त्यौहार दो दिन मनाया जाता है ।  वर्ष 2023 में होली की तिथि और समय निम्न प्रकार हैं –

बिन्दु सूचना
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त07 मार्च 2023 को शाम 06:24 से रात 08:51 तक है
होलिका दहन07 मार्च, 2023, मंगलवार
अवधि2 घंटा 27 मिनट
धुलैंडी ( रंग का दिन ) 8 मार्च, 2023, दिन बुद्धवार
होली पर निबंध
होली पर निबंध

होली कब मनाई जाती है – When Holi Is Celebrated

रंगो का उत्सव होली का त्यौहार बसंत के आगमन का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होली के त्यौहार के बाद बसंत ऋतु का आगमन होता है । वास्तव में यदि देखा जाए तो बसंत पंचमी के बाद से ही होली का पर्व प्रारंभ हो जाता है, क्योंकि बसंत पंचमी के मौके पर लोग गुलाल उड़ाते हैं और उसी दिन से फाग ( होली ) के गीत गाने की शुरुआत हो जाती है।

इन दिनों प्रकृति का रूप बड़ा मनोहारी होता है , सरसों पर पीले फूलों का खिलना, खेतों में गेहूं की बालियों का इठलाना बहुत ही चित्ताकृषक होता है। होली का त्यौहार (होलिका दहन) हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और अगले दिन अर्थात चैत्र मास की कृष्ण प्रतिपदा को रंग (धुलेंडी) खेल जाता है।

होली के त्यौहार को मनाने को लेकर कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं , Holi Essay In Hindi 2023, History, Significance |  होली पर निबंध 2023, इतिहास, महत्व के इस लेख में आप इन मान्यताों/पौराणिक कथाओं के बारे में जानेंगे।

होलिका दहन मुहूर्त 2023- Holika Dahan 2023

2023 में फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च को मंगलवार के दिन सायं 04:17 पर प्रारंभ हो रही है, और इसका समापन 07 मार्च बुधवार को सायं 06:09 पर होगा। क्योंकि होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि मे प्रदोष काल में होता है अतः 2023 में होलिका दहन 7 मार्च दिन मंगलवार को होगा।

07 मार्च को होलिका दहन का शुभ मुहूर्त सायं 06:24 से रात 08:51 तक है। अर्थात यह मुहूर्त 2 घंटे 27 मिनट का है। इस दौरान होलिका पूजा करके उसमे अग्नि दी जाएगी।

होली 2023- Holi 2023

होलिका दहन के ठीक अगले दिन अर्थात 8 मार्च बुद्धवार को रंग खेला (धुलेंडी) जाएगा। इस दिन शाम 07:42 तक चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि है।

होली क्यों मनाई जाती है / होली की कहानी, इतिहास Why Holi Is Celebrated/ Story Of Holi, History –

हमारे देश में प्रत्येक हिंदू त्यौहार को मनाए जाने के पीछे कुछ धार्मिक व पौराणिक मान्यताएं है। इसी प्रकार होली के त्योहार को मनाए जाने के पीछे भी एक पौराणिक मान्यता है । आइए दोस्तों, आज हम आपको इस पौराणिक मान्यता व होली का इतिहास से परिचित कराते हैं।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था, वह स्वयं को सृष्टि में सर्वाधिक बलशाली मानता था और स्वयं को ही भगवान समझता था। वह चाहता था कि लोग भी उसे भगवान की तरह समझे और उसकी उपासना करें। अतः वह समस्त देवताओं सहित भगवान विष्णु से भी घृणा करता था। यहां तक कि वह उनका नाम भी सुनना नहीं चाहता था।

परंतु भगवान की लीला बड़ी निराली होती है शायद इसी कारण उसके घर में एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम प्रह्लाद था । प्रह्लाद विष्णु भगवान का अनन्य भक्त था, वह हमेशा अपने आराध्य देव भगवान विष्णु का नाम जपता रहता था और उन्हीं की उपासना करता था।

भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप को यह बिल्कुल पसंद नहीं था कि स्वयं उसका पुत्र ही विष्णु भगवान की पूजा करें, अतः वह उसे ऐसा करने से हमेशा रोकता था, और कहता था कि “यदि पूजा ही करनी है तो मेरी पूजा करो, क्योंकि स्वयं मैं ही भगवान हूँ ।”

