Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi | गुरु नानक देव जी | Guru Nanak Jayanti 2022

श्री गुरु नानक देव जी ( Guru Nanak Dev Ji) महान समाज सुधारक, युगदृष्टा, युग निर्माता, दूरदर्शी, राष्ट्र निर्माता और आध्यात्मिक गुरु थे। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं, यहाँ लगभग सभी धर्मों में कुछ महान विभूतियों व धर्म गुरुओं ने जन्म लेकर मानव को अच्छाई, शांति व सद्भावना के मार्ग पर चलने के लिए उपदेश दिए और मानवता के लिए महान कार्य करते हुए स्वयं के जीवन को भी एक उदाहरण बनाकर प्रस्तुत किया, ऐसे ही एक महान गुरु थे गुरु नानक देव जी।

गुरु नानक देव जी का अवतरण (जन्म ) विश्व में फैले अज्ञानता रूपी अंधकार को दूर कर मानव जीवन में ज्ञान की ज्योति जलाकर उसे प्रकाशित करने के लिए हुआ था। तत्कालीन समाज को सत्य और शांति की राह दिखाने के लिए गुरु नानक देव जी ने तत्कालीन समाज से लोगों के जिस संगठन की शुरुआत की थी, उसका नाम उन्होंने ‘नानक पंथ’ रखा था कालांतर में यही नानक पंथ, खालसा पंथ और सिख धर्म कहलाया।

दोस्तों, तो आइए जानते हैं ऐसे महान गुरु नानक देव जी के जीवन से जुड़ी संपूर्ण कथा हमारे इस लेख Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi | गुरु नानक देव जी | Guru Nanak Jayanti 2022 के माध्यम से, आपसे अनुरोध है कि लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

Table of Contents

Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi | गुरु नानक देव जी | Guru Nanak Jayanti 2022

बिन्दु जानकारी
पूरा नाम गुरु नानक देव
अन्य नाम गुरु नानक, नानक शाह,  बाबा नानक
जन्म तारीख 15 अप्रैल 1469
जन्म स्थान राय-भोए-दी-तलवंडी नामक गांव, लाहौर (वर्तमान में पाकिस्तान)
वैवाहिक स्थितिविवाहित
कर्म क्षेत्र समाज सुधार
कर्मभूमि भारत
प्रसिद्धि सिक्खों के प्रथम गुरु, सिख धर्म के संस्थापक
सिक्खों के प्रथम गुरु बने20 अगस्त 1507
उत्तराधिकारी गुरु अंगद देव
प्रमुख रचनाएं जपुजी, तखारी राग के बारह माह, आसा दी वार
भाषा पंजाबी, सिंधी, फारसी, मुल्तानी, ब्रजभाषा, खड़ी बोली
देहावसान 22 सितंबर, 1539
मृत्यु स्थल करतारपुर, पाकिस्तान
उम्र ( मृत्यु के समय) 70 वर्ष
धर्म सिक्ख
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गुरु नानक देव जी का जन्म और जन्म स्थान – Guru Nanak Ji Birth and Birth place

श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा संवत 1526 को हुआ था, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इनका जन्म 1469 में हुआ था। श्री गुरु नानक साहिब का जन्म लाहौर से 15 कोस दूर रावी नदी के निकट राय-भोए-दी-तलवंडी नामक गांव में हुआ था।

जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है और अब ननकाना साहिब के नाम से प्रसिद्ध है। यह जगह लाहौर से लगभग 30 मील की दूरी पर स्थित है। श्री गुरु नानक देव जी का जन्म प्रतिवर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

गुरु नानक जी का परिवार – Guru Nanak Ji Family

श्री गुरु नानक देव जी के पिता का नाम मेहता कल्याण दास था, वे मेहता कालू के नाम से प्रसिद्ध थे। उनके पिता तलवंडी के राजपूत शासक के यहाँ मुख्य लेखाकार के तौर पर काम करते थे।

गुरु नानक जी की माता का नाम तृप्ता था, वे एक साधारण गृहिणी तथा धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। गुरु नानक देव जी की बड़ी बहन का जन्म उनके नाना के घर हुआ था इसलिए उन्हें नानकी कहा जाता था, वे इन्हें बहुत प्यार करती थीं। इन्हीं के नाम के कारण लोग इन्हें नानक कहने लगे। वह इनसे 5 वर्ष बड़ी थी, 1475 में विवाह के पश्चात वे सुल्तानपुर चली गईं ।

Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi
Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi
रिश्ता नाम
पिता मेहता कल्याण दास, प्रसिद्ध नाम मेहता कालू
मातातृप्ता
बहन नानकी देवी
पत्नी सुलक्खनी
पुत्र श्री चंद, लखमी चंद

गुरु नानक जयंती कब है 2022 – When is Guru Nanak Jayanti 2022

इस वर्ष गुरु नानक जयंती 8 नवंबर 2022 दिन मंगलवार को है। इस वर्ष 553 वीं गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी।

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गुरु नानक जी का बाल्यकाल – Childhood of Guru Nanak Dev Ji

गुरु नानक देव जी बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। उनके पास गूढ़ता से सोचने समझने वाला मस्तिष्क और तार्किक बुद्धि थी। बचपन से ही वे ऋषि-मुनियों और साधु-संतों की संगत में रहा करते थे और उन्ही की तरह ज्ञान की बातें करते थे। वह एकांत में रहना पसंद करते थे।

अपनी विलक्षण प्रतिभाओं के कारण ही गुरु नानक जी ने मात्र 7 वर्ष की उम्र में हिंदी और संस्कृत भाषा सीख ली थीं 13 वर्ष की उम्र में उन्हें संस्कृत और फारसी भाषा का बहुत अच्छा ज्ञान हो गया था । छोटी उम्र में ही उन्होंने अद्भुत दिव्य ज्ञान से अपने शिक्षक को विस्मित कर दिया था। मात्र 16 वर्ष की आयु में पूरा क्षेत्र उन्हें एक विद्वान और महापुरुष के रूप में जानने लगा।

गुरु नानक देव जी का विवाह एवं संतान – Guru Nanak Dev Ji Marriage And Children

श्री गुरु नानक देव जी का विवाह 24 सितंबर 1487 को 16 वर्ष की उम्र में माता सुलक्खनी जी से हुआ था। वे गुरदासपुर जिले के लाखौकी नामक स्थान की रहने वाली थीं। इनके पिता का नाम मूला था । 32 वर्ष की आयु में इनके पहले पुत्र श्री चंद का जन्म हुआ और उसके 4 वर्ष बाद दूसरे बेटे लखमी चंद का जन्म हुआ।

गुरु नानक जी अपने दोनों पुत्रों के जन्म के बाद 1507 में अपने साथी बाला, मरदाना, लहना और रामदास के साथ भ्रमण पर निकल गए। गुरु नानक जी अलग-अलग जगहों पर भ्रमण करते रहे और लोगों को उपदेश देने लगे।

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गुरु नानक जी ने 1521 तक भारत, फारस, अफगानिस्तान और अरब के प्रमुख स्थानों का भ्रमण करते हुए तीन यात्रा चक्र पूर्ण कर लिए थे। पंजाबी में इन यात्राओं को “उदासियाँ” कहा जाता है। गुरु नानक देव जी के प्रथम पुत्र श्रीचंद कालांतर में उदासी संप्रदाय के जनक माने गए।

अपनी यात्राओं के दौरान सुल्तानपुर नामक स्थान पर जब गुरु नानक जी ठहरे, वे प्रतिदिन स्नान, ध्यान के लिए एक नदी पर जाते थे। एक दिन स्नान पर जाने के बाद 3 दिन तक वह वापस नहीं लौटे। 3 दिन बाद वापस लौटने पर जब उनसे बात की गई वे एक असाधारण व्यक्ति की तरह बात करते, उन्होंने कहा ” कोई व्यक्ति हिंदू या मुस्लिम नहीं”। उनके द्वारा बोले गए इन शब्दों को उनकी शिक्षाओं की शुरुआत माना गया।

गुरु नानक देव जी के विचार – Thaughts of Guru Nanak Dev Ji

गुरु नानक देव जी मूर्ति पूजा, कुसंस्कार और रूढ़िवादिता के घोर विरोधी थे। वे एक ईश्वर में विश्वास करते थे। वे मानते थे कि ईश्वर बाहर नहीं बल्कि स्वयं मनुष्य के भीतर ही है। इनके विचारों के कारण तत्कालीन शासक इब्राहिम लोदी ने इन्हें कैद कर लिया था।

पानीपत युद्ध में इब्राहिम लोदी की पराजय के बाद सल्तनत बाबर के हाथों में आने पर ये कैद से मुक्त हुए। गुरु नानक जी के विचारों से तत्कालीन समाज में परिवर्तन आए। गुरु नानक जी ने करतारपुर नामक स्थान पर एक नगर भी बसाया जो वर्तमान में पाकिस्तान में है। वहां इन्होंने एक धर्मशाला की स्थापना भी कराई।

