हमारे देश में मनाए जाने वाले अनगिनत खूबसूरत त्योहारों में से हिन्दु धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) एक महत्वपूर्ण पर्व है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रान्ति का पर्व प्रति वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। परंतु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष माह में सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है।
प्रिय पाठकों , आज हम आपको इस लेख Essay of Makar Sankranti in Hindi | मकर संक्रांति पर निबंध,Date in 2023, महत्व में इस त्यौहार से जुड़ी सभी बातें विस्तार से बताने जा रहे हैं, आप वृहत जानकारी के लिए इस लेख को पूरा अवश्य पढ़ें , तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं यह लेख।
वैसे तो संक्रान्ति हर माह प्रत्येक राशि में आती है अर्थात 1 साल में 12 संक्रान्ति होती है परंतु सूर्य के कर्क और मकर राशि में प्रवेश का विशेष महत्व है। एक संक्रान्ति से दूसरी संक्रान्ति के बीच का समय ही सौर मास कहलाता है।
सूर्य कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर प्रवेश करते हैं तो यह दक्षिणायन कहलाता है तथा सूर्य देव का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर प्रवेश करना उत्तरायण कहलाता है।
इसी कारण इस पर्व को उत्तरायणी या उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है। इसी दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है। पृथ्वी से सूर्य 6 माह दक्षिण में और 6 माह उत्तर में होते हैं, संक्रान्ति के समय सूर्य देव उत्तरायण में होते हैं।
Essay of Makar Sankranti in Hindi | मकर संक्रांति पर निबंध,Date in 2023, महत्व
पर्व का नाम | मकर संक्रांति |
अन्य नाम | उत्तरायणी, माघी, खिचड़ी पर्व, बिहू, पोंगल, मकर संक्रमण |
मनाने की तिथि | पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि |
2023 में डेट | 15 जनवरी 2023 दिन रविवार |
मकर संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त | प्रातः 07:15 से दोपहर 12:30 तक |
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क्या है मकर संक्रान्ति पर्व का अर्थ ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष माह में सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने की खगोलीय घटना को मकर संक्रान्ति कहा जाता है।
मकर संक्रान्ति का महत्व क्या है ?- ( Importance Of Makar Sankranti )
मकर संक्रान्ति हिंदू धर्म का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है इसके साथ ही यह त्यौहार किसानों के लिए भी बहुत महत्व रखता है इस दिन किसान अपनी फसल काटना प्रारंभ करते हैं, यह एक ऐसा त्यौहार है जो प्रतिवर्ष केवल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।
इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं, और इस दिन के बाद हिंदू धर्म में सभी शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं, इस दिन गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि इस दिन दिया गया दान 100 गुना अधिक फलदायी होता है। इस दिन से ही ऋतु में परिवर्तन होना आरंभ हो जाता है अर्थात शरद ऋतु कमजोर पड़ने लगती है और बसंत ऋतु का आगमन शुरू होता है।
हिंदू धर्म के लोगों के लिए सूर्यदेव का अपना अलग महत्व है, सूर्य का प्रकाश हमें अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है तथा सदैव अग्रसर होने का प्रतीक है। अतः यह दिन सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हुए हर प्रकार से शुभ माना जाता है।
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क्यों मनाते हैं हम मकर संक्रान्ति ?(Why We Celebrate Makar Sankranti ?)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष माह में सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रान्ति त्यौहार मनाया जाता है।
मकर संक्रान्ति का त्यौहार कब मनाया जाता है? When Makar Sankranti Is Celebrared ?
Essay of Makar Sankranti in Hindi में आपको बता रहे हैं हिन्दू पंचांग के अनुसार मकर संक्रान्ति का पर्व प्रत्येक वर्ष पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 14 जनवरी को मनाया जाता है।
परंतु 2023 में मकर संक्रांति के पर्व को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है। कुछ ज्योतिषी 14 तो कुछ 15 जनवरी को पर्व मनाने की बात कर रहे हैं। तो दोस्तों आइए जानते हैं कि इस वर्ष इस पर्व को मनाने की सही तिथि क्या होगी ?
