नीम करौली बाबा की कहानी, चमत्कार, मंत्र, शिष्य, परिवार | Neem Karoli Baba Biography in Hindi, History and stories

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हमारा देश भारत वैदिक काल से ही ऋषि-मुनियों, सिद्ध संत-महात्माओं का देश रहा है। इस धरती ने अनगिनत ऐसे महापुरुषों को जन्म दिया है जिन्होंने पृथ्वी पर बिना किसी भेदभाव के मानवमात्र का कल्याण किया है।

इसी धरती पर न जाने कितने अवतार भी हुए जिन्होंने बुराई का अंत करके इस संसार का संतुलन स्थापित किया।

ऐसे सिद्ध पुरुष और संत-महात्मा अपना घर-परिवार और समस्त सांसारिक सुखों का त्याग करके कठिन तपस्या के बल पर  आध्यात्मिक शक्तियों के सहारे दीन-दुखियों, समाज, देश और अंततः समस्त संसार का कल्याण करते हैं।

और लोगों के दुखों को दूर कर उनके जीवन को सुखी, स्वस्थ और निरोगी बनाते हैं। तथा  उनके निराशा से भरे जीवन को  नई आशा की रोशनी से प्रकाशित करते हैं।

ऐसे ही एक संत थे नीम करौली बाबा (नीब करौरी बाबा)। यह एक ऐसे संत थे जिन्होंने अपने जीवन काल में  बिना भेदभाव के देश-विदेश के अनगिनत लोगों का कल्याण किया।

इनके शिष्यों में फेसबुक के संस्थापक  मार्क  जुकरबर्ग, तथा एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स को प्रमुख रूप से माना जाता है।

ये इनके ऐसे  शिष्य थे जिन्हें इन्होंने जीवन की नई राह दिखाई। नीम करोली बाबा बीसवीं शताब्दी के  महान सिद्ध संतों में से एक हैं। 

Neem Karoli Baba के देश विदेश में आज भी  अनगिनत  शिष्य हैं,  तथा देश में कई स्थानों पर उनके आश्रम हैं। 

उन्होंने देश के अनेक स्थानों का भ्रमण किया इसीलिए देश में उन्हें कई अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है जैसे चमत्कारी बाबा, तलैया बाबा, लक्ष्मण दास तथा नीम करोली बाबा आदि।

तो आइए दोस्तों, हम ऐसे महान संत के बारे में आज आपको इस लेख नीम करौली बाबा की कहानी, चमत्कार, मंत्र, शिष्य, परिवार | Neem Karoli Baba Biography in Hindi, History and stories के माध्यम से उनके जीवन से जुड़ी  हर महत्वपूर्ण बात के बारे में जानकारी देंगे।

जैसे- नीम करोली बाबा का परिवार, नीम करोली बाबा के शिष्य, नीम करोली बाबा के चमत्कार, नीम करोली बाबा मंत्र,  नीम करोली बाबा आश्रम,  नीब करौरी रेलवे स्टेशन तथा  नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई आदि। 

Table of Contents

नीम करौली बाबा की कहानी, Neem Karoli Baba Biography in Hindi

वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा
पिता का नामदुर्गा प्रसाद शर्मा
प्रसिद्ध नामनीब करौरी बाबा, महाराज जी, चमत्कारी बाबा,  नीम करोली बाबा, तलैया बाबा
जन्म 1900 ई0 लगभग 
जन्म स्थलअकबरपुर, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश
पत्नीरामबेटी
संतान (neem karoli baba son, Daughter)अनेग  सिंह शर्मा (पुत्र)
धर्म नारायण शर्मा (पुत्र)
गिरिजा देवी (पुत्री)
गुरु का नामश्री हनुमान जी 
शिष्यकृष्णा दास
भगवान दास 
रामदास 
सूर्य दास 
राम रानी
बाबा से प्रभावित विदेशी शिष्यमार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) 
स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) 
जूलिया रॉबर्ट्स (Julia Roberts)
लैरी पेज (Larry Page)
डेन कोट्टके (Dan Kottke)
कैंची  धाम आश्रम, उत्तराखंड का स्थापना दिवस 15 जून 1964
कैंची धाम आश्रम, उत्तराखंड मेले की तिथिहर साल 15 जून
2023 में स्थापना दिवस होगा 59 वां 
देहावसान 11 सितंबर 1973 
समाधि स्थल उत्तर प्रदेश के वृंदावन में
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नीम करौली बाबा (नीब करौरी बाबा) कौन हैं ? Who is neem karoli baba?