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परंतु प्रह्लाद ने अपने पिता की बात नहीं मानी और हमेशा अपने आराध्य देव की पूजा करता रहा। अपने पुत्र की हठ देखकर दुष्ट असुर राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र का वध करने की एक युक्ति सोची ।

हिरण्यकश्यप की होलिका नामक एक बहन थी, होलिका को यह वरदान मिला था कि अग्नि उसे कभी जला नहीं सकती। होलिका को मिले इसी वरदान का लाभ उठाते हुए हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रहलाद को अपनी गोदी में लेकर अग्नि वेदी पर बैठ जाए, ताकि प्रहलाद अग्नि में भस्म हो जाए।

योजनानुसार होलिका बालक प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि वेदी पर बैठ गई परंतु सब कुछ उल्टा हो गया। बालक प्रह्लाद अपनी बुआ की गोदी में बैठा अपने इष्ट देव भगवान विष्णु का नाम लेते हुए उन्हें याद करने लगा।

अचानक अग्नि में बैठी होलिका जलने लगी ठीक उसी समय आकाशवाणी हुई कि होलिका को दिए गए वरदान की यह शर्त थी कि यदि वह इस वरदान का दुरुपयोग करेगी तो वह स्वयं जलकर भस्म हो जाएगी, और परिणाम स्वरूप देखते ही देखते होलिका स्वयं उस अग्नि में जलकर भस्म हो गई परंतु उस अग्नि ने प्रहलाद का बाल भी बांका ना किया।

इस सारे घटनाक्रम से राज्य की प्रजा बहुत प्रसन्न थी पूरे राज्य में खुशियां मनाई गई, तभी से उस दिन को होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है और इससे अगला दिन प्रसन्नता में आपस में रंग खेल कर मनाया जाता है।

होलाष्टक 2023- Holashtak 2023

फागुन माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक की अवधि को होलाष्टक माना जाता है। अर्थात् होलिका दहन से पूर्व के आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है ।  इस वर्ष 27 फरवरी 2023 से होलाष्टक प्रारंभ हो रहे हैं और होलिका दहन के दिन तक चलेंगे ।

हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ या मंगल कार्य जैसे मुंडन , गृह प्रवेश , या भूमि पूजन आदि नहीं किया जाना चाहिए ।  क्योंकि होलाष्टक को शोक का प्रतीक माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इसी दौरान भक्त प्रह्लाद पर अत्याचार हुए थे ।  होलाष्टक प्रारंभ होने के बाद से ही होली की तैयारियां शुरू होने लगती हैं ।

होलाष्टक को अशुभ क्यों माना जाता है – Why Holashtak is Regarded Inauspicious

हिन्दु धर्म कि मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक को अशुभ मानने के तीन अलग-अलग कारण माने जाते हैं ।

इनमें पहली मान्यता के अनुसार ये माना जाता है कि राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु भगवान की भक्ति से दूर करने के लिए 8 दिनों तक कठोर यातनाएं दीं ,अतः इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है ।

दूसरी मान्यता के अनुसार हिन्दु देवताओं के कहने पर कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए तरह-तरह के प्रयास किये और अंत में क्रुद्ध होकर शंकर भगवान ने फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथी को कामदेव को भस्म कर दिया था ।

तीसरी मान्यता के अनुसार ये आठ दिन मौसम के परिवर्तन का समय होता है, अतः इन दिनों बीमार होने की आशंका होती है और व्यक्ति के मन की स्थिती अवसादग्रस्त होती है, अतः इन दिनों शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं ।

होली पर्व की तैयारियाँ – Preparation of Holi

वास्तव में यदि देखा जाए तो होली का पर्व हिन्दु धर्म व हमारे देश का बहुत ही बड़ा व महत्वपूर्ण त्यौहार है ।  ये एक ऐसा निराला व अनोखा पर्व है कि इसके लिए लोगों की उत्सुकता देखते ही बनती है, लोग लगभग रंगों के इस त्यौहार का पूरे वर्ष इंतज़ार करते हैं और इसी कौतूहल के कारण लगभग महीना पूर्व से ही होली कि तैयारी शुरू कर देते हैं ।

लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार के चिप्स, पापड़ व इसके अतिरिक्त गोबर से बने विशेष प्रकार के उपले ( बलगुरियाँ ) आदि बनाते हैं फिर होली से ठीक पहले खोये से बनीं गुजिया , नमकीन सेव , मठरी, दही भल्ले व अन्य प्रकार की मिठाइयां बनाते हैं।

होली पर बाजार की रौनकें – Grace of Market at Holi

होली पर्व के आगमन की सूचना बाज़ार की रौनकें देखकर ही मिल जाती है ।  होली पर सभी जगह बाजारों मे होली कि बड़ी धूमधाम देखने को मिलती है ।  बाज़ार मे जगह-जगह रंगों व पिचकारी की दुकाने सजने लगती हैं ।  सभी बाजार होली के रंगों में सराबोर, रंगीनियों में लिपटे बेहद खूबसूरत प्रतीत होते हैं । इस खूबसूरत त्यौहार कि निराली छटा लोगों के अंदर एक अनोखी ऊर्जा का संचार कर देती है ।  

होली की पूर्व संध्या पर होलिका-दहन की परंपरा – Holika Dahan Tradition At Holi Eve

होली की पूर्व संध्या अर्थात् एक दिन पहले होलिका दहन की परम्परा है ।  आमतौर पर गाँव व शहरों मे मोहल्ले के किसी एक स्थान पर होली के लिए एक नियत स्थान होता है जिसे “होली चौक” के नाम से जाना जाता है ।  

बस्ती के युवक कुछ दिन पहले से ही उस स्थान पर लकड़ियाँ व उपले आदि जमा करते रहते हैं ।  उस स्थान को खूब सजाया जाता है और वहाँ गीत-संगीत के शोरगुल के साथ खूब रौनक होती है और होली के तराने फिजाँ में गूँजते हैं ।

फिर लोग शाम को होली पर जाकर पूजा-अर्चना करते हैं ।  और फिर प्रातः काल होलिका को अग्नि दी जाती है, लोग अपने परिवार के साथ प्रातः काल में होली पर जाते हैं और जलती हुई होली के चारों ओर परिक्रमा करते हुए हरे गन्ने तथा जौ की बाली भूनते हैं ।  

फिर जलती हुई होली से अग्नि लेकर घर पर आते हैं और अपने घर पर स्थापित होली को उसी अग्नि से प्रज्वलित करते हैं। होली की अग्नि के चारों ओर परिवार के लोग बैठकर होली के लोकगीत गाते हैं।

होली का त्यौहार कैसे मनाते हैं – How Holi Festival is Celebrated

होली के दिन लोगों का उत्साह देखते ही बनता है, इस दिन बच्चे , बड़े सभी होली की मस्ती में रंगे नज़र आते हैं।  लोग सुबह से ही टोली बनाकर मित्रों , रिश्तेदारों के घर जाते हैं , उन्हे रंग लगाकर गले मिलते हैं और बड़ों को गुलाल लगाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ,फिर एक-दूसरे को होली की बधाई देते हैं।  

फिर मेज़बान उन सभी को गुजिया , पापड़ , दही भल्ले तथा विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसते हैं और सभी मिलकर होली के गीतों पर थिरकते हैं ।  लोग इस दिन धर्म ,जाति, ऊंच-नीच, छोटा- बड़ा तथा अमीरी-गरीबी की परिभाषाओं को भुलाकर आपस में प्रेम से एक दूसरे को गले लगा कर होली की मस्ती में झूमते हैं ।  इस त्यौहार पर कुछ लोग ठंडाई आदि पीकर भी झूमते हैं ।

होली पर बनाए जाने वाले पकवान – Dishes Made on Holi

भारत के अन्य त्योहारों के विपरीत होली मौज-मस्ती और खाने-पीने का त्यौहार है। इस त्योहार पर अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्रकार के विशिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनकी तैयारी बहुत पहले से होने लगती है। उत्तरी भारत में होली के अवसर पर खोया से बनी स्वादिष्ट व मीठी गुजिया, दही भल्ले, मठरी, पापड़, चिप्स, तथा अन्य कई प्रकार के स्वादिष्ट पकवान भी बनाए जाते हैं।

देश के विभिन्न स्थानों पर होली के विविध रूप – Various Forms of Holi in Different States