सन् 2023 में मकर संक्रान्ति तिथि व शुभ मुहूर्त – (Date And Time Of Makar Sankranti in 2023 )
प्रस्तुत वर्ष अर्थात् 2023 में सूर्य देव 14 जनवरी 2023 की रात 08:21 पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस तरह क्योंकि उदया तिथि 15 जनवरी को होगी अतः इस वर्ष मकर संक्रान्ति का पर्व 15 जनवरी 2023 दिन रविवार को मनाया जाएगा । इस दिन त्यौहार को मनाने का शुभ मुहूर्त व समय निम्न प्रकार है –
मकर संक्रान्ति पुण्य काल मुहूर्त | प्रातः 07:15 से दोपहर 12:30 तक |
पुण्य काल अवधि | 5 घंटे 15 मिनट |
संक्रान्ति महा पुण्य काल मुहूर्त | प्रातः 07:15 से प्रातः 09:15 तक |
महा पुण्य काल अवधि | 02 घंटा 00 मिनट |
मकर संक्रान्ति से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं – (Mythological Belief Related To Makar Sankranti )
पुराणों के अनुसार मकर संक्रान्ति के त्यौहार के बारे में कई पौराणिक मान्यताएं या कथाएं जुड़ी हुई हैं ,इस लेख में हम उनमें से कुछ महत्वपूर्ण कथाएं आज आपको बताते हैं –
प्रथम कथा – पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं, क्योंकि शनि देव मकर राशि के देवता माने जाते हैं इसी कारण से इस पर्व को मकर संक्रान्ति कहा जाता है।
द्वितीय कथा – एक और मान्यता के अनुसार संक्रान्ति के दिन मां गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुई थी और राजा भागीरथ के पीछे-पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होते हुए गंगासागर तक पहुंची थी।
मां गंगा के धरती पर पहुंचने के बाद राजा भागीरथ ने गंगा के पवित्र जल से अपने साठ हजार पूर्वजों का तर्पण किया था। इसी कारण इस दिन गंगासागर पर बहुत ही भव्य मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है।
तृतीय कथा – इसी प्रकार इस त्यौहार के बारे में एक और कथा प्रचलित है, माना जाता है कि महाभारत काल में आजीवन ब्रह्मचर्य का प्रण करने वाले, भीष्म प्रतिज्ञा लेने वाले कौरव सेना के महान सेनापति , गंगापुत्र भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। युद्ध में अपने पूरे शरीर में बाण लगने के बाद भी पितामह बाणों की शैय्या पर लेटे रहे परंतु अपने प्राणों का त्याग नहीं किया।
भीष्म जानते थे कि सूर्य के दक्षिणायन के समय मृत्यु होने पर मोक्ष प्राप्त नहीं होता और व्यक्ति को इस मृत्युलोक में बार-बार जन्म लेना पड़ता है, जबकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संक्रान्ति के दिन स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं ,अतः दो सप्ताह तक इंतजार के बाद जब सूर्य उत्तरायण हुए तब भीष्म पितामह ने अपने प्राणों का त्याग किया।
चतुर्थ कथा – एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार यशोदा मां ने संतान ( कृष्ण )प्राप्ति के लिए इसी दिन व्रत धारण किया था। उस समय सूर्य देवता उत्तरायण काल में पदार्पण कर रहे थे माना जाता है कि उसी दिन से मकर संक्रान्ति का व्रत रखने का प्रचलन शुरू हुआ।
पंचम कथा – कहा जाता है कि मकर संक्रान्ति के दिन विष्णु भगवान ने असुरों का अंत कर दिया था और युद्ध समाप्ति की घोषणा कर समस्त असुरों के सिर को मंदार पर्वत के नीचे दबा दिया था, अतः यह दिन बुराई के अंत का दिन भी माना जाता है।
देश में मकर संक्रान्ति के विभिन्न स्वरूप – (Different Forms Of Makar Sankranti In Country )
Essay of Makar Sankranti in Hindi में आप जानेंगे मकर संक्रान्ति का पर्व पूरे देश में अति उत्साह व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है परंतु भारत के अलग-अलग राज्यों में इस त्यौहार को अलग-अलग नामों व परंपराओं के साथ मनाया जाता है इनमें से कुछ प्रमुख राज्यों में इस पर्व के नाम व परंपरा इस प्रकार हैं –
उत्तराखंड – उत्तराखंड में इस पर्व को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है और बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश – उत्तर प्रदेश व बिहार में इसे खिचड़ी पर्व के नाम से जानते हैं लोग इस दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं इस मौके पर प्रयागराज ( इलाहाबाद) में प्रतिवर्ष 1 माह तक चलने वाले माघ मेले का आयोजन होता है।