नीम करौली बाबा उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में जन्मे एक सिद्ध संत थे। बाबा नीब करोरी को हनुमान जी का परम भक्त और अवतार माना जाता है।  

लगभग  11 वर्ष की छोटी उम्र में उनका विवाह हो गया था,  और 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया था।

उन्होंने छोटी उम्र में ही अपना परिवार त्याग दिया और पूरे देश में अलग-अलग स्थानों का भ्रमण करते रहे उन्होंने उत्तराखंड में  नैनीताल के पास कैंची धाम के नाम से आश्रम की स्थापना की।

अपने देश से लेकर विदेश तक उनके भक्तों की संख्या बहुत बड़ी है। एप्पल के निर्माता स्टीव जॉब्स, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग,  हॉलीवुड एक्ट्रेस  जूलिया रॉबर्ट्स,  बॉलीवुड अभिनेत्री अनुष्का शर्मा  और भारतीय क्रिकेटर  विराट कोहली जैसे बड़े लोग उनके शिष्य हैं।

नीम करोली बाबा ने अपने संपूर्ण जीवन काल में  अनेक ऐसे चमत्कार किए  जिनके कारण लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। 

तो दोस्तों, आइए इस लेख के माध्यम से आज हम देश के प्रसिद्ध संत बाबा नीम करोली जी के बारे में विस्तार से आपको जानकारी देते हैं। 

नीम करौली बाबा की कहानी
नीम करौली बाबा कहानी

नीम करोली बाबा का जन्मदिन कब है- When is Neem Karauri Baba’s Birthday

नीम करोली बाबा की वास्तविक जन्म तिथि अज्ञात है, परंतु माना जाता है कि सन् 1900 के इर्द-गिर्द उनका जन्म हुआ था। वे उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में अकबरपुर नामक स्थान पर पैदा हुए थे।

नीम करौली वाले बाबा : जन्म व प्रारम्भिक जीवन – Neem Karoli Baba : Birth and Early Life 

दोस्तों, आइए अब हम आपको नीम करौली बाबा की कहानी (Story of Neem Karoli Baba) के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हैं।

नीम करोली बाबा का जन्म सन् 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में हुआ था। अकबरपुर की दूरी हिरनगांव  से 500 मीटर है। 

इनके पिता का नाम पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा था। इनके पिता गांव के बड़े जमीदार थे। नीम करौली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था।

इन्हें बचपन में ही ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थी, बाबा नीम करोली को श्री हनुमान जी का परम भक्त और अवतार माना जाता है।

नीब करौरी बाबा  का विवाह  बहुत छोटी उम्र में ( लगभग 11 वर्ष)  ही हो गया था। गृहस्थ-आश्रम में इनका मन नहीं लगता था, अतः गृहस्थ आश्रम का मोह त्याग कर इन्होंने अपना घर परिवार छोड़ दिया।

घर परिवार का त्याग करने के बाद  ये  लंबे समय तक यहां वहां भटकते रहे। इन्होंने प्रारंभ  में गुजरात राज्य में मोरबी नामक स्थान से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव में एक आश्रम में तप-साधना की। 

उस आश्रम के गुरुजी ने उन्हें एक नया नाम दिया, लक्ष्मण दास। काफी लंबे समय तक यह उसी आश्रम में रहे,  कालांतर में आश्रम के महंत ने इन्हें अपना उत्तराधिकारी  बना दिया।

आश्रम का उत्तराधिकारी बनने के बाद उस आश्रम के अन्य शिष्यों में इस बात को लेकर विवाद होने लगा अतः इन्होंने उस आश्रम को हमेशा के लिए छोड़ दिया। 

आश्रम को छोड़ने के बाद  बाबा नीम करोली घूमते-घूमते राजकोट के निकट  बवानिया  नामक गांव में पहुंचे।

उस गांव में उन्होंने तालाब के किनारे एक हनुमान मंदिर की स्थापना की,  कहा जाता है कि ये  उस तालाब में घंटों खड़े रहकर तपस्या करते थे।

इसी कारण  उस गांव और आसपास के लोग इन्हें तलैया बाबा कहकर बुलाने लगे। 1917 में रमाबाई नामक एक संत को वह आश्रम सौंपकर  वहां से चले गए।

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नीम करोली बाबा के चमत्कार – Neem Karoli Baba Miracle

बवानिया गाँव छोड़ने के बाद एक बार की बात है जब बाबा नीम करौली टूंडला से फर्रुखाबाद जाने वाली एक ट्रेन में प्रथम श्रेणी के डिब्बे में यात्रा कर रहे थे और उनके पास टिकट भी नहीं था।

टी0 सी0 ने टिकट न होने के कारण उन्हें ट्रेन रुकवाकर उतार दिया। बाबा नीचे उतरने के बाद वहीं एक नीम के पेड़ के नीचे  अपना चिमटा गाड़कर बैठ गए। 