देश के विभिन्न राज्यों में होली का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ अलग-अलग रीति-रिवाज व परंपराओं के साथ मनाया जाता है , आइए जानते हैं इन परंपराओं के बारे में –

ब्रज में बरसाना की लट्ठमार होली –

पूरे देश में ब्रज की होली सर्वाधिक अनूठी और प्रसिद्ध है इस बारे में एक कहावत भी है – “सारे जग से अनूठी ब्रज की होली” , बरसाने में होली पर्व को प्रेम के प्रतीक के रूप में देखा जाता है ।  

श्री कृष्ण नन्दगांव के थे और राधा बरसाना से , इसलिए ब्रज कि होली में नन्दगाँव के पुरुष और बरसाना कि महिलाएं शामिल होती हैं।  नन्दगाँव के पुरुष राधा जी के मंदिर “लाडली जी” पर झण्डा फहराने की कोशिश करते हैं ।

उनकी इस कोशिश के बीच महिलायें उन्हे लट्ठ से मारती हैं तथा पुरुष उनसे बचते हुए उन पर रंग डालते हैं और रंग से भरी पिचकारी से महिलाओं को भिगाने की फ़िराक में रहते हैं तो दूसरी ओर महिलाएं स्वयं को रंगों से बचाती हैं।

साथ ही उन्हे लाठी से मारकर उन्हें उनके कौतिक का जवाब देती हैं , और होरी ( होली ) के लोकगीतों को गाते हुए आपसी शरारत व रंग लगाने -बचने का यह दृश्य सचमुच बड़ा ही अद्भुत व मनोरम होता है ।

मथुरा-वृंदावन की होली –

मथुरा – वृंदावन की होली का दृश्य बड़ा निराला होता है, यहां पर्व की धूमधाम 16 दिन तक रहती है । होली की मस्ती में डूबी होली की टोली “उड़त गुलाल लाल भए बदरा” और “फाग खेलन आए नन्दकिशोर ” जैसे लोक गीतों पर मस्ती में झूमते-नाचते हुए एक दूसरे पर अबीर-गुलाल लगाते हुए होली के त्यौहार की रंगीनियत के दृश्य को देखने का सुख अपने चरम पर होता है ।

बिहार की मस्त फगवा होली –

बिहार की “फगवा” होली बहुत मस्त और शानदार होती है और ये त्यौहार यहाँ तीन दिनों तक चलता है ।  त्यौहार के पहले दिन रात के समय होलिका दहन किया जाता है, होलिका दहन को यहाँ “संवत्सर दहन” भी कहा जाता है ।  दहन के समय लोग अग्नि की परिक्रमा करते हुए नाचते हैं ।  

दूसरे दिन लोग इसकी राख से होली खेलते हैं, और इसे धुलैंडी कहते हैं और तीसरा दिन मस्ती में सराबोर होकर रंग खेलने का होता है ।  होल्यारों की टोलियाँ लोगों के घर जाती हैं और नाचते-गाते हैं ।  फागुन का अर्थ लाल रंग से होता है इसी कारण होली को फगवा के नाम से भी बुलाते हैं ।

मटकी फोड़” गुजरात की होली

गुजरात की होली की छटा भी बड़ी अनूठी होती है, इस अवसर पर यहाँ भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की याद दिलाते हुए होली के पर्व को मानते हैं ।  यहाँ महिलाएं मक्खन से भरी मटकी को बहुत ऊंचाई पर बंधी रस्सी से बांध देती हैं और फिर पुरुष ड्रिल बनाकर ऊंचाई पर चढ़कर उस मटकी को फोड़ने का प्रयास करते हैं और होली की मस्ती में सराबोर होकर नाचते-गाते हैं ।  

महाराष्ट्र की रंगपंचमी ( होली )

महाराष्ट्र में होली के अवसर पर मछुआरे जी भर कर नाचते गाते हैं और मस्ती करते हैं तथा एक दूसरे के घर पर जाकर होली मिलते हैं क्योंकि उनके लिए होली का मतलब सिर्फ नाचना गाना और मस्ती होता है। महाराष्ट्र में होली के मौके पूरनपोली नाम का मीठा व स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं ।

हरियाणा में धुलैंडी होली –

हरियाणा में वास्तविक होली को धुलैंडी के रूप में मनाया जाता है।  यहाँ गुलाल से होली खेली जाती है ।