तमिलनाडु – तमिलनाडु में इस त्यौहार को पोंगल के नाम से मनाते हैं यह लोग इस दिन को किसानों के द्वारा फसल काटने वाले दिन की शुरुआत के तौर पर मनाते हैं।
गुजरात – गुजरात में यह त्यौहार उत्तरायण के नाम से प्रसिद्ध है, इस राज्य में त्यौहार के दिन पतंगबाजी की प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं, जिनमें छोटे बड़े सभी लोग हिस्सा लेते हैं।
पश्चिम बंगाल – पश्चिम बंगाल में इस पर्व को पौष संक्रान्ति कहा जाता है, यहाँ प्रति वर्ष गंगासागर में एक बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है, माना जाता है कि राजा भागीरथ ने अपने साठ हजार पूर्वजों की राख को यहीं विसर्जित किया था , और गंगा में स्नान किया था।
आंध्र प्रदेश – आंध्र प्रदेश में भी इस पर्व को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है लोग बहुत ही धूमधाम से इस त्यौहार को मनाते हैं ।
असम – असम में इस त्यौहार को बिहू के नाम से मनाया जाता है।
केरल – केरल राज्य में यह त्यौहार एक बड़े उत्सव के रूप में मनाया जाता है लोग 40 दिनों का अनुष्ठान करते हैं जो सबरीमाला मंदिर में समाप्त होता है।
हरियाणा – हरियाणा और हिमाचल में इस पर्व को माघी के नाम से मनाया जाता है।
कश्मीर – कश्मीर में इसे शिशिर संक्रान्ति के नाम से मनाते हैं।
उड़ीसा – इस त्यौहार के दिन कई आदिवासी लोग नए साल की शुरुआत करते हैं और सब साथ मिलकर भोजन और नृत्य करते हैं।
महाराष्ट्र – महाराष्ट्र में इस त्यौहार के दिन तिल और गुड़ से बने व्यंजनों का आदान-प्रदान होता है, तिल के लड्डू दूसरों को बांटकर लोग ” तिल- गुल घ्या , गोड गोड बोला” कहते हैं। इस राज्य की ऐसी महिलायें जो शादीशुदा हैं, अतिथियों को “हल्दी कुमकुम” के नाम से पुकारकर उन्हें उपहार देती हैं।
पंजाब – पंजाब में लोग इस पर्व को एक दिन पूर्व ही 13 जनवरी को लोहड़ी के रूप में मनाते हैं। लोग इस दिन से अपनी फसलों को काटना शुरू करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
कर्नाटक – इस राज्य में मकर संक्रान्ति को मकर संक्रमण नाम के त्यौहार से मनाते हैं।
अन्य देशों में इस त्यौहार के भिन्न- भिन्न नाम – ( Different Names Of This Festival In Other Countries )
भारत के अतिरिक्त अन्य कई देशों मे भी इस त्यौहार का बहुत महत्व है , मकर संक्रान्ति के इस पर्व को इन देशों मे अलग – अलग नामों से जाना जाता है और अलग-अलग परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
- श्रीलंका में इसे उझवर थिरुनल नाम से जाना जाता है।
- कंबोडिया में इस त्यौहार को मोहा संगक्रान नाम से मनाते हैं।
- थाईलैंड में यह पर्व सोन्गकरन के नाम से मनाया जाता है।
- लाओस में पि मा लाओ नाम से इस पर्व को मनाते हैं ।
- म्यांमार में थिंयान नाम से इस पर्व को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
- बांग्लादेश – बांग्लादेश में यह त्यौहार पौष संक्रान्ति के नाम से जाना व मनाया जाता है।
- नेपाल – नेपाल में मकर संक्रान्ति को माघे संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
मकर संक्रान्ति और इसके व्यवहारिक व वैज्ञानिक तर्क – ( Scientific And Practical Reasons Of Makar Sankranti )
मकर संक्रान्ति का वैज्ञानिक तर्क ये माना जाता है कि इस दिन सूर्य के उत्तरायण होने के फलस्वरूप कड़कड़ाती ठंड से लोगों को राहत मिलना शुरू हो जाती है। साथ ही इस त्यौहार का व्यवहारिक दृष्टिकोण हमारे देश की आर्थिक व सामाजिक स्थिति से जुड़ा है ।
कृषि भारत के अधिकांश लोगों का मुख्य व्यवसाय है हमारे सभी प्रमुख आयोजन वे त्यौहार काफी हद तक कृषि पर निर्भर करते हैं, मकर संक्रान्ति के त्यौहार का आगमन ऐसे समय में होता है जब किसान लोग खरीफ की फसल काट कर घर लाते हैं, उनके घर में संपन्नता होती है इसीलिए इस पर्व का आनंद बहुत अच्छी तरह उठाते है