ड्राइवर ने ट्रेन आगे बढ़ाने की कोशिश की पर ट्रेन घंटों तक लाख कोशिशों के बाद भी टस से मस नहीं हुई।

कुछ लोकल यात्रियों के कहने पर रेलवे के अधिकारियों और TC  ने वापस  बाबा को ट्रेन में बैठने का आग्रह किया। 

तब बाबा ने उनके सामने 2 शर्ते रखीं। पहली कि वे संत-महात्माओं का सम्मान करेंगे और फिर कभी उन्हें अपमानित नहीं करेंगे।

और दूसरी वे उस स्थान पर नीब करौरी के नाम से एक स्टेशन की स्थापना करेंगे, क्योंकि यात्रियों को ट्रेन तक आने के लिए बहुत चलना होता है। 

रेलवे के ऑफिसियल के द्वारा बाबा की दोनों शर्तों को पूरा करने का आश्वासन देने पर बाबा ट्रेन में बैठे। बाबा के ट्रेन में बैठते ही एक ही प्रयास में ट्रेन चल पड़ी।

बाद में रेलवे ने वहाँ नीब करौरी स्टेशन (Neeb Karori Station) के नाम से एक स्टेशन बना दिया, जो आज भी स्थित है।

उस ट्रेन में बैठे यात्री जो गंगा स्नान करने जा रहे थे उनकी विनती पर बाबा गाँव में गए वहाँ एक गुफा बनवाई और स्वयं एक हनुमान जी की मूर्ति की रचना व स्थापना की।

यह मूर्ति आज भी नीब करौरी  धाम में मौजूद है। बाबा ने जिस गुफा का निर्माण कराया था, उस गुफा में वे  कई-कई दिनों तक तपस्या में लीन रहा करते थे। उनका नाम नीब करोरी बाबा (Neeb Karori Baba) यहीं से पड़ा। 

वह ब्रिटिश हुकूमत का जमाना था, यह घटना देश के अलावा विदेशों में भी खूब चर्चित रही। 

इस घटना के अलावा Neem Karoli Baba के पूरे जीवन में ऐसे कई चमत्कार देखने को मिल जाते हैं, यहाँ तक कि उनके देहावसान के बाद भी उनके चमत्कारों को सुनकर आप विस्मित हुए बिना नहीं रह सकते।  

नीम करोली बाबा के जीवन में कई ऐसी घटनाएं है,  जिन्हें सुनकर सहज ही विश्वास नहीं होता  और वे घटनाएं चमत्कारी प्रतीत होने लगती हैं।

तब उन्हें एक दिव्य पुरुष मानने पर विवश होना पड़ता है। ऐसी ही कुछ घटनाएं यहां दी गई हैं –

प्रयाग में 1966 में कुंभ मेले में रात को ब्रह्मचारी बाबा ने किसी दूसरे भक्तों से धीमे  से कहा कितना अच्छा होता यदि इस समय एक प्याला गरमा-गरम चाय मिलती। 

उनके कैंप में रात के उस वक्त दूध खत्म हो चुका था। बाबा ने उनकी बात को सुन लिया और कहा “क्या चाय पिएगा?”

फिर अपने शिष्य से कहा  बाल्टी लेकर गंगा मैया के पास जाओ और उनसे कहो  हम दूध लेकर जा रहे हैं सुबह वापस लौटा देंगे। 

भक्त बाबा जी की बात सुनकर चुपचाप गंगा जी के पास गया। उसने गंगा जी में से गंगाजल भरा और वापस आ गया  बाल्टी को  ढक कर रख दिया गया।

चाय बनने लगी फिर  दूध निकालने के लिए बाल्टी से ढक्कन हटाया गया  तो  बाल्टी में वास्तव में गंगाजल के स्थान पर दूध था। 

प्रसन्नता के साथ सभी ने चाय बनाकर पी और सुबह दूध आने पर एक बाल्टी दूध गंगा मैया में वापस डलवा दिया गया।

ऐसी एक और घटना है एक बार बाबा जुगल किशोर बिरला के घर पधारते हैं। बिरला बाबा जी की मुलाकात अपने पुजारी नारायणदास से करवाते हैं।

नारायणदास को देखते ही बाबा ने कहा- “हनुमान जी के साथ तेरे पिता ने  बड़ा छल किया है।”

इस बात पर अचंभित नारायण दास अपने पिता से बात करता है, नारायणदास की बात सुनकर उसके पिता पन्नालाल कहते हैं, “वह कोई संत नहीं निश्चित रूप से वह भगवान हनुमान हैं।