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गुरु नानक देव जी ने की पांच यात्राएं –

गुरु नानक देव जी ने ईश्वरीय संदेश को संपूर्ण संसार में प्रचारित करने के लिए प्रमुख रूप से 4 आध्यात्मिक यात्राएं कीं। उन्होंने संपूर्ण भारत की यात्रा की। वे 70 वर्ष की आयु तक जगह-जगह घूमते रहे। इस बीच उन्होंने हरिद्वार, वाराणसी, वृंदावन, अयोध्या, कानपुर, आगरा, पटना, प्रयाग, गया और पुरी यात्रा की।

इसके अलावा उन्होंने मक्का मदीना, श्रीलंका, म्यांमार, काबुल, कंधार, अरब, तुर्की, बंगाल की यात्राएं भी की।अपनी यात्राओं के दौरान उन्होंने मुस्लिम पुजारियों तथा हरिद्वार आदि तीर्थ-स्थलों के पुजारियों से शास्त्रार्थ भी किया।

उनकी पांच यात्राएं निम्न प्रकार थी।

गुरु नानक जी की प्रथम यात्रा- इस यात्रा में भारत के अधिकांश हिस्सों और पाकिस्तान के क्षेत्र का भ्रमण किया। उनकी यह यात्रा 1500 से 1507 अर्थात 7 वर्ष लंबी थी।

गुरु नानक जी की द्वितीय यात्रा- उनकी यह यात्रा भी लगभग 7 वर्ष की थी, जिसमें उन्होंने वर्तमान श्रीलंका के अधिकांश क्षेत्रों का भ्रमण किया।

गुरु नानक जी की तृतीय यात्रा – अपनी तीसरी यात्रा में गुरु नानक देव जी ने मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया जिसमें प्रमुखत: कश्मीर, सिक्किम, नेपाल, हिमालय, ताशकंद और तिब्बत शामिल हैं । उनकी 5 वर्ष लंबी यह यात्रा 1514 से प्रारंभ होकर 1519 तक चली।

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गुरु नानक जी की चतुर्थ यात्रा – श्री गुरु नानक देव जी की चौथी यात्रा में लगभग 3 वर्ष का समय लगा, इस यात्रा में उन्होंने मक्का मदीना तथा मध्य पूर्व के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया।

गुरु नानक जी की पंचम यात्रा – अपनी पंचम यात्रा के दौरान श्री गुरु नानक देव जी ने पंजाब में अपने संदेश व शिक्षाओं का प्रचार प्रसार किया।

श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन का एक बड़ा भाग अर्थात लगभग 24 वर्ष इन पैदल यात्राओं में बिताए और इसके लिए उन्होंने लगभग 28000 किलोमीटर पैदल यात्रा की।

गुरु नानक देव की शिक्षाएं – Guru Nanak Dev Teachings

गुरु नानक देव अपने संपूर्ण जीवन में आडंबर, मूर्ति पूजा और रूढ़ियों के कट्टर विरोधी रहे। उन्होंने अपने उपदेशों में लोगों को बताया कि भगवान को पाने के लिए हमें किसी आडंबर की आवश्यकता नहीं, ईश्वर को पाने के लिए ईश्वर का नाम जपना चाहिए। जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए तथा सेवा करते हुए जीवन जीना चाहिए।

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श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी शिक्षाओं में सिख धर्म के प्रमुख तीन स्तंभों की स्थापना की जो निम्न प्रकार हैं –

नाम जपो –

नाम जपो का अर्थ है ईश्वर के नाम का गुणगान करना, गीत, प्रार्थना, भजन, गायन, अध्ययन आदि विभिन्न प्रकार से ईश्वर के नाम को सुनना, बोलना तथा ईश्वर के नाम का बार-बार स्मरण करना। संतों की संगति में रहकर ईश्वर के नाम को जपना।

किरत करो –

किरत करो का अर्थ है इमानदारी से मेहनत करते हुए आजीविका कमाना। गुरु नानक जी ने यह संदेश दिया कि लोग गृहस्थ जीवन में शारीरिक और मानसिक श्रम करते हुए इमानदारी से आजीविका कमाए तथा सुख-दु:ख दोनों स्थितियों को ईश्वर का दिया उपहार समझकर स्वीकार करें।