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मकर संक्रान्ति पर की जाने वाली पूजा अर्चना -(Worship On Makar Sankranti )
आप जरूर ये जानना चाहेंगे की मकर संक्रांति की पूजा कैसे की जाती है? तो हम आपको Essay of Makar Sankranti in Hindi में इसके बारे में बताते हैं। मकर संक्रान्ति के त्यौहार को लोग विशिष्ट पूजा उपासना करके मनाते हैं , प्रातः जल्दी उठ कर स्नान करके पूजा स्थल को स्वच्छ व शुद्ध करके भगवान सूर्य की उपासना करते हैं।
इस इस पद्धति में लोग एक थाली में तिल के लड्डू और कुछ पैसे रखते हैं साथ ही आटा और हल्दी का मिश्रण, पान, सुपारी, जल, फल -फूल आदि रखते हैं। यह सब सामान सूर्य देव को अर्पित करके उनकी उपासना की जाती है। उपासना करते वक्त 108 बार सूर्य मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
मकर संक्रान्ति पर बनाए जाने वाले पकवान- (Dishes Made On Makar Sankranti )
इस त्यौहार पर गुड़ और तिल से बने लड्डू तथा अन्य व्यंजन बनाने और खाने का बहुत अधिक महत्व है। अतः लोग गुड़ व तिल से बने लड्डू व अन्य व्यंजनों का भोग लगा कर उन का आनंद लेते हैं ।
मकर संक्रान्ति पर स्नान और दान का महत्व – ( Importance Of Snan And Dan)
इस पावन पर्व पर लोग गुड़ , तिल , कंबल, फल आदि का दान करते हैं। इस दिन काली वस्तुएं जैसे काले तिल या काला कपड़ा के दान का विशेष महत्व है, लोग इस दिन खिचड़ी बनाकर सूर्य देव को भोग लगाकर खिचड़ी का दान करते हैं यह दान विशेष माना जाता है।
दान की परंपरा इस त्यौहार का सबसे विशिष्ट पहलू है, ऐसी मान्यता कि इस दिन दिया जाने वाला दान 100 गुना अधिक फलदायी होता है।
पतंगबाजी की परंपरा – Kite Flying Tradition
मकर संक्रान्ति के दिन पतंगबाजी करने की परंपरा बहुत प्राचीन है,देश के अधिकांश स्थानों पर इस दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ पतंगबाजी की जाती है, बच्चे और बड़े सभी इस में भाग लेते हैं ,अलग-अलग स्थानों पर पतंगबाजी की विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है।
आकाश में डोर से बंधी लहराती हुई खूबसूरत रंग-बिरंगी पतंगे बहुत ही लुभावनी लगती हैं, इस दिन आकाश में उड़ती पतंगों से पूरा आकाश इंद्रधनुष के रंगों में रंगा हुआ प्रतीत होता है।
मकर संक्रान्ति के उत्सव का वर्णन – ( Description Of The Festival Of Makar Sankranti )
मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) , के दिन प्रातः शुभ मुहूर्त में स्नान , दान का विशेष महत्व है। इस दिन लोग शरीर पर तिल का तेल लगा कर किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं तत्पश्चात सूर्यदेव को जलांजली अर्पित कर सूर्य भगवान की उपासना करते हैं तथा उनसे अपने परिवार की सुख व स्वास्थ्य की कामना करते हैं इसके बाद लोग गुड़ , तिल , कंबल, फल आदि का दान करते हैं।
कुछ जगहों पर लोग पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं और तिल से बने व्यंजनों का स्वाद लेते हैं। इस दिन खिचड़ी बनाकर सूर्य देव को भोग लगाकर खिचड़ी का दान करते हैं यह दान विशेष माना जाता है। इसी कारण यह पर्व खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
मकर संक्रान्ति की पूजा के सकारात्मक प्रभाव – ( Positive Impacts Of Makar Sankranti Worship)
शास्त्रानुसार मकर संक्रान्ति का पर्व सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है इसी कारण इस मौके पर दान-स्नान व जप-तप का विशेष महत्व है,मान्यताओं के अनुसार इस दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने व दान करने , पूजा करने से पुण्य प्रभाव सैकड़ों गुना बढ़ जाता है।
मकर संक्रान्ति के नकारात्मक प्रभाव – Negative Impacts
कभी–कभी अति उत्साह में पतंगबाज़ी के दौरान कुछ दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं अतः हमें सावधानीपूर्वक इस त्यौहार का आनंद उठाना चाहिए।
मकर संक्रान्ति पर्व के बारे मे 10 पंक्तियाँ – ( 10 Lines About Makar Sankranti Festival )
सम्मानित पाठकों Essay of Makar Sankranti in Hindi लेख में इस पर्व से जुड़े 10 महत्वपूर्ण तथ्य हम आपको बताने जा रहे हैं –