क्योंकि इस बात का पता हनुमान जी और मेरे सिवा किसी तीसरे को नहीं है, यहां तक कि तेरी मां को भी यह बात नहीं पता।”

पन्नालाल ने तब बताया कि  उनके कोई संतान न होने के कारण उन्होंने मेहंदीपुर बालाजी से मन्नत मांगी थी कि  यदि उनके संतान होगी तो वह उस संतान को उनकी सेवा में समर्पित करेंगे।

परंतु संतान मोह के कारण  उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह बात सिर्फ पन्नालाल  और हनुमान जी ही जानते थे।

यह बात सुनकर नारायण दास ने स्वयं को  महरौली, दिल्ली के हनुमान मंदिर में नि:स्वार्थ भाव से  हमेशा के लिए समर्पित कर दिया, वर्तमान में भी वह उस मंदिर में पुजारी  के रूप में कार्य करते हैं।

नीम करोली बाबा का परिवार- Neem Karoli Baba Family

नीम करौली बाबा (Neem Karoli Wale Baba) ने शादी के कुछ समय बाद गृह-त्याग कर दिया था।

पर कुछ समय बाद इनके पिता को जब इनके बारे में पता चला तो वे इन्हें घर वापस ले आए और इन्हें समझाया तो इन्हें अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों का एहसास हुआ। तब से ये गृहस्थ आश्रम में ही रहे। 

इनका एक भरा-पूरा परिवार था। इनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी थी। इनके बड़े पुत्र का नाम अनेग सिंह है जो वर्तमान में अपने परिवार के साथ भोपाल में रहता है।

इनके छोटे पुत्र का नाम धर्म नारायण शर्मा था, जो वन विभाग में रेंजर के पद पर तैनात थे कुछ समय पहले ही उनका निधन हो गया है। गिरिजा देवी नाम की इनकी एक पुत्री भी है।

नीम करोली बाबा  का पारिवारिक जीवन –

नीम करोली बाबा अपने पिता के मनाने पर लगभग 10 वर्षों के अंतराल के बाद अपने गांव वापस आ गए।

गांव आने के बाद  उन्होंने अपना  गृहस्थ जीवन प्रारंभ किया परंतु साथ ही साथ समाज सेवा का कार्य भी करते रहे।

1925 में बाबा के बड़े पुत्र  का जन्म हुआ, जिसका नाम होने अनेग  सिंह रखा।  इस दौरान बाबा नीब करोरी  आते जाते रहते थे।

बाबा ने 1917 से 1935 तक का समय नीब करोरी  में साधना करते हुए व्यतीत किया। फिर उन्होंने 1935 में वहीं एक बड़ा यज्ञ  संपन्न किया, इसी यज्ञ में बाबा ने  अपनी जटाओं का त्याग कर दिया।

इन दिनों तक बाबा ने अपने धार्मिक कृत्यों  के साथ-साथ अपने गृहस्थ धर्म का भी पालन किया। 1937 में बाबा नीम करोली  को एक और पुत्र की प्राप्ति हुई।

इस पुत्र का नाम उन्होंने धर्म नारायण शर्मा रखा। 1945 में एक बार फिर  बाबा के आंगन में एक कन्या की किलकारियां गूंजती हैं। इस कन्या का नाम उन्होंने गिरिजा देवी रखा।

नीम करोली बाबा कैंची धाम :  स्थापना –

1942 में बाबा  भ्रमण करते हुए उत्तराखंड पहुंचे। यहां भवाली से  कुछ दूर आगे जाने पर  उन्हें एक व्यक्ति दिखाई दिया,  बाबा ने उस व्यक्ति को उसके नाम से पुकारा।

उस व्यक्ति का नाम पूरन था, बाबा के मुंह से  अपना नाम सुनकर आश्चर्यचकित सा वह व्यक्ति उनके पास पहुंचा।

बाबा ने उस व्यक्ति से कहा  मुझे भूख लगी है कुछ खाने की व्यवस्था करो। पूरन नाम के व्यक्ति ने बाबा से अपने  कौतूहल के बारे में  कहा तो बाबा ने जवाब दिया कि  मैं तुम्हें कई जन्मों से जानता हूं।

व्यक्ति ने घर जाकर सभी को बाबा और खुद को अपने नाम से पुकारे जाने की पूरी बात बताई और फिर बाबा के लिए भोजन लेकर उनके पास पहुंचा।

भोजन के पश्चात बाबा ने पूरन से कहा गांव से कुछ लोगों को ले आओ,  बाबा उन लोगों के साथ नदी पार करके दूसरी ओर के जंगल में पहुंचे।  

फिर एक विशाल पत्थर के समीप रुक कर बाबा ने ग्रामीणों से कहा- “इस पत्थर को हटाओ  तुम्हें इसके पीछे एक गुफा मिलेगी।”

बाबा की बात पर गांव वाले हैरान थे उनका कहना था उनका पूरा जीवन उस क्षेत्र में बीत चुका है, परंतु उन्होंने ऐसा कभी नहीं सुना, और  बाहर से आए इस अंजान साधू को  इस बारे में  कैसे पता ?