पंजाब की “होला मोहल्ला” होली –

होली के अवसर पर पंजाब का “होला मोहल्ला” मेला प्रसिद्ध है | पंजाब में इस पर्व को मर्दों के ताकतवर व शक्तिशाली व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है।  सिक्खों के पवित्र धार्मिक स्थल “श्री आनंदपुर साहिब” में इस पर्व के अगले दिन से एक मेले का आयोजन होता है , जो छ: दिनों तक चलता है ।  इस मेले में लोग तीरंदाज़ी व घुड़सवारी जैसे करतब दिखाते हैं ।

बंगाल की प्रसिद्ध “डोल पूर्णिमा” होली –

बंगाल के साथ -साथ उड़ीसा राज्य में होली को डोल पूर्णिमा के नाम से पुकारते व मनाते हैं, बंगाल में लोग बसंती रंग के कपड़े पहनते हैं ।  इन राज्यों में होली के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण व राधा जी की प्रतिमा को डोल में रखकर भजन गाते हुए झूमते-नाचते पूरे गाँव व नगरों में यात्रा निकालते हुए घुमाया जाता है, और रंगों को उड़ाते हुए होली खेलते हैं।  इस पर्व को यहाँ “डोल जात्रा” भी कहा जाता है ।

मणिपुर की मशहूर होली –

देश के अन्य स्थानों के साथ-साथ मणिपुर की होली भी बहुत प्रसिद्ध है, यहाँ लोग होली के अवसर पर “थबल चैंगबा” नामक नृत्य करते हैं और नाच-गाने व अन्य कई प्रकार की प्रतियोगिताओं के साथ यहाँ इस पर्व को छः दिनों तक मनाया जाता है और इसे योसांग कहा जाता है ।

राजस्थान की मशहूर तमाशा होली –

राजस्थान में होली पर्व पर तमाशा शैली का चलन है, जिसमें नुक्कड़ नाटक के पैटर्न पर कलाकारों द्वारा पौराणिक कहानियों के चरित्रों का अभिनय करते हुए तमाशा का मंचन किया जाता है ।

मध्यप्रदेश की प्रसिद्ध भगौरिया होली –

मध्यप्रदेश की भील जाति के लोगों के लिए होली का पर्व विशेष महत्व रखता है और वे इसे भगौरिया कहते हैं, भील लोगों के लिए इस दिन का विशेष महत्व इसलिए होता है क्योंकि इस दिन युवा लड़कों को अपना मनपसंद साथी चुनने की आजादी होती है ।  इस पर्व के अवसर पर वे आम कि मंजरी, टेसू के फूल व गेहूं की बाली की पूजा-अर्चना करते हुए सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करते हैं ।

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होली जैसे ही मस्ती भरे विदेशी त्यौहार – Abroad Festivals Similar to Holi

होली का पर्व हमारे देश का अनोखा व निराला त्यौहार है इस त्यौहार की मस्ती और मनाने के ढंग के कारण ये देश का विशेष पर्व है ।  हमारे देश की ही तरह कुछ अन्य देशों में भी होली से मिलते-जुलते त्यौहार मनाए जाते हैं , आइए दोस्तों जानते हैं इन त्यौहारों के बारे में ।