1 – मकर संक्रान्ति पर्व की विशेषता यह है कि यह हर साल एक ही दिन अर्थात 14 जनवरी को ही मनाया जाता है।
2 – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष मास में जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं, अर्थात धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो यह पर्व मनाया जाता है।
3 – हमारे देश में ही अलग – अलग राज्यों में इसे भिन्न- भिन्न नाम व परम्पराओं के साथ मनाया जाता है।
4 – यह त्यौहार न केवल भारत में बल्कि कुछ अन्य देशों जैसे – श्री लंका, नेपाल, बांग्लादेश,लाओस,थाईलैंड, कम्बोडिया व म्यांमार आदि में भी अलग -अलग नामों से मनाया जाता है।
5- हिन्दू धर्म के लोग अपने अधिकांश पर्व चन्द्र पर आधारित पञ्चाङ्ग से मनाते हैं, परन्तु ये त्यौहार सूर्य आधारित पञ्चाङ्ग से मनाया जाता हैं।
6- दान देने के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है, लोग इस दिन दिल खोलकर व श्रध्दा के साथ दान पुण्य करते हैं।
7- इस दिन गुड़, तिल का दान किया जाता है, परन्तु खिचड़ी व कम्बल के दान का विशेष महत्व होता है। लोग खिचड़ी दान करते हैं और बनाकर खाते हैं।
8- इस पर्व पर गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने (डुबकी लगाने) का भी बहुत महत्व है, अतः लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर स्नान करते हैं।
9- इस दिन के लिए कई पौराणिक मान्यताएं हैं ।जिनमे प्रमुखतः माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण, भीष्म पितामह द्वारा देह का त्याग, माता देवकी का पुत्र (कृष्ण ) प्राप्ति हेतु व्रत करना, सूर्य भगवान का अपने पुत्र शनि देव के घर जाना, सहित और भी कई कथाएं है।
10- मकर संक्रान्ति को उत्तरायणी, पोंगल, बिहू, पौष संक्रान्ति , खिचड़ी आदि नामों से भी जाना जाता है ।
FAQ
प्रश्न – मकर संक्रान्ति का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?
उत्तर – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष माह में सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के कारण मकर संक्रान्ति त्यौहार मनाया जाता है।
प्रश्न – मकर संक्रान्ति का त्यौहार कब मनाया जाता है ?
उत्तर – मकर संक्रान्ति का पर्व प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। परंतु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पौष माह में सूर्य देव के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने के समय मकर संक्रान्ति त्यौहार मनाया जाता है।
प्रश्न – 2023 मे मकर संक्रान्ति कब है ?
उत्तर – 15 जनवरी, 2023 दिन रविवार को।
प्रश्न – मकर संक्रान्ति के दिन किस भगवान की पूजा करते हैं ?
उत्तर – सूर्य भगवान की।
प्रश्न – मकर संक्रान्ति के त्यौहार पर किन चीजों का भोग लगाया जाता है ?
उत्तर – इस दिन तिल एवं गुड़ का भोग लगाया जाता है।
प्रश्न – मकर संक्रान्ति पर कौन सा विशिष्ट व्यंजन बनाया जाता है ?
उत्तर – मकर संक्रान्ति पर मुख्य रूप से तिल एवं गुड़ के लड्डू बनाए जाते हैं।
प्रश्न – मकर संक्रान्ति के दिन क्या नहीं करना चाहिए ?
उत्तर – इस दिन सात्विक भोजन करना चाहिए, मांस, मदिरा ,लहसुन ,प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए, महिलाओं को बाल नहीं धोने चाहिए।
प्रश्न – मकर संक्रान्ति के दिन क्या उपाय करने चाहिए ?
उत्तर – इस दिन प्रातः स्नान करके सूर्यदेव को जल का अर्घ्य देकर प्रणाम करते हुए थाली में रोली, कलावा, लौंग , हल्दी,घी , दूध, गुड़ आदि लेकर सूर्य देव को अर्पित करके उनकी उपासना करनी चाहिए।
तो दोस्तों, आपको ये लेख ( Essay of Makar Sankranti in Hindi | मकर संक्रांति पर निबंध,Date in 2023, महत्व) कैसा लगा ? आशा है आपको ये वृहत जानकारी पसंद आई होगी।
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संजीवनी हिंदी के सभी पाठकों को हमारी ओर से मकर संक्रान्ति पर्व की अग्रिम व अनंत शुभकामनाएं।
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