ग्रामीणों ने  किसी तरह उस पत्थर को हटाया तो विस्मित रह गए वहाँ वास्तव में एक गुफा थी, बाबा ने बताया कि गुफा के अंदर  एक हवन कुंड भी है, अंदर जाने पर उन्हें वास्तव में  वहां एक हवन कुंड  मिलता है।

बाबा ने आश्चर्यचकित ग्रामीणों को  बताया  कि यह सब जो उन्होंने देखा है  यह कोई चमत्कार नहीं  बल्कि  यह भगवान  हनुमान जी का स्थान है।

बाबा ने स्थान को नदी के निर्मल जल से शुद्ध किया और फिर वहां हनुमान जी की प्रतिमा को स्थापित किया।

नीम करोली बाबा ने गांव के लोगों को बताया कि वह स्थान एक महान सिद्ध पुरुष सोमवारी बाबा की तपोस्थली  रहा है। 

हनुमान जी की  प्रतिमा की स्थापना के बाद  नीम करोली बाबा उस स्थान पर आते जाते रहे।

उसी स्थान पर 1962 में  कैंची धाम के नाम से  नीम करोली बाबा के आश्रम की स्थापना की गई। 

तत्कालीन वन मंत्री चौधरी चरण सिंह ने कैंची धाम के निर्माण हेतु बाबा को भूमि उपलब्ध कराई। 

चौधरी चरण सिंह के इस  कार्य से प्रसन्न होकर बाबा ने उन्हें 1 दिन भारत का प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया।

kainchi dham neem karoli aashram
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यही वह स्थान है  जिसकी ख्याति कैंची धाम (Kainchi Dhaam ) के नाम से देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी है।

15 जून को यहां  विशाल उत्सव  और भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश के असंख्य लोग शिरकत करते हैं और नीम करोली बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। 

नीम करोली बाबा ने गृहस्थाश्रम और आध्यात्मिक जीवन  दोनों को पूरी संजीदगी और ईमानदारी के साथ जिया।

फिर 1935 में उन्होंने नीम करोली धाम को छोड़ दिया और अपना शेष आध्यात्मिक जीवन कैंची धाम  मैं व्यतीत किया।

कैंची धाम में उनके प्रमुख शिष्य पूर्णानंद तिवारी थे  जो सदैव बाबा की सेवा में तत्पर रहते थे, 1942 में सर्वप्रथम  बाबा ने इन्हीं पूर्णानंद तिवारी को  कैंची धाम में दर्शन दिए थे।

नीम करोली बाबा ने  9 सितंबर 1973 को  कैंची धाम त्याग दिया। इससे 2 माह पूर्व से ही  बाबा ने  अपने प्रमुख शिष्य पूर्णानंद को स्वयं से दूर करना प्रारंभ कर दिया था जिस कारण पूर्णानंद दुखी थे। 

बाबा ने पूर्णानंद से  9 सितंबर को बताया कि वह  वृंदावन जा रहे हैं, और साथ ही यह भी कहा कि वह उनके साथ नहीं जाएंगे, बल्कि वे रवि खन्ना नाम के  एक एंग्लो इंडियन के साथ यह यात्रा करने वाले थे।

ट्रेन द्वारा बाबा काठगोदाम से आगरा के लिए रवाना हुए  परंतु आगरा पहुंचने से पहले ही वह ट्रेन से उतरे और उन्होंने रवि खन्ना से कहा कि वे अपना देह त्याग रहे हैं।  उनका संस्कार कैंची धाम के स्थान पर वृंदावन में किया जाए। 

उन्होंने कहा उनकी अर्थी को सबसे पहले उनका शिष्य पूर्णानंद ही कंधा लगाएगा, अतः उसके आने से पहले  उनका संस्कार ना किया जाय।

इस प्रकार बाबा ने अपना शरीर त्याग दिया। नीम करोली बाबा की समाधि  वृंदावन  के आश्रम में स्थित है।

बाद में बाबा की अस्थियों  को कैंची धाम लाया गया।  जहां आज भी उनका दर्शन किया जा सकता है।

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नीम करोली रेलवे स्टेशन- Neem Karoli Railway Station, Neem Karoli Baba Ashram

उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित नीब करौरी  नाम का एक छोटा सा गाँव  है। यह जगह फर्रुखाबाद  जिला मुख्यालय से  लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर है।