वंड छको –

वंड छको का अर्थ है बाँट कर खाना। अर्थात बंड छको से उन्होंने ये संदेश दिया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आय का कुछ हिस्सा समुदाय के लोगों के साथ बांटना चाहिए। बंड छकना सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है इसके आधार पर सिख धर्म के लोग अपनी आय का दसवां हिस्सा क्या करते हैं जिसे “दसवंध” कहते हैं, इसी दसवंध से लंगर चलता है।

गुरु नानक जयंती ( गुरु पर्व) कैसे मनाते हैं – How Guru Nanak Jayanti is Celebrated

गुरु नानक जयंती कार्तिक मास में पूर्णिमा को मनाई जाती है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह अक्टूबर या नवंबर माह में मनाई जाती है। गुरु नानक जयंती से पहले श्री गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का अखंड पाठ किया जाता है।

फिर इस पर्व से 1 दिन पूर्व सिक्ख संगत द्वारा नगर कीर्तन निकाला जाता है। नगर कीर्तन का आयोजन सूर्योदय से पूर्व प्रारंभ हो जाता है। नगर कीर्तन में संगत के द्वारा बहुत अच्छे भजन और प्रार्थना गीत गाए जाते हैं।

गुरु नानक जयंती पर प्रातः 3:00 से 6:00 बजे, अमृत वेला के दौरान उत्सव की शुरुआत होती है। श्री गुरु नानक देव जी की स्तुति में भजन कीर्तन और शबद गाए जाते हैं। कुछ गुरुद्वारों में इस दिन रात भर जागकर प्रार्थना एवं कीर्तन किया जाता है।

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गुरुद्वारों में लंगर ( भोजन खिलाना ) लगाए जाते हैं। गुरु पर्व की सबसे बड़ी खूबसूरती यही लंगर है, जो धर्म, संप्रदाय, जाति, अमीर-गरीब, छोटा-बड़ा आदि समस्त वर्ग-विभाजन से परे विशुद्ध सेवा भाव से आयोजित किया जाता है और जो वास्तव में ही निस्वार्थ सेवा का प्रतीक माना जा सकता है।

गुरु नानक जयंती से जुड़ी 10 मुख्य बातें – 10 Lines on Guru Nanak Jayanti 2022 in Hindi

  • श्री गुरु नानक देव जी सिक्खों के प्रथम गुरु हैं ।
  • श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ।
  • गुरु नानक जयंती सिख धर्म के लोगों का पवित्र त्योहार माना जाता है।
  • गुरु नानक जयंती ( गुरु पर्व), सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी के जन्म का प्रतीक है।
  • प्रत्येक वर्ष गुरु नानक जयंती कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है।
  • सिख धर्म के लोग गुरु नानक जयंती का पर्व 3 दिनों तक मनाते हैं।
  • श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं एक ईश्वर और मानव समानता पर आधारित हैं।
  • सिख धर्म के लोगों के द्वारा गुरु नानक जयंती पर समस्त गुरुद्वारों में लंगर लगाया जाता है।
  • गुरु नानक जयंती का पर्व बिना भेदभाव के मानव मात्र को प्रेम करने तथा निस्वार्थ रूप से उसकी सेवा करने के भाव को प्रदर्शित करता है।
  • गुरु नानक जयंती पर्व के 2 दिन पूर्व से ही गुरुद्वारों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है।

गुरु नानक देव जी की रचनाएं –

गुरु नानक देव जी की प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं –

  • जपुजी
  • जो नर दुख में दुख नहीं मानै
  • झूठी देखी प्रीत
  • राम सुमिर, राम सुमिर
  • को काहू को भाई
  • सब कछु जीवित कौ ब्यौहार
  • सूरा एक न  आँखिए
  • हौं कुरबाने जाउँ पियारे
  • यह मन नेक न कह्यौ करे
  • मुरसिद मेरा मरहमी
  • या जग मित न देख्यो कोई
  • काहे रे बन खोजन जाई
  • अब मैं कौन उपाय करूँ
  • प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे

गुरु नानक देव जी के 10 सिद्धांत-

  • ईश्वर एक है।
  • हमेशा एक ही ईश्वर की पूजा अर्चना करो।
  • ईश्वर हर जगह और प्रत्येक प्राणी के भीतर मौजूद है।
  • जो व्यक्ति सर्वशक्तिमान ईश्वर की भक्ति करता है उसे किसी का भय नहीं होता।
  • प्रत्येक व्यक्ति को पूरी ईमानदारी से मेहनत करते हुए अपना पेट भरना चाहिए।
  • व्यक्ति को बुरा कार्य करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए, और दूसरों को कभी सताना नहीं चाहिए।
  • हमेशा खुश रहो। भगवान से हमेशा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
  • परिश्रम और इमानदारी से कमाना चाहिए, और उस ईमानदारी की कमाई से जरूरतमंद लोगों को भी कुछ देना चाहिए।
  • समस्त स्त्री पुरुष एक समान हैं ।
  • इस शरीर को जीवित रखने के लिए भोजन आवश्यक है परंतु लालच और संग्रहवृत्ति बुरी आदत है।

देहावसान – Death

लगभग 55 वर्ष की आयु में गुरु नानक देव जी करतारपुर में बस गए। इस अवधि में उन्होंने पाक पट्टन, अचल के नाथ योगी तथा मुल्तान के सूफी केंद्रों की छोटी छोटी यात्राएं की। अपनी मृत्यु से पूर्व ही उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। और उन्हे अंगद देव का नाम दिया। इस नाम का अर्थ है ‘ आप का हिस्सा’ या ‘किसी का अपना’।

श्री गुरु नानक देव जी ने करतारपुर में 70 वर्ष की आयु में 22 सितंबर 1539 को इस नश्वर संसार को त्याग दिया।

निष्कर्ष – Conclusion

श्री गुरु नानक देव जी एक महान गुरु होने के साथ-साथ एक पैगंबर, समाज सुधारक, धर्म सुधारक, राजयोगी, गृहस्थ, त्यागी, महान दार्शनिक, कवि और गणितज्ञ भी थे। गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं लगभग 550 वर्ष बाद आज भी प्रासंगिक है। लोगों को उनके बताए रास्तों पर चलना चाहिए ऐसा करके हम अपने समाज को वर्तमान में भी एक खूबसूरत, शांत और आडंबर रहित समाज बना सकते हैं।

FAQ

प्रश्न – गुरु नानक देव जी का जन्म कब और कहां हुआ ?

उत्तर – गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को लाहौर जिले के राय-भोए-दी-तलवंडी नामक गांव में हुआ था।

प्रश्न – बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी ?

उत्तर – नाम जपो, किरत करो, बंड छको।

प्रश्न – गुरु नानक देव के माता-पिता का क्या नाम था ?

उत्तर – गुरु नानक देव के पिता का नाम मेहता कल्याण दास ( मेहता कालू ) और माता का नाम तृप्ता था ।

प्रश्न – गुरु नानक देव की पत्नी का क्या नाम था ?

उत्तर – गुरु नानक देव की पत्नी का नाम सुलक्खनी देवी था।

प्रश्न – गुरु नानक देव जी का विवाह कब हुआ ?

उत्तर – गुरु नानक देव जी का विवाह 24 सितंबर 1487 में हुआ ।

प्रश्न – गुरु नानक देव के कितने पुत्र थे?

उत्तर – गुरु नानक देव जी के श्री चंद और लखमी चंद नाम के 2 पुत्र थे।

प्रश्न – गुरु नानक देव के पूर्वज कौन थे ?

उत्तर – इनके पूर्वज पंजाब के शासक थे।

प्रश्न – श्री गुरु नानक देव जी की मृत्यु कब हुई ?

उत्तर – 22 सितंबर 1539

प्रश्न – गुरु नानक ने क्या उपदेश दिया था?

उत्तर – गुरु नानक जी ने एक ओंकार का उपदेश दिया था, जिसका अर्थ है ईश्वर एक है और वह सभी जगह विद्यमान है, और वही हम सबका पिता है।

प्रश्न – गुरु नानक की मृत्यु कहां हुई थी ?

उत्तर – गुरु नानक जी की मृत्यु करतारपुर ( पाकिस्तान) में 70 वर्ष की आयु में हुई थी।

हमारे शब्द – Our Words

दोस्तों ! आज के इस लेख  Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi | गुरु नानक देव जी | Guru Nanak Jayanti 2022 में हमने आपको  Essay on Guru Nanak Dev Ji in Hindi के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है , हमें पूर्ण आशा है कि आपको गुरु नानक देव जी (Guru Nanak Dev Ji) पर यह जानकारी और यह लेख अवश्य पसंद आया होगा। यदि आप में से किसी भी व्यक्ति को इस लेख से संबंधित कुछ जानकारी अथवा सवाल पूछना हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।

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