पितृ विसर्जन अमावस्या 2023 :  इन नियमों से करें पितृ विसर्जन, प्रसन्न होकर पितृ देंगे आशीर्वाद

श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन अर्थात पितृ विसर्जन अमावस्या  को विधि-विधान से पितृ विसर्जन  करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं, और आशीर्वाद देते हैं।

यदि कोई पित्रों का श्राद्ध घर पर ही करना चाहता है, तो इन नियमों से पितृ विसर्जन करने पर पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

सुबह जल्दी उठकर स्नानादि व घर की सफाई करके गौमूत्र व गंगाजल छिड़ककर पवित्र करना चाहिए। बाएं घुटने को जमीन पर टेककर दक्षिण की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी तांबे के पात्र में डाल लें।फिर जल को हाथों की अंजलि में लेकर दाएं हाथ के अंगूठे से उसी पात्र में गिराएं ।

इस प्रकार पितरों का ध्यान करते हुए 11 बार करें, और चावल, कुश, तिल, जौ और जल दोनों हाथों में लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके संकल्प करें।

अपनी सामर्थ्य अनुसार एक, तीन अथवा ग्यारह ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। घर की महिलाओं को पवित्रता का ध्यान रखते हुए पितरों के लिए भोजन बनाना चाहिए।

ब्राह्मणों को भोज कराने के बाद उन्हें  स्वर्ण, भूमि, गौ, तिल, वस्त्र, घी, अनाज, चांदी, गुड़, नमक आदि का दान करें, क्योंकि ये महादान कहलाता है।

चार बार ब्राह्मण की प्रदक्षिणा करके उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए। ब्राह्मण को पूजा-पाठ करके यजमान एवं उनके पितरों के प्रति शुभकामनाएं प्रेषित करनी चाहिए।

श्राद्ध की पूजा करते समय केवल सफेद फूलों का ही प्रयोग करना चाहिए। पितरों का श्राद्ध करने के लिए सफेद कपड़े, गंगाजल, दूध, शहद, तिल और अभिजीत मुहूर्त बहुत जरूरी है।

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