यह वही रेलवे स्टेशन है  जहां नीम करोली बाबा को ट्रेन से उतार दिया गया था, और उन्हीं के कहने पर इस स्थान पर नीब करोरी नाम से रेलवे स्टेशन बनाया गया। 

नीम करोली कैसे पहुंचे- How to go Neem Karoli Baba Ashram

नीब करोरी धाम, नीब करोरी गाँव  उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित है। फ्लाइट द्वारा नीब करोरी धाम पहुंचने के लिए आप सबसे पहले विमान से निम्नलिखित एयरपोर्ट पहुँच सकते हैं –

  1. आगरा के खेरिया (अब दीननदायल उपाध्याय)  एयरपोर्ट पर पहुंचकर वहाँ से लगभग 170 किमी0 दूर स्थित नीब करोरी धाम के लिए बस, ट्रेन या टैक्सी द्वारा फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, मैनपुरी, बेबर, मोहम्दाबाद होते हुए धाम पहुँच सकते हैं। 
  2. कानपुर के चकेरी एयरपोर्ट पर पहुंचकर बस द्वारा फर्रुखाबाद पहुँच सकते हैं, और वहाँ से बस या ट्रेन द्वारा नीब करोरी धाम पहुँच सकते हैं।     
  3. IGI दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचकर पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन से कालिंदी एक्सप्रेस या किसी अन्य ट्रेन द्वारा फर्रुखाबाद पहुंचकर वहाँ से शिकोहाबाद की ट्रेन से नीब करोरी धाम पहुँच सकते हैं। दिल्ली से नीब करोरी धाम की दूरी लगभग 310 किमी0 है। 
  4. अगर आप अपने वाहन द्वारा नीब करोरी धाम जाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको  फर्रुखाबाद  पहुंचना होगा और वहां से आप 26 किमी0 की दूरी तय करके नीब करोरी  धाम  पहुंच सकते हैं।  

वृंदावन आश्रम कैसे पहुंचे ? How to Reach Neem Karoli Baba Ashram Vrindavan

बाबा नीम करोली का एक अन्य आश्रम उत्तर प्रदेश के वृंदावन में भी है। वृंदावन में ही उनका महासमाधि मंदिर (Neem Karoli Baba Mandir) भी है। वृंदावन बस स्टैंड से मात्र 02 किमी की दूरी पर उनका आश्रम है। 

इस आश्रम तक  वृंदावन रेलवे स्टेशन होकर भी पहुंचा जा सकता है। रेलवे स्टेशन से भी यह आश्रम 02 किलोमीटर दूर है।

कैंची धाम उत्तराखंड कैसे पहुंचे ? How to Reach Neem Karoli Baba Ashram/ How to Reach Neem Karoli Baba Ashram From Delhi

उत्तराखंड राज्य में  कुमाऊं की विशाल पहाड़ियों के गर्भ में  कैंची धाम आश्रम  स्थित है।  नैनीताल-अल्मोड़ा  मार्ग पर  समुद्र तल से 1400 मीटर  की ऊंचाई पर स्थित यह  स्थान नैसर्गिक  सौंदर्य,  एकांत वातावरण  तथा ध्यान साधना के लिए  पूर्णत: एक आदर्श स्थान है।  

हर साल आश्रम की स्थापना दिवस पर 15 जून को एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जहां देश विदेश से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 

कैंची धाम, उत्तराखंड  पहुंचने के लिए विमान, ट्रेन,  निजी वाहन, टैक्सी  या बस  से पहुंचा जा सकता है। आप कैंची धाम पहुचने के लिए ड्राइव कर सकते हैं,  ट्रेन, बस, टैक्सी  या हवाई यात्रा करके भी पहुंच सकते हैं। 

  • फ्लाइट द्वारा –

विमान द्वारा कैंची धाम पहुंचने के लिए आप निकटतम पंतनगर हवाई अड्डा पहुंच सकते हैं। दिल्ली से पंतनगर के लिए नियमित उड़ानें हैं। पंतनगर से कैंची धाम की दूरी लगभग 79 किलोमीटर है, जिसके लिए आप  कैब बुक कर सकते हैं।

  • ट्रेन द्वारा – 

कैंची धाम पहुंचने के लिए काठगोदाम और हल्द्वानी दो रेलवे स्टेशन हैं। इनमें काठगोदाम सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। दिल्ली से हल्द्वानी और काठगोदाम के लिए आपको कई ट्रेन मिल जाती हैं।काठगोदाम से  कैंची धाम की 45 किलोमीटर की यात्रा आप  कैब ( शेयर्ड या पर्सनल)  और बस से कर सकते हैं। 