  • न्यूजीलैंड में होली की तरह का ही एक रंगीला त्यौहार मनाया जाता है जिसे वानाका उत्सव कहा जाता है, ये छः दिनों तक चलता है ।
  • नववर्ष के अवसर पर थाईलैंड में सोंगकरन नाम का पर्व मनाया जाता है, इसमे लोग पानी में खूब मस्ती करते हैं और किसी तालाब के पास एकत्र होकर एक दूसरे को पानी में फेंकते हैं ।
  • जापान में भी मार्च ,अप्रैल में चेरी ब्लॉसम नाम का अनूठा पर्व मनाया जाता है क्योंकि इस समय चेरी के फूल आते हैं, लोग परिवार के साथ चेरी के बगीचे में बैठते है और एक दूसरे को बधाई देते हैं ।
  • पेरू मे पाँच दिनों तक चलने वाला इनकान उत्सव होली की याद दिलाता है, इस दिन लोग रंग-बिरंगे परिधान में शहर में अलग-अलग टोलियां बनाकर घूमते नजर आते हैं, और हर टोली की एक कलर थीम होती है।  यह लोग नाचते गाते हैं और रात में कुजको महल के सामने इकट्ठा होकर एक दूसरे को इस उत्सव की बधाइयां देते हैं।
  • चीन में भी युवान राज्य में मार्च-अप्रैल के दौरान एक दूसरे पर पानी फेंकने का उत्सव होता है यह चीन के दाई समुदाय के लोगों का एक महत्वपूर्ण पर्व है, इसे बुद्ध का स्नान भी कहा जाता है। इस त्योहार में भी लोग एक दूसरे पर पानी फेंकते हुए बधाई देते हैं।
  • पापुआ न्यूगिनी में गोरों का उत्सव के नाम से एक त्यौहार मनाया जाता है जिसके दौरान लोग माउंट हेगन की तलहटी में इकट्ठा होते हैं और वहां का पारंपरिक आदिवासी नृत्य करते हैं तथा साथ ही त्यौहार की मस्ती और उल्लास के साथ स्वादिष्ट भोज का आयोजन भी किया जाता है।
  • होली से मिलता जुलता एक स्नान पर्व तिब्बत में भी जुलाई माह के पहले 10 दिनों में मनाया जाता है, इस त्यौहार को गामारीजी के नाम से जानते हैं, तिब्बत के लोगों की मान्यता है कि इन दिनों नदी या तालाब का पानी मीठा और गले के लिए अच्छा होता है अतः इन दिनों यहाँ लोगों के द्वारा नदी, झील के किनारे टेंट लगाने और इस पर्व को स्नान पर्व के रूप में मनाने की परंपरा हैं।

होली का महत्व – Significance of Holi

होली के पवित्र त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है, लोगों की ऐसी मान्यता है कि होली पर हल्दी,दही व सरसों का उबटन लगाने से लोगों के समस्त रोग दूर होते हैं ।

होलिका दहन में गोबर के उपले जलाए जाते हैं , इस दहन से निकलकर वायुमण्डल में मिलने वाला पवित्र धुआँ हवा में मौजूद सभी प्रकार के वायरस को नष्ट करके हमें बीमारियों से बचाता है।  सबसे बढ़कर होली के त्यौहार का महत्व इसलिए है कि इस दिन लोग आपसी बैर-भाव व दुश्मनी भूलकर एक दूसरे से गले मिलते हैं ।

होली को कुरूप बनाने वाली कुरीतियां – Evils of Holi

होली हमारे देश का बहुत खूबसूरत त्यौहार है, परंतु वर्तमान में इस खूबसूरत त्यौहार को कुरूप बनाने वाली कुछ कुरीतियां देखने को मिलती हैं जो कि बहुत ही अशोभनीय है। बहुत से लोग इस त्योहार के अवसर पर नशा इत्यादि करते हैं और दूसरों के साथ झगड़ा करते हैं।

वहीं कुछ लोग इस त्यौहार को अपने दुश्मनों के साथ दुश्मनी निकालने का एक अच्छा अवसर के रूप में देखते हैं। इसके अलावा बहुत से लोग बहुत गंदी तरह से होली खेलते हैं, वे दूसरे लोगों पर रंग लगाने के बजाय काला तेल, ग्रीस, रसायन मिले हुए खतरनाक रंग लगाते हैं वहीं दूसरी ओर, कुछ लोग दूसरे लोगों पर नाली का गंदा पानी डालते हैं या उन्हें पास के किसी नाले इत्यादि में गिरा कर होली खेलने के सर्वाधिक निकृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जोकि बहुत ही निंदनीय तथा अशोभनीय है।

होली के दिन याद रखने योग्य बातें – Things To Remember on Holi

इस देश का नागरिक होने के नाते हम सभी का यह दायित्व है कि हम अपने देश के इस खूबसूरत त्योहार की गरिमा को बनाए रखें और मर्यादित व्यवहार करते हुए दूसरों के साथ होली खेले, अतः इस मौके पर हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए –

  • होली उत्सव के मौके पर जहां तक संभव हो हमें केवल अबीर-गुलाल जैसे सूखे रंगों से ही होली खेलनी चाहिए।
  • यदि हम पानी वाले रंगों से होली खेलते भी है तो हमें ध्यान रखना चाहिए कि हम पक्के रंगों , खतरनाक रसायन वाले रंगों, काला तेल अथवा ग्रीस का इस्तेमाल कदापि ना करें।
  • होली त्यौहार के दौरान हमें नशीली वस्तुओं के सेवन से दूर रहना चाहिए।
  • होली खेलते वक्त किसी के साथ रंग लगाने की जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए, अन्यथा हाथापाई करने से चोट लगने का खतरा रहता है।
  • इस अवसर पर कुछ लोग दूसरे लोगों को बिना बताए भांग के पकौड़े जैसी नशीली वस्तुएं खिला देते हैं हमें इस प्रकार की हरकतों से परहेज करना चाहिए।
  • लड़ाई झगड़ों से बचना चाहिए ।

होली शायरी, होली बधाई संदेश Holi Shayari , Holi Quotes, Masseges

दोस्तों , होली का त्यौहार बड़ा ही रंग-बिरंगा तथा राग रंग से भरपूर होता है। तो चलिए, इस त्यौहार के अवसर पर हम कुछ होली की शायरी के साथ इस त्यौहार को और मनोहारी बनाते हैं।

दुनिया बोलती है कि मैं खेलता नहीं होली
तेरी चाहत का जो रंग चढ़ा है मुझ पर
काश कि वह उतर जाए
तो मैं भी खेलूँ होली ।  

होली का यह त्यौहार
दिलों को मिलाने का मौसम है
दूरियों को मिटाने का मौसम है
रंगों का ये पर्व ही ऐसा है
सच में ये रंगों में डूब जाने का मौसम है ।

खुदा करे कि यह होली ऐसी आ जाए
मुझे मेरा बिछड़ा प्यार मिल जाए
मेरी दुनिया में रंग है सिर्फ उसी से
सोचता हूं कि काश ! वो आए
और मुझे गुलाल लगा जाए ।

अब क्या हम खाक मनाएं होली
जब वो ही किसी और की हो ली ।

होली के सदाबहार फिल्मी गीत ( Holi Evergreen Filmy Songs )

गीत फिल्म
रंग बरसे भीगे चुनर वाली …….सिलसिला
अंग से अंग लगाना सजन हमें ऐसे रंग लगाना…….डर
जोगी जी धीरे-2  ……… नदिया के पार
होरी खेले रघुवीरा …….. बाग़बान
होली के दिन दिल ……..शोले
बलम पिचकारी जो तूने ऐसी मारी………ये जवानी है दीवानी

FAQ

प्रश्न – वर्ष 2023 में होली कब मनाई जाएगी ?

उत्तर – इस वर्ष होली 8 मार्च, 2023, बुद्धवार को मनाई जाएगी ।

प्रश्न – वर्ष 2023 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है ?

उत्तर- वर्ष 2023 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 07 मार्च को शाम 06:24 से रात 08:51 तक है।

प्रश्न – हिरण्यकश्यप कौन था ?

उत्तर – हिरण्यकश्यप एक असुर राजा तथा प्रहलाद का पिता था जो स्वयं को भगवान समझता था ।

प्रश्न – प्रह्लाद कौन था ?

उत्तर – प्रहलाद हिरण्यकश्यप का पुत्र तथा भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था ।

प्रश्न – होलिका कौन थी ?

उत्तर – होलिका हिरण्यकश्यप की बहिन तथा प्रहलाद की बुआ थी ।

प्रश्न –होली के दिन लोग कौन-कौन से पकवान बनाते हैं ?

उत्तर –होली के दिन लोग चिप्स, पापड़, गुजिया, दही भल्ले, मठरी ,नमकीन सेम इत्यादि पकवान बनाते हैं ।

प्रश्न – होली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है

उत्तर – हिरण्यकश्यप के द्वारा विष्णु भगवान के भक्त तथा अपने पुत्र प्रहलाद को अपनी बहन होलिका के माध्यम से अग्नि में जलाकर मारने की योजना के विफल होने की खुशी में मनाया जाता है । दूसरे रूप में यह कहा जा सकता है कि होलिका के रूप में बुराई का अंत हुआ तथा अच्छाई की विजय हुई इसी खुशी को जश्न के रूप में होली के तौर पर मनाते हैं।

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“ज़िन्दगी को अपनी शर्तों पर जियें । “

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