  •  बस द्वारा-

बस द्वारा कैंची धाम  पहुंचने के लिए आप दिल्ली के अंतर्राज्यीय बस अड्डा (ISBT)  आनंदविहार से उत्तराखंड परिवहन निगम  की बसों से  पहुंच सकते हैं।

  • व्यक्तिगत वाहन द्वारा-

यदि आप अपने  पर्सनल व्हीकल से  कैंची धाम पहुंचना चाहते हैं तो आप दिल्ली से  गजरौला, मुरादाबाद, टांडा, बाजपुर, कालाढूंगी होते हुए (shortest route) नैनीताल पहुंच सकते हैं और फिर वहां से महज 19 किमी0 दूर स्थित कैंची धाम आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

विभिन्न स्थानों से कैंची धाम की दूरी- Kainchi Dham Distance From Different Places

नैनीताल से दूरी 19.6 किमी0
भवाली से दूरी 9 किमी0 
हल्द्वानी से दूरी 40 किमी0 
काठगोदाम (निकटतम रेलवे स्टेशन) से दूरी 45 किमी0 
पंतनगर एयरपोर्ट से दूरी (निकटतम एयरपोर्ट)79 किमी0 
दिल्ली से दूरी 325 किमी0 

नीम करोली बाबा के शिष्य- Neem Karoli Baba Shishya

स्टीव जॉब्स –

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) और उनके मित्र डैन कोट्टके (Dan Kottke) 1974 में नीम करोली बाबा के आश्रम पहुंचे, परंतु वे बाबा से न मिल सके क्योंकि बाबा 1973 में समाधिस्त हो चुके थे। वे भारतीय आध्यात्मिकता और हिन्दू धर्म का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे।

जूलिया रॉबर्ट्स

उनके विदेशी शिष्यों की श्रेणी में हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी शामिल हैं वे भी उनसे प्रभावित हैं।

ये बाबा की ऐसी भक्त हैं जो न तो बाबा से कभी मिली और न ही कभी बाबा के आश्रम आईं, बस केवल बाबा का चित्र देखकर उनकी शिष्य बन गईं।

एक इंटरव्यू में जब उनसे उनकी हिंदू धर्म में रूचि को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बाबा नीम करोली का नाम लिया, और अपनी आस्था का जिक्र किया।

रिचर्ड एडवर्ड (रामदास) –

बाबा के अमेरिकी  शिष्यों  में रिचर्ड एडवर्ड  (Richard Edward) भी प्रमुख है। psychedelic drugs पर रिसर्च करने वाले अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रिचर्ड एडवर्ड जो स्वयं ड्रग एडिक्ट  हो गए थे और उन्हें इसी कारण से यूनिवर्सिटी से बाहर कर दिया गया था।  

इसके बाद धीरे-धीरे वे डिप्रेशन में चले गए। रिचर्ड 1967 में भारत पहुंचे,  यहां पहुंचकर उन्होंने नीम करोली बाबा से मुलाकात की।

मुलाकात के दौरान उन्होंने बाबा को ड्रग्स की गोलियां दी बाबा ने उन सभी गोलियों को एक साथ खा लिया परंतु  बाबा पर उनका कोई असर नहीं हुआ। 

यह मंजर देखकर एडवर्ड की ड्रग्स के प्रति सोच पूरी तरह बदल गई और वह तभी से बाबा के शिष्य बन गए। 

यहां तक कि अमेरिका वापस लौटने पर उन्होंने स्वयं का नाम बदलकर रामदास रख लिया और सारा जीवन हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार में लगे रहे।

नीम करोली बाबा मार्क जुकरबर्ग – Neem Karoli Baba Mark Zuckerberg 

स्टीव जॉब्स से प्रेरित होकर ही 2015 में फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी बाबा नीम करोली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे।

वे भी बाबा नीम करौली से बहुत प्रभावित हैं। यह मार्क जुकरबर्ग के लिए एक ऐसा कठिन समय था जब फेसबुक को बेचने की नौबत आ चुकी थी।

बाबा में आस्था और उनके दर्शन के बाद इनके जीवन की दिशा और दशा पूर्णतः बदल गई। 

इनके अतिरिक्त लैरी पेज (Larry Page) और लैरी ब्रिलियंट भी इनके प्रमुख शिष्यों में शामिल हैं। 

नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई ? How did Neem Karoli Baba Die ?

11 सितंबर 1973 को उत्तर प्रदेश के वृंदावन के एक अस्पताल में डायबिटिक कोमा में चले जाने के कारण नीम करोली बाबा की मृत्यु हो गई। 

सेवा फाउंडेशन की स्थापना –

नीम करौली बाबा के प्रमुख शिष्य राम दास और लैरी ब्रिलियंट ने कैलिफोर्निया, अमेरिका के बर्कले में नीम करौली बाबा को समर्पित एक संस्था “सेवा फाउंडेशन” की स्थापना की।

जिसका वित्त-पोषण उनके शिष्य स्टीव जॉब्स के द्वारा किया गया। नीम करौली बाबा के आश्रम न सिर्फ भारत में बल्कि अमेरिका में भी हैं। 

नीम करोली बाबा मंत्र- Neem Karoli Baba Mantra

दोस्तों,   नीम करोली बाबा  को मानने वाले उनके शिष्य,  उन्हें  प्रभु हनुमान का अवतार मानते हैं, और उनकी भक्ति करते हैं  तथा नीम करोली बाबा मंत्र का जाप करते हैं।

यदि आप भी नीम करोली बाबा का मंत्र जानना चाहते हैं तो हम अपने इस लेख नीम करौली बाबा के चमत्कार, मंत्र, शिष्य, परिवार | Neem Karoli Baba Biography in Hindi, History and stories में नीम करोली बाबा मंत्र लिख रहे हैं-

मैं हूँ अति बुद्धि मलीन, भक्ति श्रद्धा विहीन,

विनय करू कछु आपकी, सब ही होउ विधि दीन।

यह श्रद्धा के पुष्प कछु। धरि चरणन सम्हार,

हे कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।

जो भक्त नीम करोली बाबा के उपरोक्त मंत्र का जाप करता है उस व्यक्ति को बाबा नीम करौली का आशीर्वाद व उनकी कृपा प्राप्त होती है। 

नीम करौली बाबा की वंदना कैसे करें – How to Pray to Neem Karoli Baba

शारीरिक और मानसिक रूप से स्वच्छ एवं पवित्र होकर  सच्चे मन से ध्यान मग्न व एकाग्र  होकर  बाबा की आरती का गान करना चाहिए।

FAQs

प्रश्न – बाबा नीम करौली का जन्म कब हुआ था?

उत्तर – उ0 प्र0 के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में नीम करौली बाबा का जन्म सन् 1900 के आसपास हुआ था।

प्रश्न – नीम करौली बाबा के गुरु कौन थे?

उत्तर – नीम करौली बाबा भगवान हनुमान के थे भक्त थे। 

प्रश्न – नीम करोली बाबा क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर – नीम करौली बाबा को लोग ‘महाराज-जी’ के नाम से भी जानते  हैं। बाबा की प्रसिद्धि एक हिंदू गुरु के रूप में थी और वे हनुमान के भक्त थे।1960 और 70 के दशक में कई विदेशी नामचीन लोग इनके भक्त बने और इनकी प्रसिद्धि विदेशों में भी हुई। 

प्रश्न – नीम करोली बाबा की समाधि कहाँ पर है ?

उत्तर – उत्तराखंड में नैनीताल के पास पंतनगर में नीम करोली बाबा की समाधि स्थित है।

प्रश्न – क्या स्टीव जॉब्स नीम करोली बाबा से मिले थे ?

उत्तर –  नहीं, नीम करोली बाबा का देहावसान 11 सितंबर 1973  को हुआ था,  जबकि स्टीव जॉब्स  बाबा के आश्रम में 1974 में पहुंचे थे।

प्रश्न – नीम करोली बाबा के कितने बच्चे हैं ?

उत्तर –  नीम करोली बाबा की तीन संतान हैं । 

प्रश्न – बाबा नीम करोली महाराज कौन थे ?

उत्तर –  बाबा नीम करोली महाराज एक प्रसिद्ध एवं सिद्ध संत थे।

प्रश्न – नीम करोली बाबा का असली नाम क्या है ?

उत्तर – लक्ष्मीनारायण शर्मा।  

निष्कर्ष –

नीम करौली बाबा बीसवीं सदी के एक महान सिद्ध संत माने जाते हैं। अपने जीवन काल में उन्होंने मानव मात्र का कल्याण किया।

कई स्थानों पर हनुमान मंदिर का निर्माण कराया। पूरा जीवन मात्र एक कंबल में बिताते हुए उन्होंने हमेशा मानव जाति का कल्याण किया।

1973 में उनके द्वारा देह त्याग के बाद भी देश-विदेश में बनने वाले उनके शिष्यों की कमी नहीं है।

हमारे शब्द – Our Words

दोस्तों ! आज के इस लेख नीम करौली बाबा की कहानी, चमत्कार, मंत्र, शिष्य, परिवार | Neem Karoli Baba Biography in Hindi, History and stories में हमने आपको Baba Neem Karoli के बारे में वृहत जानकारी उपलब्ध कराई है।

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